शुक्रवार, 26 फ़रवरी 2010

आज लौट के आया हूँ तो ब्लॉगवुड में एक और नए नाम से आपका परिचय करा देता हूँ..-------->>>>दीपक 'मशाल'

आज लौट के आया हूँ तो ब्लॉगवुड में एक और नए नाम, अपने अज़ीज़  से आपका परिचय करा देता हूँ.. :)
नाम है संजय कुमार जी और बाकी परिचय आप स्वयं इस लिंक पर जाकर देखें और हमारी छोटी सी ब्लॉग दुनिया में इन नए साथी का स्वागत करें और इनका हौसला बढायें...

आपके ब्लॉग पर जाने के लिए इस लिंक पर चटका लगायें..--- http://sanjaykuamr.blogspot.com/ संजय कुमार

और हाँ ये भी वादा रहा कि अगले हफ्ते एक और नए ब्लोगर जो कि वरिष्ठ कवि भी हैं से ब्लॉग की दुनिया का संपर्क जोड़ेंगे.. :) साथ दीजियेगा..
साथ ही लीजिये हाज़िर है आपके सामने मेरी एक छोटी सी रचना-

संगठन में शक्ति है
ये लाख टके की बात
पढ़ी थी दो दर्जे में
कबूतरों और बहेलिये की कहानी में...
और अब इसी को सिद्ध करता है साइंस भी
क्योंकि साइंसजदों ने सिखाया है उसे
और हमें ये कर के दिखाया है कि
संगठन से परमाणुओं के 
संलयन से परमाणुओं के
बनने वाले हाइड्रोजन बम में
होती है कहीं हज़ार गुना ज्यादा ऊर्जा
विघटन से बनने वाले
परमाणु बम की तुलना में...
मगर ना जाने कब बनायेंगे हाइड्रोजन बम
ये टूटते परिवार
ये हर पल बँटते घर-द्वार...
दीपक 'मशाल'

21 टिप्‍पणियां:

  1. इतने दिंनो बाद आपको वापस देखकर बहुत बढ़िया लगा , कविता और परिचय दोंनो बहुत उम्दा लगा ।

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  2. श्री संजय कुमार से मिलवाने के लिए धन्यवाद!

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  3. संजय जी को शुभकामनाएं...

    ब्लॉगवुड में हाइड्रोजन बम के अविष्कारकर्ता अविनाश वाचस्पति जी बनें, ऐसी दुआ करता हूं...

    जय हिंद...

    जवाब देंहटाएं
  4. जाते हैं लिंक पर...संगठन में शक्रि है से एग्रीड. :)

    जवाब देंहटाएं
  5. परिचय करने के लिए धन्यवाद । संजय को शुभकामनायें।

    जवाब देंहटाएं
  6. संजय जी को शुभकामनाएं...

    ब्लॉगवुड में हाइड्रोजन बम के अविष्कारकर्ता अविनाश वाचस्पति जी बनें, ऐसी दुआ करता हूं...

    जवाब देंहटाएं
  7. कविता और परिचय दोंनो बहुत उम्दा लगा ।

    श्री संजय कुमार से मिलवाने के लिए धन्यवाद!


    शुभकामनाएं...

    जवाब देंहटाएं
  8. welcome back
    kavita aur parichay dono bhaut badhiya hain...
    aapka ek chhota sa parichay yahan bhi hai dekh len :)

    http://shikhakriti.blogspot.com/2010/02/blog-post_25.html

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  9. तुम कहाँ गायब हो गये थी शाम को तुम्हे मेल की है। कविता बहुत सुन्दर है नये ब्लागर को भी जरूर पढेंगे। जाती हूँ आशीर्वाद्

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  10. Nae Blogger mitra se milane ke liye aapko bahut bahut dhanyawad....kavita bahut acchi hai!!
    Aabhar

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  11. बहुत सुंदर कविता लगी, संजय कुमार जी से मिलवाने के लिये धन्यवाद अभी जाते है उन के लिंक पर.
    धन्यवाद

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  12. Maasi ji, main theek hoon.. aapka aasheerwad hai to kya hoga mujhe..
    kal baat karta hoon

    जवाब देंहटाएं
  13. संजय जी को शुभकामनायें ! आशा है स्वतंत्र लिखेंगे !

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  14. Wah bhai Wah
    परमाणु बम की तुलना में...
    मगर ना जाने कब बनायेंगे हाइड्रोजन बम
    ये टूटते परिवार
    ये हर पल बँटते घर-द्वार...

    जवाब देंहटाएं
  15. संगठित होना अच्छी है संगठन होना पता नहीं अच्छा है कि नहीं

    जवाब देंहटाएं

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