आज शिक्षक दिवस पर आप सभी को शुभकामनाएँ.. सुनियेगा अर्चना चावजी जी के स्वर में शिक्षक दिवस की एक भेंट.. और उसके बाद पवन चन्दन जी के साथ मेरी एक जुगलबंदी....
पहले गीत सुनिए--
अब जुगलबंदी---
चांद और बदली में हो गयी खटपट
रूठी हुई बदरिया सूरज से करके घूंघट
सिसकियां भर भर के रो रही है
लोग कहते हैं बारिश हो रही है
कुरूप होने से पहले जो हो गया था मैला
मौसम की धूल का न रहे दाग पहला
वसुंधरा आपने दामन हो धो रही है
लोग कहते हैं बारिश हो रही है
ज्यों रुदाली ढो रही हो अनंत कालों से प्रथा को
ताड़ उसकी इस व्यथा को उसके अंतस की कथा को
रो के वो बेज़ार अपने नमकीन मोती खो रही है
लोग कहते हैं बारिश हो रही है
भीगी चोली भीगा दामन वो ले रही अंगडाई भी
गेशुओं से झांकती वो लगती है इठलाई भी
सूर्य औ सागर के सुर सुन बेसुध नृत्य में वो हो रही है
लोग कहते हैं बारिश हो रही है
फागुन में ये बदरिया मस्त हो के छा गयी है
भर भर के घट लबालब रंग ले के आ गयी है
देवर समझ के सब को छम छम भिगो रही है
लोग कहते हैं बारिश हो रही है.
पवन चन्दन और दीपक मशाल
अरे.....मुझे लगा दूसरा प्लेयर भी दिखेगा पर --- आह ...
जवाब देंहटाएंइस जुगलबन्दी के लिये तो बस ---वाह ,वाह और वाह ...
यह युगलबन्दी तो बहुत बढ़िया रही!
जवाब देंहटाएं--
अर्चना चावजी का स्वर बहुत ही मधुर है!
मृदुल स्वर में एक मधुर गीत!!!
जवाब देंहटाएंशिक्षा का दीप जलाएं-ज्ञान प्रकाश फ़ैलाएं
जवाब देंहटाएंशिक्षक दिवस की बधाई
वक़्त बेवक्त के रुदाल में भी एक कष्ट है,
जवाब देंहटाएंकभी अच्छी फसल, कभी पूरी नष्ट है,
मिजाज मौसम का भला था हिन्दुस्तानी,
जाने क्यों यहाँ भी अब अंग्रजी हुकूमत हो रही है !
और लोगों को लगता है, बस बारिश हो रही है !
बहुत मेहनत करते हो आप लोग सोचने में, वैसे तो ज्यादा सोचने से कविता का कबाड़ा ही होता है, पर आप जैसे कुछ अपवाद भी होते है. बस तीन चार बार पदनी पड़ती है पूरी तरह से समझाने के लिए, और कोई शिकायत नहीं..
सोच-ए-कमाल !
बारिस हो रही है ---जी हाँ आज तो सुबह से ही हो रही है । लेकिन आपकी परिभाषाएं बहुत अच्छी लगी ।
जवाब देंहटाएंअच्छी तरह से परिभाषित किया बारिश को आपने
जवाब देंहटाएंवाह वाह -------------बहुत सुन्दर !
जवाब देंहटाएंgeet aur jugalbandi dono hi bahut sundar
जवाब देंहटाएंsikshak divas ki bahut bahut badhai
कुरूप होने से पहले जो हो गया था मैला
जवाब देंहटाएंमौसम की धूल का न रहे दाग पहला
वसुंधरा आपने दामन हो धो रही है
लोग कहते हैं बारिश हो रही है ...
बहुत सुंदर रचना .... शिक्षक दिवस की बहुत बहुत शुभकामनाएँ ....
दोनों बहुत बढ़िया हैं .
जवाब देंहटाएंअर्चना जी दिल से गाती हैं।
जवाब देंहटाएंऔर जुगलबन्दी बहुत अच्छी लगी।
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
जवाब देंहटाएंप्रस्तुति के प्रति मेरे भावों का समन्वय
कल (6/9/2010) के चर्चा मंच पर देखियेगा
और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com
शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।
बहुत मधुर स्वर सदैव की भाँति।
जवाब देंहटाएंअर्चना चाव जी का स्वर बहुत मधुर है!
जवाब देंहटाएं--
बढ़िया रही यह जुगलबन्दी!
--
भारत के पूर्व राष्ट्रपति
डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म-दिन
शिक्षकदिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
बहुत अच्छी लगी ये जुगक़्लबन्दी। अर्चना जी को तो पहले भी सुना है। बधाई।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर कविता और गायकी |आवाज बहुत प्रभावशाली और मधुर |बधाई
जवाब देंहटाएंआशा
अच्छी प्रस्तुति। आभार !
जवाब देंहटाएंमधुर स्वर में गायकी...और ख़ूबसूरत कविता...दोनों ही लाजबाब
जवाब देंहटाएंअर्चना जी की स्वर लहरी से सजी और आपकी जुगल बंदी से महकी ये पोस्ट अद्भुत है...सच आनंद की बारिश हो गयी...
जवाब देंहटाएंनीरज
bahoot hi sunder prastuti. kavita bahoot achchhi lagi
जवाब देंहटाएंक्या बात है.... वाह!!
जवाब देंहटाएंआनंद आ गया आज तो.
सच मैं बारिश ही हो रही है. भीतर बाहर सब कुछ तो नम है
जवाब देंहटाएंज्यों रुदाली ढो रही हो अनंत कालों से प्रथा को
जवाब देंहटाएंताड़ उसकी इस व्यथा को उसके अंतस की कथा को
रो के वो बेज़ार अपने नमकीन मोती खो रही है
लोग कहते हैं बारिश हो रही है
...bahut sundar gulagbandi..
Acchi rahi jugalbandi... :)
जवाब देंहटाएंदेर से आये किन्तु आनन्द पूरा लिया. बहुत अच्छा लगा अर्चना जी को सुनकर और फिर जुगलबंदी-वाह!! क्या बात है!!
जवाब देंहटाएंशिक्षक दिवस पर सभी को शुभकामनाएँ.
सच में अर्चना जी के स्वर में गीत ने भावविभोर कर दिया। साथ ही जिन पाठकों ने जुगलबंदी को पसंद कर प्रशंसा की है उन सभी माननीयों को धन्यवाद देता हूं, क्योंकि आपके आशिर्वाद से ही तो हमारे लेखन में नई ऊर्जा का संचार होगा। आइये आपका चौखट पर स्वागत है्...........
जवाब देंहटाएंhttp://chokhat.blogspot.com
बेहतरीन...........
जवाब देंहटाएंwow..beautifull :)
जवाब देंहटाएंhttp://liberalflorence.blogspot.com/
इस पोस्ट में सहयोगियों का आभार और आप सबका शुक्रिया..
जवाब देंहटाएंगीत और जुगलबंदी...दोनों बढ़िया लगी
जवाब देंहटाएंदेर से आये हैं तो फक़त इतना ही कहदें कि मो सम कौन ? जी क्या कह रहे हैं आप :)
जवाब देंहटाएंगीत को पसन्द करने के लिए आभार!!श्रोताओं का..........धन्यवाद दीपक को........
जवाब देंहटाएंबारिश तो दिल्ली में आज भी लागी हुई है। फेरी लगा रही है, सबको लुभा रही है, कॉमनवेल्थ गेम्स वालों को रूला रही है। देखते रहिए बारिश क्या क्या गुल खिला रही है।
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