बहुत कम ऐसे नेता होंगे जिनके कुकृत्यों की वजह से उनकी सूरत(कूरत कह सकें तो बेहतर) मात्र से ही हमें नफरत हो जाए.. दिग्विजय सिंह कांग्रेस के ऐसे ही नेताओं में से है. सच है यह दिग्विजय सिंह आज तक किये गए अपने कामों से सिर्फ नफरत के लायक ही लगता है. जाने क्यों लगता है की बहुत जल्द ही कहीं इसे सड़क पर रोक इसकी जूतों से मरम्मत न कर दी जाए.
इस घटिया नेता की हर बयानबाजी सिर्फ सुर्खियाँ बटोरने के लिए होती है यह अब हर वो व्यक्ति जान गया है जो कांग्रेस का अंधभक्त नहीं है. कभी-२ तो लगता है कि यह व्यक्ति उन लोगों में है जो अपने भले के लिए, वोटबैंक के लिए अपनी माँ को भी सरेआम गालियाँ दे दे. एक वर्ग विशेष के कुछ विचित्र मानसिकता वाले लोगों को खुश करने के लिए जो एक दुर्दांत आतंकवादी को जी कह कर संबोधित कर सकता है वह कुछ भी कर सकता है.
कांग्रेस भी इसका इस्तेमाल सिर्फ निजी हित के लिए करती हुई लगती है. ठीक एक क्रिकेट मैच के आखिरी पंक्ति के बल्लेबाज की तरह जिसको कि ९वें विकेट गिरने के बजाय दूसरे विकेट गिरने पर ही मैदान में उतार दिया कि चल जाए तो कम नहीं, खो जाए तो ग़म नहीं.. वैसे दिग्विजय सिंह की औकात कांग्रेस में एक दोयम दर्जे के नेता से ज्यादा नहीं, जिसको कि खुली छूट है कि कभी भी कुछ भी भौंको.. खुल्लमखुल्ला कुछ भी बोलने की इज़ाज़त है, वो सब जिससे कि कांग्रेस का वोटबैंक मजबूत हो. लोग भड़क जाएँ और हमारे साथ आ जाएँ तो अच्छा वर्ना अगर उल्टा परिणाम दिखे तो दिखावे के लिए दिग्विजय को महासचिव पद से हटा दो. लेकिन असलियत में उसपर कांग्रेसी दिग्गजों का वरदहस्त रहेगा. कांग्रेस आलाकमान द्वारा हमेशा उसका वैसे ही ख्याल रखा जाएगा जैसे शिवराज पाटिल को राज्यपाल बना और विलासराव देशमुख को केंद्र सरकार में मंत्री बना रखा जा रहा है. भले ही लोगों की नज़र में तुरत-फुरत कुछ भी कर दिया जाए, शायद यही वह आश्वासन है जो दिग्विजय सिंह को गन्दगी उगलने में सहायक है.
दूसरी तरफ बुंदेलखंड को लेकर खेली जा रही कांग्रेस की राजनीति साफ़ ज़ाहिर है, जहाँ दिग्विजय ने मनमोहन-राहुल की चुनावी तैयारी वाली सभा की पूर्वसंध्या पर कांग्रेस को बुंदेलखंड का समर्थक बताया और अगले दिन बड़े कांग्रेसियों ने उसका मुँह बंद करा कर स्टेज पर चुप्पे बैठे रहने दिया, जैसे कह दिया हो कि, ''ज्यादा ची-चपाड़ की तो उतार देंगे अभी मंच से नीचे.. उतना ही बोला करो जितना कि हम लोग कहें, ज्यादा अपने घुटने मत लगाया करो..''. और इसी तरह आज़ादी के बाद से ही पृथक बुंदेलखंड के नाम पर इस अतिपिछड़े खण्ड के निवासियों को कांग्रेस द्वारा निरंतर छला जा रहा है. इस बार भी महासेवक मनमोहन सिंह ने बुंदेलखंड की मदद करके अहसान सा किया और उसका श्रेय भी सार्वजनिक मंच पर चढ़ कर अपने छोटे मालिक और बड़ी मालकिन को दे दिया. यह बात हमें जल्द ही समझ लेना चाहिए की उत्तरप्रदेश जैसे प्रदेशों के पिछड़े होने का एक कारण बड़ा प्रदेश होना भी है, जिसको एक साथ बेहतर प्रशासन देने के लिए छोटा राज्य बनाया ही जाना चाहिए.
सोनिया गांधी एक तरफ तो भली, ईमानदार, लौह नेता बनने की नौटंकी फैला रही हैं दूसरी तरफ चुपचाप पीछे से भ्रष्टाचार, शोषण और अनर्गल मगर वोटखेंचू बयानबाजी को सह दे रही हैं. सच है कूटनीति बड़े अच्छे से सीख गई हैं कांग्रेस अध्यक्ष.
दीपक मशाल
raajneeti isi ko kahte hain, dipakji,
जवाब देंहटाएंaise netaon ko kitne bhi joote maaro koi fark nahin padta , jyada se jyada logon ko aakarshit karne ka ye netaon ka puraana hathiyaar hai
कोंग्रेस में अगर दिग्विजय सिंह जैसे नेताओं की बहुतायत है, तो यह पार्टी आम जनता का क्या भला करेगी?...आपने सच्चाई सामने रखी है!
जवाब देंहटाएंकांग्रेस ने दिग्विजय सिंह को गंदगी फ़ैलाने के लिये ही छोड़ा हुआ है, सोचिये जब ये महाशय टीवी पर बोलते हुए दिखाये जाते हैं, तो इच्छा होती है कि इनके मुँह पर ही थूक दिया जाये, और अगर टीवी फ़ोड़ देने से ये भी फ़ूट जायें तो कम से कम एक टीवी का नुक्सान तो मैं सह सकता हूँ।
जवाब देंहटाएंसोनिया गांधी एक तरफ तो भली, ईमानदार, लौह नेता बनने की नौटंकी फैला रही हैं दूसरी तरफ चुपचाप पीछे से भ्रष्टाचार, शोषण और अनर्गल मगर वोटखेंचू बयानबाजी को सह दे रही हैं. सच है कूटनीति बड़े अच्छे से सीख गई हैं कांग्रेस अध्यक्ष.
जवाब देंहटाएंAalekh kaa harek shabd sahee hai...khaas kar ye aakharee panktiyan!
बहुत दिनों बाद दिखायी दिए और नए तेवर के साथ। मुझे तो प्रधानमंत्री के उस बयान पर शर्मिन्दगी हुई कि "मै सोनिया जी और राहुल जी का आदेश मान रहा हूँ, उन्होंने जो भी आदेश दिया था मैंने पूरा किया है" देश को ऐसे कठपुतली प्रधानमंत्री से कौन बचाएगा, समझ नहीं आता। दिग्विजय सिंह तो कांग्रेस द्वारा छोड़ा गया ----- है।
जवाब देंहटाएंबाबा रे बड़े गुस्से में हो ....वैसे गुस्सा जायज़ भी है.
जवाब देंहटाएंएक नारा याद आ रहा है -----लिखूँ..?
जवाब देंहटाएंदिग्विजय सिंह को गंदगी फ़ैलाने के लिये ही छोड़ा हुआ है
जवाब देंहटाएंजायज है तुम्हारा आक्रोश...बहुत ही स्पष्टता से लिखा है.
जवाब देंहटाएंसोनिया गांधी एक तरफ तो भली, ईमानदार, लौह नेता बनने की नौटंकी फैला रही हैं दूसरी तरफ चुपचाप पीछे से भ्रष्टाचार, शोषण और अनर्गल मगर वोटखेंचू बयानबाजी को सह दे रही हैं. सच है कूटनीति बड़े अच्छे से सीख गई हैं कांग्रेस अध्यक्ष.
जवाब देंहटाएंएकदम सटीक और स्पष्ट पोस्ट..... हर बात से सहमत हूँ.....
सहमत हूँ, ऐसी गैर-ज़िम्मेदार बयानबाज़ी से बाज़ आये यह शख्स।
जवाब देंहटाएंVivek Rastogi ने कहा…
जवाब देंहटाएंविवेक भाई के कमेन्ट को मेरा वाला भी माना जाय--- टाइम भी वही मानिए वरना देर हो जायेगी
कांग्रेस ने दिग्विजय सिंह को गंदगी फ़ैलाने के लिये ही छोड़ा हुआ है, सोचिये जब ये महाशय टीवी पर बोलते हुए दिखाये जाते हैं, तो इच्छा होती है कि इनके मुँह पर ही थूक दिया जाये, और अगर टीवी फ़ोड़ देने से ये भी फ़ूट जायें तो कम से कम एक टीवी का नुक्सान तो मैं सह सकता हूँ।
७ मई २०११ ५:०३ अपराह्न
जरा सोचो अगर राजनीति में दिग्विजय न हों तो जीवन कितना नीरस हो जाए :)
जवाब देंहटाएंमरम्मत हो ही जाये तो ज्यादा अच्छा है.
जवाब देंहटाएंजिस दिन जनता ने साहस कर कदम आगे बढ़ा दिया तो बहुत पिटेगा दिग्गी....
जवाब देंहटाएंDeepak ji -aap mere blog par aaye v apne vicharon se avgat karaya iske liye hardik dhanyvad .vaise maine koi puraskar grahan nahi kiya hai balki ek pratiyogita me jeeta hai .maine samman samarohon par aaptti isi liye uthhai hai ki samman pradan karne ka aadhar banayeeye .pahle sarvsammati se nirnayak mandal gathhit kijiye .bahut sudhar ki aavshaykta hai .aap ye n samjhe ki mujhe samman nahi mila to mai yah aalekh likhne baithh gayee aap log to fir anna ke jantar mantar par kiye gaye dharne ko bhi unke swarth sidhi ka nam de sakte hain .samman aapne paya hai ya kisi aur ne par aadhar to pata hi hona chahiye .
जवाब देंहटाएंSAHI KHAHA HAI AAPNE VAESE AAPKA GUSSA JAYAJ HAI .
जवाब देंहटाएंJANTA KA ROSH KAHAN TAK JATA HAI BAS YAHI DEKHNAHAI
आपका गुस्सा जायज है .अब देखते हैं की जनता का गुस्सा कब तक दबा रहता है
जवाब देंहटाएंलगता है बिस्सू (विश्वनाथ सिंह ) की आत्मा प्रविष्ट हो गयी है इसमें :)
जवाब देंहटाएंअरे अब राजनिती मे भी?--- आजकल लगता है नेता बन गये हो तभी तो इतने दिनों से कोई खैर खबर नही? आशीर्वाद।
जवाब देंहटाएंsarthak lekh ab rajniti hai jitna uta hi kam
जवाब देंहटाएंदीपक जी, आपने भारतीय ब्लॉग लेखक मंच पर एक कमेन्ट किया था, उसी के माध्यम से आया आपके ब्लॉग पर. मैं यहाँ काफी देर तक रहा लिहाजा किसी एक पोस्ट पर टिप्पणी करना नाइंसाफी होगी क्योंकि सभी लेख तारीफ के काबिल हैं. इसलिए मैं अपनी बता कहता हूँ. "भारतीय ब्लॉग लेखक मंच" सभ भारतीय ब्लोगरो का सामूहिक मंच है. आप जैसे लेखक हमसे जुड़ेंगे तो हमें ख़ुशी होगी और हमारा परिवार मजबूत भी होगा.
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ये छिछोरा अपनी जमीन तैय्यार करने के लिये ऐसा बकता रहता है
जवाब देंहटाएंसब कठपुतलियां है बाबू मोशाय, असली डोर तो उस ऊपर वाली के हाथ में है कि किसे कब बोलना है और क्या बोलना है।
जवाब देंहटाएंये न बोलेंगे तो कोई और बोलेगा, बोला जरूर जायेगा।
धिक्कार है ! लानत है ! थू है !
जवाब देंहटाएंहिंदुस्तान का मूल नागरिक अगर ज़िंदा है तो ऐसे लोगों और इनकी पार्टियों को सबक सिखाए … वरना नपुंसक की तरह अपनी छाती पर मूंग दलवाता रहे …
मतदान का महत्व समझें ! वही अवसर है …
Very nice...
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