बापू तेरी सच्चाई की बोली कब लगनी है?
बापू तेरी सच्चाई की बोली कब लगनी है?
घड़ियाँ, ऐनक सब बिक गए,
कह तो दे इक बार तू मुझसे
कब प्यार की बोली लगनी है.
बापू तेरी सच्चाई की.....
उम्मीद मुझे है सस्ते में,
मैं ये सब पा जाऊंगा,
शायद नीलामी के दिन मैं,
भीड़ बड़ी न पाऊंगा.
बापू तेरे आदर्शों की बोली कब लगनी है.
है खण्ड-खण्ड अखण्ड राष्ट्र अब,
अखण्ड हुए दुश्मन सारे,
अब लकुटी भी तेरी ए साधू,
हिंसा का हथियार बनी.
बापू तेरे उपदेशों की बोली कब लगनी है..
दीपक 'मशाल'
सच प्रभावित कर दिया आपने
जवाब देंहटाएंबेहद प्रभावी प्रविष्टि । आभार ।
जवाब देंहटाएंeffectiveone
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