वफ़ा जो नहीं बेवफा ही सही
चलो याद तो रखोगे तुम,
मेरी खूबी नहीं खता ही सही
चलो याद तो रखोगे तुम.
मंदिर में रावण मधुशाला में राम हूँ मैं
हालात ना पहचानता इसलिए बदनाम हूँ मैं
घात को मैं प्यार दूँ प्यार को देता हूँ घात
रण में हूँ गौतम तो शयन में संग्राम हूँ मैं
हूँ तो मैं मुहूर्त मगर जरा सा बहका सा
दिवाली की सुबहा औ होली की शाम हूँ मैं
न मानता मैं जानकर जात छुपे चेहरों की
सच्चाई के दामन पे झूठा इल्जाम हूँ मैं
उलटी है चाल अब 'मशाल' मिरे मोहरों की
प्यादों से करता काम खुद का तमाम हूँ मैं
आपका-
दीपक 'मशाल'
चित्र- अपनी ही तूलिका से..
न मानता मैं जानकर जात छुपे चेहरों की
जवाब देंहटाएंसच्चाई के दामन पे झूठा इल्जाम हूँ मैं
-बहुत बढ़िया...
ऊपर का शेर, फिर गज़ल और अंत में देखा चित्र - अपनी तूलिका से - सम्मोहित हो गया । कितनी विस्मित करने वाली तूलिका है आपकी । बेहतरीन ।
जवाब देंहटाएंमंदिर में रावण मधुशाला में राम हूँ मैं
जवाब देंहटाएंहालात ना पहचानता इसलिए बदनाम हूँ मैं
घात को मैं प्यार दूँ प्यार को देता हूँ घात
रण में हूँ गौतम तो शयन में संग्राम हूँ मैं
हूँ तो मैं मुहूर्त मगर जरा सा बहका सा
दिवाली की सुबहा औ होली की शाम हूँ मैं
न मानता मैं जानकर जात छुपे चेहरों की
सच्चाई के दामन पे झूठा इल्जाम हूँ मैं
उलटी है चाल अब 'मशाल' मिरे मोहरों की
प्यादों से करता काम खुद का तमाम हूँ मैं
poori ki poori kavita lajwaab ..ismein se kisi ek sher ko chunana mushkil tha mere liye...bahut maarak hain saare sher..
aur paitings....bahut hi khoobsurat..
sarvgunsampann ho tum ..
khush raho..
didi..
लाजवाब है गज़ल और फिर तूलिका का कमाल -- क्या कहने!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
घात को मैं प्यार दूँ प्यार को देता हूँ घात....
जवाब देंहटाएंवफाओं से बेवफाई और बेवफाओं से प्यार ...
मानव मन का विचित्र विरोधाभास ....क्यों होता है ऐसा ....
चित्र और कविता .... निश्चित ही बहुत सुन्दर ....
उलटी है चाल अब 'मशाल' मिरे मोहरों की
जवाब देंहटाएंप्यादों से करता काम खुद का तमाम हूँ मैं
सुंदर पंक्तियां दीपक भाई-आभार
मंदिर में रावण मधुशाला में राम हूँ मैं,
जवाब देंहटाएंहालात ना पहचानता इसलिए बदनाम हूँ मैं...
शायद इसलिए घर वाले कहते हैं कि इस प्रैक्टीकल दुनिया के लिए अनफिट हूं मैं...
जय हिंद...
हालात ना पहचानता इसलिए बदनाम हूँ मैं
जवाब देंहटाएंshandaar pankti...
सुंदर पंक्तियां दीपक भाई-आभार
जवाब देंहटाएंन मानता मैं जानकर जात छुपे चेहरों की
जवाब देंहटाएंसच्चाई के दामन पे झूठा इल्जाम हूँ मैं
उलटी है चाल अब 'मशाल' मिरे मोहरों की
प्यादों से करता काम खुद का तमाम हूँ मैं
दीपक कितनी अनुभूतियाँ अभी भी तुम्हारा पीछा नहीं छोडती । कितना चिन्तन करते हो? बहुत सुन्दर कविता है आज के इन्सान की तस्वीर। तुम्हारी सेहत कैसी है? मुझे चिन्ता है । अपना ध्यान रखना । आशीर्वाद्
sach kaha aapne aaj mandir mai ravan aur madhushala mai ram hai,
जवाब देंहटाएंkyonki aaj ka ram bhul chuka hai apne adarsh apne kaam, treta mai ram ne pitah ki agya ko sarvo-pari maan kiya sare jag main apna naam,
par aaj ka ram kar raha aise-aise kaam, ki man chintan mai rah jata ek hi naam aur bo hai ravan ka naam.............
aapki yah rachna aaj ke ram ke liye hai,
Abhi kafi theek hoon maasi aap chinta na karen.. main jaldi hi phone karta hoon aapko..
जवाब देंहटाएंBAHUT HI SHANDAR PRASTUTI........AABHAR.
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया कविता
जवाब देंहटाएंके खूब लिखा आपने .....पूरी कविता लाजवाब
जवाब देंहटाएंसजदा कबूल करें। बहुत शानदार रचना।
जवाब देंहटाएंअद्भुत ! और क्या कहूँ !! कविताई हो तो ऐसी ।
जवाब देंहटाएंपहले चित्र में तूलिका का कमाल भी देख रहा हूँ।
अतिसुंदर.....बढ़िया भाव...बधाई दीपक जी!!
जवाब देंहटाएंnice
जवाब देंहटाएंgood one deepak
जवाब देंहटाएंbhaaaaaaaaaaaaai guru ji,,maan gaya ustaad,,,yaar while reading yr diaries i never estimated your talent that much,,today i am stunned man,,u r too good,,i really like yr thoughts like "diwali ki subah aur holi ki sham hun mein" gr8 man,,hats off 2 you,,carry on,,,dost aane wale salon mein students UP board mein tumhari b jeevni yaad kiya karenge,,,hahaha..but really good one..
जवाब देंहटाएंन मानता मैं जानकर जात छुपे चेहरों की
जवाब देंहटाएंसच्चाई के दामन पे झूठा इल्जाम हूँ मैं
सारगर्भित!
sree ram ko sree ram he rhne do
जवाब देंहटाएंjo mdushala me hain rhen
hmen kya aapti hai
pr aap arth ka anarth n kren
aap khud ko khob gail bke
sune khush rhen
pr sree ram ko to chhod den
esa dushkrm koi any mtavlmbi nhi krta
or ydi koi or bhi kre to
us ka bhi sfaya
nhi to kr ke dekh lo pta chl jayega
kitne bdbole ho
pr app shishnuta ka mjak uda rhe hain
isi liye apne poorvjon ko esi galiyan
suna rhe hai
yh kel ram ko kuchh nhi kha hai
aap ne apni poore itihas pr thooka hai
prntu upr ka thuka kud pr pdta hai
is liye aap hi ise smbhale
लाजवाब!
जवाब देंहटाएंसुंदर पंक्तियों से सुसज्जित शानदार रचना
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