हर पल
इक सम्भावना है,
बीता नहीं..
आने वाला
कल
आने वाला पल..
हाँ वही पल
जिसका की
कभी अस्तित्व नहीं पता चला
किसी को भी..
कभी भी..
जबतक आता है वो
तो वर्तमान बन चुका होता है..
और फिर से
एक नया
आने वाला
कल बन जाता है..
वो
तो है महज़ एक
सम्भावना..
जिसे
किसी ने समझा नहीं
और न ही देखा है
उसका अस्तित्व...
क्योंकि
मृग मरीचिका है वह..
नहीं पता कि
क्या है वह पल..
जीवन है या
मृत्यु??
गम है या
खुशी??
फतह है या
शिकस्त??
या
वह जिसका कि
शायद...
वजूद भी नहीं..
न ही रहा उससे पहले अब तक..
बस यही सब बनाता है उसे..
एक संभावना
और इसीलिए है जाना जाता ये जग
संभावनाओं का संसार...
दीपक मशाल
chitra google se
सही कहा -आने वाला पल और कल , केवल एक सम्भावना है।
जवाब देंहटाएंइसीलिए वर्तमान की अहमियत है, क्योंकि ये हकीकत है।
और इसीलिए है जाना जाता ये जग
जवाब देंहटाएंसंभावनाओं का संसार...
सही कहा है ये जग् संभावनाओं का संसार है.
बेहतरीन भाव
सम्भावना का ये रहस्यमयी अस्तित्व तो हम सब को भौंचक किये रहता है।
जवाब देंहटाएंअच्छी कविता दीपक भाई!
दीपक जी!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना पेश की है आपने।
चर्चा मंच पर भी आपकी पोस्ट की चर्चा लगी है!
समय बोध के बाद ही समयातीत की यात्रा संभव है। समयबोध के लिए बधाई दी जा सकती है, समयातीत को जानने के लिए शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंसच है ,इसीलिए तो आनेवाले संभावनाओं के संसार को समृद्ध करने की कोशिश जारी रखनी चाहिए...ख़ूबसूरत कविता...संभावनाओं से भरी
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर . असीम संभावनाओ के चलते ही जीवन की नैया आगे बढ़ती है . ख़ूबसूरत अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना है बधाई।
जवाब देंहटाएंआने वाला पल मृगमरीचिका है ... सम्भावना है ...
जवाब देंहटाएंसच यही है ...पर कितने पल इस पल की सम्भावना में बीत जाते हैं यूँ ही ....!!
जब तक जीवन तब तक संभावना..आत्मविश्वास बढ़ने वाली सुंदर रचना..बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत ही भावपूर्ण निशब्द कर देने वाली रचना . गहरे भाव.
जवाब देंहटाएंअच्छी कविता..एक दार्शनिक रंग लिये होते हुए भी सकारात्मकता से ओतप्रोत यह कविता प्रेरित भी करती है..और आश्वस्त भी....
जवाब देंहटाएंअशोक बाजपेई जी की एक कविता की भी कुछ पंक्तियां याद आयीं..कुछ इस तरह शायद
मेरे हृदय मे हाथों के लिये
कविता के लिये
अब एक आशा थी
शहर अब भी एक संभावना है!
इन सम्भावनाओं मे जीवन की तलाश मे आदमी चलता ही रहता है और जो उस पल को पकड लेता है वही सब कुछ पा लेता है और मैं जान गयी हूँ कि तुम जीवन के हर पल को सहेजने की क्षमता रखते हो। तुम्हारी डायरी देख कथैरान हूँ कि तुम 1996 मे मे ही इतना सुन्दर लिख रहे थे तो कल जरूर साहित्य के क्षितिज पर होंगे । मेरा आशीर्वाद और शुभकामनायें । तुम मेरे पास आये इस खुशी को बताने के लिये मेरे पास शब्द नहीं हैं । सदा सुखी रहो।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएं