साब जी अभी हाल में एक टूटी-फूटी रचना लिखी थी.. अब उसमे कुछ सुधार किया और गाने की गलती कर बैठा.. सोचा आपको भी सुना ही दूँ.. दिन अच्छा रहा होगा तो ख़राब हो जाएगा सुनने के बाद.. इस प्रयोग के लिए समीर सर का विशेष आभारी हूँ :)
ध्यान दीजियेगा कि रचना में कुछ सुधार भी किया है और दो नए शेर(वैसे शेर नहीं कह सकते) भी जोड़े हैं....
ध्यान दीजियेगा कि रचना में कुछ सुधार भी किया है और दो नए शेर(वैसे शेर नहीं कह सकते) भी जोड़े हैं....
इसको मेरी आवाज़ में सुनने के लिए नीचे P पर क्लिक करें...
देख अचरज भी है हैरानी भी है
दुनिया अपनी भी है बेगानी भी है
कैसे माने जहाँ विष पिलाए बिना
मीरा रानी भी है, दिवानी भी है
तेरी बात पे क्या भरोसा करुँ
ये हकीकत भी है औ कहानी भी है
ज़िंदगी तू बड़ी अजब फिल्म है
तू दहशत भी है रूमानी भी है
आज शाम मैं तेरी याद के साथ हूँ
ये सुहानी भी है विरानी भी है
आदत-ए-वफ़ा से हूँ परेशान मैं
ये नई सी भी है औ पुरानी भी है
ना पूछो उसकी बेरुखी को 'मशाल'
भूलने का सबब भी निशानी भी है.
दीपक'मशाल'
बहुत खूब !!! ( करत-करत अभ्यास के ........)
जवाब देंहटाएंहमें तो गाने के बारे में कुछ नहीं आता है, अदा जी ही बताएंगी गायकी के बारे में तो। हमें तो किसी को भी गाते हुए लगता है कि यह गा रहा है तो बड़ा अच्छा काम कर रहा है। अपनी बात को कहने की एक और अभिव्यक्ति है इसके पास। बधाई। गाते रहो, एक दिन अच्छे गायक बन जाओगे।
जवाब देंहटाएंज़िंदगी तू बड़ी अजब फिल्म है
जवाब देंहटाएंतू दहशत भी है रूमानी भी है
likha bhi achha aur gaya bhi hai.
i enjoy listening to your mesmerizing ghazal.
दीपक,
जवाब देंहटाएंकोई और बम गिराने से रह गया हो तो भाई लगे हाथों वह भी गिरा दो।
कविता, शायरी, कहानी लेखन, व्यंग्य लेखन, सामाजिक लेखन, नाटक वगैरह वगैरह के बाद अब गायन भी। इन्फ़ीरियरिटी कॉम्पलेक्स से ग्रसित कर दिया है यार तुमने।(मैंने गाते हुये पहली बार ही सुना है, अगर पहले से ही गायक हो तो बुरा मत मान जाना)।
विक्रम और वेताल के विक्रम की तरफ़ अब फ़ंस गये हो तुम, बुरा मान नहीं सकोगे और अब हमारी फ़रमाईश पर और भी चीजें सुनानी पड़ेंगी।
हमें तो मजा आ गया, तुम सोच लो, बुरा मानना है कि नहीं :)
वाह वाह दीपक ।
जवाब देंहटाएंबहुत सही और मज़ेदार ग़ज़ल लिखी है ।
गाने में बहुत अच्छी संभावनाएं हैं । कीप इट अप।
मैं तो सुण नही पा रहा लेकिन रचना बहुत जमी।
जवाब देंहटाएंकैसे माने जहाँ विष पिलाए बिना
मीरा रानी भी है, दिवानी भी है
आज शाम मैं तेरी याद के साथ हूँ
ये सुहानी भी है विरानी भी है
ये दोनों खास लगे। ... बाद वाला तो उन सबको जमेगा जिन्हों ने कभी प्रेम किया और वक़्त के हाथों बिखर गए।
गिरिजेश भाई,
जवाब देंहटाएंबाद वाला तो हम जैसे दिलजलों के लिए आरक्षित है।
बहुत बढिया दीपक भाई,
और कैसे हैं?काफ़ी दिनों से मुलाकात नहीं।
मस्त रहो मस्ती में,आग लगे बस्ती में
मर्द को दर्द,श्रेष्ठता का पैमाना,पुरुष दिवस,एक त्यौहार-यहाँ भी आएं
क्या कहें दीपक जी,
जवाब देंहटाएंआपकी बातों में गज़ब की रवानी है।
ये टूटी फूटी नहीं ,तोड़ू फोड़ू रचना है ।
जवाब देंहटाएंआज शाम मैं तेरी याद के साथ हूँ
जवाब देंहटाएंये सुहानी भी है विरानी भी है...
बहुत सुन्दर....बढ़िया शेर ....
हमें काहे बात का आभार भई..हमारी कोई गल्तई नहीं है इसमें. :) हा हा!!
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रस्तुति!! छा गये!!
प्रिय दीपक
जवाब देंहटाएंइन दिनों अपने कम्प्यूटर साहब को गले की कुछ तकलीफें हैं , लिहाज़ा वे आपकी आवाज हम तक पहुंचा नही पाये , बहरहाल पढवाया जरुर ! एक सुन्दर अभिव्यक्ति ! गहन भावों का प्रकटीकरण !
बहुत सुन्दर गज़ल ........ लेकिन सुन नही पाई शायद कोई प्रॉब्लम है ......
जवाब देंहटाएंअरे वाह्…………आवाज़ मे तो बहुत दम है………………सुनकर मज़ा आ गया।
जवाब देंहटाएंकल के चर्चामंच पर आपकी ये पोस्ट होगी।
आज शाम मैं तेरी याद के साथ हूँ
जवाब देंहटाएंये सुहानी भी है विरानी भी है
Another gem!
पोस्ट के साथ-साथ रचना भी सुन्दर है!
जवाब देंहटाएंज़िंदगी तू बड़ी अजब फिल्म है
जवाब देंहटाएंतू दहशत भी है रूमानी भी है
बेहतरीन। लाजवाब।
दीपक,अच्छा तो गाया है तुमने...इतने कॉन्शस क्यूँ हो रहें थे :)
जवाब देंहटाएंआवाज़ तो माशाल्लाह वैसे ही अच्छी है....और रचना भी सुन्दर....शुभकामनाएं ढेर सारी
दीपक बहुत सुन्दर..........हाँ गाते समय शायद तुम्हारे दिमाग में ये भी था कि तुम अकेले गा रहे हो? यदि इसे ये समझ कर गाते कि सामने पब्लिक बैठी है और तुम मंच पर हो तो ............ गाने में थोड़ी सी रवानी लाओ...........मजेदार लगेगा.
जवाब देंहटाएंयदि अन्यथा न लगे (जो गाना जानते हैं, उनको तो) तुम कुमार विश्वास की कविता "कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है" सुन लो...........
वैसे लगे रहो तो हम अपनी ग़ज़ल और कवितायेँ तुमसे ही रिकार्ड करवा लें. एक ब्लॉग हम भी बना लें..........कुमार दीपक ? क्या ख्याल है?
जय हिन्द, जय बुन्देलखण्ड
बहुत सुन्दर भैया छा गये
जवाब देंहटाएंतेरी बात पे क्या भरोसा करुँ
जवाब देंहटाएंये हकीकत भी है औ कहानी भी है
ज़िंदगी तू बड़ी अजब फिल्म है
तू दहशत भी है रूमानी भी है
बहुत सुंदर नज्म और गाया भी आपने सही ।
कैसे माने जहाँ विष पिलाए बिना
जवाब देंहटाएंमीरा रानी भी है, दिवानी भी है ...
ये पंक्तियाँ पहले सिर्फ पढ़ी थी ...
आज भी इतनी ही अच्छी लगी ...तुम्हरी आवाज़ में सुनकर ...!
बस गायक बनना ही बाकी रह गया था न ? अरे कुछ तो छोड़ दो ..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर गया है.
mujhe p nahi mila, so main sun nahi paayi aapne ise kaise gaya hai.. Padhne par kuch chhoti chhoti si galtiyan hain jo flow bigadti hain, abhi aur kaam kiya ja sakta hai..
जवाब देंहटाएंMatla bahut accha laga
आपकी आवाज़ के क्या कहने
जवाब देंहटाएंइसमें कशिश भी है ये रूहानी भी है ....
बहुत लाजवाब प्रयास है ..... ग़ज़ल और भी खूबसूरत हो गयी .....
कैसे मान लिया जाय विष पिलाये बिना, मीरा रानी भी है दिवानी भी, यह बहुत सुन्दर दिल को छू लेने वाली पंक्तियां हैं दीपक भाई। आप की गज़लों में जो लोकगीत का स्वाद है, वह अनछुआ है। वही आप की रचना का रस तत्व है। बहुत अच्छी रचनाएं, शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंbahut khoob janab
जवाब देंहटाएंबेहतरीन गजल
जवाब देंहटाएंशानदार प्रस्तुति ..........
जवाब देंहटाएंज़िंदगी तू बड़ी अजब फिल्म है
जवाब देंहटाएंतू दहशत भी है रूमानी भी है
आज शाम मैं तेरी याद के साथ हूँ
ये सुहानी भी है विरानी भी है
बहुत अच्छे शेर हैं..........