मंगलवार, 6 अक्तूबर 2009

कभी वो सूरज से मिलाता था नज़र ,



कभी वो सूरज से मिलाता था नज़र ,
अब नज़र खुद से मिलाई नहीं जाती.

बात करता था कभी गरज से बादल की,
अब सदा खुद की ही सुनायी नहीं जाती..

ऐसे भीगी हैं पलक अबके सावन में,
लाख तूफां से वो सुखाई नहीं जाती.

तेरे आँगन में बिछा के आया था जो,
वो किरच आँख से उठाई नहीं जाती.

तेरी यादों को संजोने की जगह मिलती नहीं,
नापाक दिल में ये खुश्बू बसाई नहीं जाती.

चाँद आये कभी जो तेरी गली तो कह देना,
दोस्ती चाँदनी से अब निभाई नहीं जाती.

इस कदर तुम से खफा हो गया वो 'मशाल',
की वजह-ए-खामोशी भी बताई नहीं जाती..

दीपक चौरसिया 'मशाल'

10 टिप्‍पणियां:

  1. वाह!!

    क्या खूब कहा है...

    अब दोस्ती चाँदनी से निभाई नहीं जाती..

    बेहतरीन!!

    जवाब देंहटाएं
  2. behterin....

    aapki kavitaaien aur aapke comments nai qulam main kai baar padhe hain.....

    ...aaj paka khud ka blog dekhkar prasannta hui...

    kahin main aapko koi aur 'mashal' to nahi samajh raha hoon....

    jo bhi ho har mashal jal rahi hai....
    roshni de rahi hai apni nazmoon se !!

    जवाब देंहटाएं
  3. Dipak........... bahut khoob likha hai bhai.......... baar baar padhne ko jee kar raha hai......... kai line to ismein se quote karne wali likhi hain.........

    GR8888888888888

    do keep it up............

    U will sure light a "MASHAAL" ov the horizon.....

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत खुबसूरत गजल
    आपके सकारात्मक विचार पढ़कर ख़ुशी हुई

    जवाब देंहटाएं
  5. चाँद कभी आये जो तेरी गली तो कह देना
    दोस्ती चांदनी से अब निभाई नहीं जाती

    बहुत खूब .....!!

    इस कदर तुमसे खफा हो गया वो मशाल
    की वजह ए खामोशी भी बताई नहीं जाती ....

    खामोश रहे तुम भी खामोश रहे हम भी
    दोनों की ये खामोशी जाने कितनी बातें कह गई

    मोहब्बत फिर अपनी इक दर्द भरी कहानी कह गयी .......!!


    [ ब्लॉग पे जर्रा नवाजी का शुक्रिया ....मुझ से कई अच्छे लिखने वाले यहाँ हैं ....हम सभी एक दुसरे से सदा कुछ न कुछ सीखते ही हैं ....आपकी पिछली पोस्ट पढ़ी ....हम किसी दुसरे ब्लॉग पे जाते हैं महज़ टिप्पणी के लिए नहीं उसकी हौंसला अफजाई तो होती ही है हमें खुद भी कुछ सिखने को मिलता है ...अपने आप में पूर्ण तो कोई भी नहीं होता ........आप भी अच्छा लिखते हैं गुरु सुबीर जी की शरण लेगें तो ग़ज़ल की बारीकियों से अवगत हो सकेगें .....!!

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  6. हौसला अफजाई के लिए आप सभी गुरुओं को सादर नमन. दर्पण जी आपने सही पहिचाना मैं आपका वही अदना सा शागिर्द हूँ. हरकीरत जी, शोभना जी, महफूज भाई और समीर अंकल का मार्गदर्शन करने के लिए तहेदिल से शुक्रिया करता हूँ.

    जवाब देंहटाएं

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