तुम्हारी
किताब के पन्नों ने
अक्सर
मेरा जिक्र किया होगा...
तुम्हारी
कविता के शब्दों ने
अक्सर
मेरा जिक्र किया होगा...
कभी आगे
तो कभी पीछे,
कभी शीर्षक
तो कभी सन्दर्भ में..
कभी मध्य में विलुप्त सा..
या तो कभी
उपसर्ग या प्रत्यय में..
कुछ अंश ही सही.......
या.. नहीं भी किया होगा
तो भी
कोई बात नहीं,
क्योंकि
इसके पीछे भी
कोई महत्वपूर्ण कारण रहा होगा..
जिसके पीछे भी
मैं ही
कहीं ना कहीं होऊंगा,
अगर नहीं तब भी
मैं खुश हूँ,
मगर काश.....
तुमने..
मेरे जीवन की पुस्तक ही
कभी खोली होती..
जिसमें कि हर....
दीपक मशाल
बहुत जबरद्स्त!! वाह!
जवाब देंहटाएंमैं खुश हूँ,
जवाब देंहटाएंमगर काश.....
तुमने..
मेरे जीवन की पुस्तक ही
कभी खोली होती..
भावनाओं से लबरेज रचना. बहुत ही सुन्दर
मैं खुश हूँ,
जवाब देंहटाएंमगर काश.....
तुमने..
मेरे जीवन की पुस्तक ही
कभी खोली होती..
लाजबाब ! नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाये !
बहुत लाजवाब, नये साल की रामराम.
जवाब देंहटाएंरामराम.
मैं खुश हूँ,
जवाब देंहटाएंमगर काश.....
तुमने..
मेरे जीवन की पुस्तक ही
कभी खोली होती..
लाजबाब ! नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाये !
(NB:--भई.... आपने देखा होगा कि खेतों में....एक पुतला गाडा जाता है .... जिसका सर मटके का होता है... उस पर आँखें और मूंह बना होता है.... और दो हाथ फूस का..... वो इसलिए खेतों में होता है.... कि फसल जब पक जाती है ..... तो कोई जानवर-परिंदा डर के मारे न आये...... मैं शायद वही पुतला हूँ.... )
is zikra ka zikra karne me aanand ki anubhooti hui
जवाब देंहटाएंbadhaai !
लबालब भर दिया है भावनावों को ,अच्छी रचना
जवाब देंहटाएंjabardast vichaar
जवाब देंहटाएंआमीन !
जवाब देंहटाएंनए साल की नज्में
शुभकामनाओं के मलयानिल से
आरत्रिका की तरह आई हैं
हर किरणों में स्नेहिल दुआएं -
तुम्हारे लिए !
नया साल
तुम्हें तुम्हारी पहचान दे
पहचान को सलामत रखे
आतंक के साए को दूर करे
रग- रग में विश्वास भर जाये
खूबसूरत सपने
हकीकत में ढल जाएँ
जो पंछी अपने बसेरे से भटक गए हैं
वे लौट आयें
कहीं कोई द्वेष की चिंगारी ना रहे
ठंडी हवाएँ उन्हें शांत कर जाएँ
मुस्कानों की सौगातों से
सबकी झोली भर जाये............
आओ मिलकर कहें -
; आमीन '...
भावनाओं की अच्छी अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंनव वर्ष की शुभकामनायें।
shandaar kavita.. specially...
जवाब देंहटाएंमगर काश.....
तुमने..
मेरे जीवन की पुस्तक ही
कभी खोली होती..
जिसमें कि हर....
bahut sundar aur gahre bhav.
जवाब देंहटाएंnav varsh mangalmay ho.
बहुत सुन्दर रचना है।बधाई।
जवाब देंहटाएंआपको व आपके परिवार को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।
isi kaash par to sari ummede shuru ho jati ha...ki kaash.....
जवाब देंहटाएंbohot khoob likha ha
padkar accha laga...
shubhkamnaye...
"आशा है एक नए उमंग की,
जवाब देंहटाएंतरंग और उसके संवेग की॥
घूँघट उठाती दुल्हन २०१०...
और उसके स्पर्श की
मेरी दुल्हन २०१०
आपका स्वागत"
मगर काश.....
जवाब देंहटाएंतुमने..
मेरे जीवन की पुस्तक ही
कभी खोली होती..
जिसमें कि हर....
’..सफ़्हे पे तेरे नाम का हवाला है?’
इस अधूरे से कुछ को अधूरा ही छोड़ कर आपने इसके अधूरेपन को और भी सघन कर दिया है...मस्त है मगर..यह अधूरापन भी!!
या.. नहीं भी किया होगा
जवाब देंहटाएंतो भी
कोई बात नहीं,
क्योंकि
इसके पीछे भी
कोई महत्वपूर्ण कारण रहा होगा..
जिसके पीछे भी
मैं ही
कहीं ना कहीं होऊंगा,
बहुत सही और सुन्दर मनोभाव,एक आस्था भी और एक उलाजना स बडे प्रेम से शब्दों से सजाया है नये साल की शुभकामनायें 3-4 दिन नेट से दूर्रही । आज तुम्हरी कहानी भी पढती हूँ। बहुत बहुत आशीर्वाद्
aaj aapki pustak ka orai men vimochan avam aapke vichar jaankar paritosh hua. badhaai/
जवाब देंहटाएंमगर काश.....
जवाब देंहटाएंतुमने..
मेरे जीवन की पुस्तक ही
कभी खोली होती..
bahut hi kboosurat nazm
Aapko naye varsh ki shubh-kamnaye
जवाब देंहटाएंDIl ko chulene wali najma.........
Aap humara bhi blog padhi ye aur pratikriya vyakta karenge to hume khushi hogi....
Dhanyawad
Achcha kiya 'usne' jo zikra nahin kiya aur nahi kholey tumhari zindigi ki kitab k panney, warna yeh ehsas ki ladiyaN na pirotey tum.....aakhir Aa'h se hi nikalta hai gaan.
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