मंगलवार, 27 अक्तूबर 2009

क्या आप पहिचानते हैं इन्हें????~~~~~~~~~~~~ दीपक 'मशाल'

 क्या आप पहिचानते हैं इन्हें???? बस एक बार आप इनके गाये हुए गीत इन लिंकों पर सुन लेंगे तो मुझे भरोसा है कि मेरी तरह आप भी ना सिर्फ इनकी आवाज़ बल्कि इन गीतों और इनके पीछे छिपी देश और समाजहित कि भावनाओं के दीवाने हो जायेंगे...... अगर आपकी संवेदनाएं मर चुकी होगीं तो फिर से जीवित हो जाएँगीं और अगर सो रही होंगी तो जाग जाएँगीं.
इनके चेहरे से ही शायद आपको भी इस चेहरे के स्वामी में कूट कूट के भरी सच्चाई और ईमानदारी के दर्शन होंगे. लेकिन दुर्भाग्य कि इनका प्रशंसक होने के बावजूद मुझे इनके नाम(विनय जी) के अलावा इनके बारे में कुछ नहीं पता....  आपसे विनम्र निवेदन है कि यदि आप इनके बारे में जानते हों तो कृपया मुझे जरूर बताएं.... मैं आपका आभारी रहूँगा..
http://www.youtube.com/watch?v=WQCckYsS7bw

http://www.youtube.com/watch?v=Oi5XnHnEv9k

 आज मैं ईश्वर को धन्यवाद देना चाहूंगा कि उन्होंने आदरणीय गुरुदेव श्री पंकज सुबीर जी को, जो दीवाली के दिन से ही विषाणु ज्वर(वाइरल बुखार) से पीड़ित थे, उन्हें राहत प्रदान की इसके अलावा हमारे शेरदिल, जांबाज़, देश के सच्चे लाल भाई गौतम राजरिशी जी को पूर्णरूपेण स्वस्थ कर दिया......लेकिन दुःख है की दूसरी तरफ युवा दिलों की धड़कन महफूज़ भाई को वाइरल बुखार के प्रकोप से ग्रसित कर दिया... मुझे डर है कि जाने मेरी पिछली पोस्ट से इसका कोई ताल्लुक तो नहीं.....  आप सबसे गुजारिश है की बड़े भाई के शीघ्र  स्वस्थ्य लाभ के लिए दुआ करें, मेरी तो अब ऊपर वाला सुनता ही नहीं.....

      अंत में चलते चलते वो कविता जिसमे अपनी कलम से पुरुषों के लिए नारियों द्वारा दिया गया सन्देश लिखने की कोशिश की है......... जिसमे की नारियां सदियों से अपने ऊपर होती आ रही ज्यादती को आज भी एक चुनौती मान कर स्वीकार करने के लिए तैयार हैं.....

बाद विरह के कई बरस के,
किया गया था उसे खड़ा इक सवाल की तरह,
और जवाब के लिए
था कूदना पड़ा अग्नि में
अपने को
कंचन साबित करने के लिए.


कभी थी लगी दांव पे
इक वस्तु की तरह महज़,
और हारी भी गयी,
लाज उसकी उतारी भी गयी,
घसीटा गया उसे,
दासी साबित करने के लिए.


सदैव उसने ही किया तप,
अपने आराध्य पति को पाने को,
कभी भस्म हुई थी
अग्निकुण्ड में
क्यों???..सिर्फ...
समर्पण साबित करने के लिए.


थी मृत्युदेव से भिड़ी कभी,
वो राह में थी अडी तभी,
लाने को वापस प्राण...
निज प्राणप्रिय के
स्वयं को...
सती साबित करने के लिए.


हे पुरुषवादी मानसिकता के झंडावरदारों!!!!!!!!
इक बुरी खबर है आपके लिए,
कि नारी अबतक हारी नहीं,
हाँ और अब भी खड़ी है,
तुम जो चाहो....
वो साबित करने के लिए.


तुम समंदर हो गए,
वो कतरा ही रह गयी..
फिर भी डरते हो क्यों?????
कि वो कहीं उठ न जाये
तुम्हे कतरे का....
कर्जदार साबित करने के लिए.
दीपक 'मशाल'
चित्रांकन- दीपक 'मशाल'

जय हिंद......

27 टिप्‍पणियां:

  1. सभी वायरल पीड़ितों को मुक्ति की मंगलकामनाएँ...गुरुदेव से ले शिष्य तक...और आपको तो कित्ती बार बधाई दें भाई?? :) जबरदस्त रचते हो कि आवाक रह जाते हैं....

    जवाब देंहटाएं
  2. bilkul satya likha hai aapne....ek baat aur bolungi Dipak....aaj ki ladkiya aage badh rahi hai lakin shaadi se dur hoti ja rahi hai...is soch ko badhava dene ke liye PURUSHVDI MAANSIKTA hai jo aaj bhi khud ko special manti hai....aaj bhi ladkiya success pane ke baad bhi agni parikhsha se gujre ye PURUSHVDI MAANSIKTA chati hai....aaj hum 21 sadi mein hai phir bhi ladkiyo ki vahi dasha hai....

    जवाब देंहटाएं
  3. आज दीपक की ये कविता पढ़ कर मेरी कलम भी कुछ लिख बैठी और सभी से १ सवाल पूछ रही है.....आशा है आप सभी मुझे इस का ज़वाब देंगे.....मेरा ब्लॉग www.shobhnathemystery.blogspot.com

    जवाब देंहटाएं
  4. महफूज़ को बुरी नज़र से ऊपर वाला महफूज़ रखे और वो जल्दी चंगा होकर अपने लेखों से ब्लॉग जगत को चंगा करे...एक बात और कल महफूज़ का जन्मदिन भी है...इसलिए शीघ्र स्वस्थ होने की दुआ और बधाई एक साथ...

    जय हिंद...

    जवाब देंहटाएं
  5. प्रभावशाली कविता....

    महफूज़ अली जी के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना के साथ-साथ उनको आने वाले जन्मदिन की भी बहुत-बहुत बधाई

    जवाब देंहटाएं
  6. वाईरल पीडितो के ईश्वरीय राहत की प्रार्थना करता हूं और आपकी कलम का जादू बना रहे इसके लिये भी।तारीफ़ क्या करूं?सब तो कर चुके हैं और पूरी फ़ौज़ आने वाली है,बाकी लोगो को भी मौका मिलना चाहिये।बहुत खूब्।

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत बडिया प्रस्तुति। अभी जल्दी मे हूँ सहेज ली तुम्हारी पोस्ट बाद मे सुनती हूँ । आशीर्वाद्

    जवाब देंहटाएं
  8. mahfooz bhai ke liye dua mangte hain.. aur itni sundar rachna pesh karne ke liye aapka dhanyawad karte hain... samaz ki buraaiyon ke against likhi rachnayein mujhe bahut pasand aati hain.. aur hamein sirf likhne ke liye nahi likhna chahiye.. jeevan mein agar kuch utaar paaye to bahut acchi baat hogi... shukriya..

    जवाब देंहटाएं
  9. आप सबसे गुजारिश है की ये लिंक जरूर सुनें और यदि विनय जी से परिचित हों तो बताएं....

    जय हिंद...

    जवाब देंहटाएं
  10. ये गीत जितने सुन्दर तरीके से गाये गए हैं उतने ही सुन्दर तरीके से लिखे भी गए हैं, सुनवाने की लिए धन्यवाद्... विनय जी को जनता तो नहीं हूँ..

    जवाब देंहटाएं
  11. कतरे के कर्ज़दार की बात बिलकुल सही कही है....और एक पुरुष के मुख से और भी अच्छी लगी....जिस दिन ये कतरा कतरा...जमा होने लगेगा, पुरुषों को जबाब देना मुश्किल हो जायेगा
    महफूज़ की तबियत नासाज़ है?...ब्लोग्स पर उनकी सक्रियता देख यह इल्हाम ही नहीं हुआ...शीघ्र स्वस्थ होने की शुभकामनाएं

    जवाब देंहटाएं
  12. बहुत अच्‍छी कविता पूरी कविता बांध कर रखती है । सभी छंद प्रभावी हैं । अंत पर थोड़ी मेहनत और हो सकती थी । नारी की पीड़ा का पूरी तरह से व्‍यक्‍त करती है ये कविता । बधाई ।

    जवाब देंहटाएं
  13. गीत बहुत मधुर हैं.
    वाई रस में डूबे सभी भाइयों को समर्थन.
    महफूज़ भाई को तो जन्मदिन की मुबारक कल ही देंगे.

    जवाब देंहटाएं
  14. Deepak Adab,
    Aapka phone rakhtey bhi yahan aai hun, jis 'Right to Information' Song ke barey me aap ne poochha hai main un me se kuchh logon ko achhi tarah se janti hun. Details k liye phone kiya tha abhi woh train me hain, raipur pahunch kar details bhejengi, pichhley 5 din se woh mere room par mere saath ruki hui thin, is video me woh bhi visible hain Aruna ji k saath. We are all working together in one of the organizations for Muslim Women.

    poori detail bhejti hun, jald-az-jald.
    regards,
    Sheeba

    जवाब देंहटाएं
  15. madhur गीत है ......... मन को choote huve ........... mahfooz भाई जल्दी ही bukhaar से मुक्त होंगे .........
    आपकी कविता भी jordaar है ..........

    जवाब देंहटाएं
  16. Deepak..
    bahut hi ozpoorn aur samay-saamyik kavita...
    jaankar accha laga naari ke baare mein auron ke bhi man mein jaagrukta hai..
    khush raho..
    Jai Hind

    जवाब देंहटाएं
  17. तुम समुन्दर हो गये
    वो कतरा रह गयी
    कतरे को भी तो कुतरने को आतुर हैं लोग
    साजिश जारी है यह नहीं है महज़ संजोग
    इतना सुमधुर गीत सुनवाने के लिये धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  18. आशा कम विश्वास अधिक है की ऐसे ही आगे भी आप लोगों से स्नेह, आशीष व समर्थन मिलता रहेगा....

    जय हिंद...

    जवाब देंहटाएं
  19. बहुत बढिया लिख रहे हैं आप आजकल .. बहुत बहुत बधाई !!

    जवाब देंहटाएं
  20. क्या खतरनाक कविता लिख डाली है भैया..नशा हिरन हो गया पढ़ कर..आखिरी की पंक्तियां तो जैसे अल-कायेदा के वीडियो की तरह वार्निंग दे गयी..कर्ज-वर्ज साफ़ कर लूँ मै तो पहले!!

    जवाब देंहटाएं
  21. गज़ब दीपक!!!!!!!!
    इसके आगे और कुछ भी नहीं कह सकते

    जवाब देंहटाएं
  22. इस जबरदस्त लेखन को सलाम ठोकता हूँ |

    सार्थक पोस्ट

    जवाब देंहटाएं
  23. अरे वा! यह चित्र तुमने बनाया है ।

    जवाब देंहटाएं

LinkWithin

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...