नाम है संजय कुमार जी और बाकी परिचय आप स्वयं इस लिंक पर जाकर देखें और हमारी छोटी सी ब्लॉग दुनिया में इन नए साथी का स्वागत करें और इनका हौसला बढायें...
आपके ब्लॉग पर जाने के लिए इस लिंक पर चटका लगायें..--- http://sanjaykuamr.blogspot.com/ संजय कुमार
साथ ही लीजिये हाज़िर है आपके सामने मेरी एक छोटी सी रचना-
संगठन में शक्ति है
ये लाख टके की बात
पढ़ी थी दो दर्जे में
कबूतरों और बहेलिये की कहानी में...
और अब इसी को सिद्ध करता है साइंस भी
क्योंकि साइंसजदों ने सिखाया है उसे
और हमें ये कर के दिखाया है कि
संगठन से परमाणुओं के
संलयन से परमाणुओं के
बनने वाले हाइड्रोजन बम में
होती है कहीं हज़ार गुना ज्यादा ऊर्जा
विघटन से बनने वाले
परमाणु बम की तुलना में...
मगर ना जाने कब बनायेंगे हाइड्रोजन बम
ये टूटते परिवार
ये हर पल बँटते घर-द्वार...
दीपक 'मशाल'
इतने दिंनो बाद आपको वापस देखकर बहुत बढ़िया लगा , कविता और परिचय दोंनो बहुत उम्दा लगा ।
जवाब देंहटाएंश्री संजय कुमार से मिलवाने के लिए धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंसंजय जी को शुभकामनाएं...
जवाब देंहटाएंब्लॉगवुड में हाइड्रोजन बम के अविष्कारकर्ता अविनाश वाचस्पति जी बनें, ऐसी दुआ करता हूं...
जय हिंद...
जाते हैं लिंक पर...संगठन में शक्रि है से एग्रीड. :)
जवाब देंहटाएंपरिचय करने के लिए धन्यवाद । संजय को शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंअच्छा है.
जवाब देंहटाएंसंजय जी को शुभकामनाएं...
जवाब देंहटाएंब्लॉगवुड में हाइड्रोजन बम के अविष्कारकर्ता अविनाश वाचस्पति जी बनें, ऐसी दुआ करता हूं...
कविता और परिचय दोंनो बहुत उम्दा लगा ।
जवाब देंहटाएंश्री संजय कुमार से मिलवाने के लिए धन्यवाद!
शुभकामनाएं...
welcome back
जवाब देंहटाएंkavita aur parichay dono bhaut badhiya hain...
aapka ek chhota sa parichay yahan bhi hai dekh len :)
http://shikhakriti.blogspot.com/2010/02/blog-post_25.html
behatrin
जवाब देंहटाएंparichay aur kavita dono hi badhiya hain.
जवाब देंहटाएंतुम कहाँ गायब हो गये थी शाम को तुम्हे मेल की है। कविता बहुत सुन्दर है नये ब्लागर को भी जरूर पढेंगे। जाती हूँ आशीर्वाद्
जवाब देंहटाएंNae Blogger mitra se milane ke liye aapko bahut bahut dhanyawad....kavita bahut acchi hai!!
जवाब देंहटाएंAabhar
Sanjay ji ko shubhkaamnaayein
जवाब देंहटाएंkavita bahut acchi lagi..
Holi ki shubhkaamna..
didi..
Holi ki shubhkaamna
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर कविता लगी, संजय कुमार जी से मिलवाने के लिये धन्यवाद अभी जाते है उन के लिंक पर.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
Maasi ji, main theek hoon.. aapka aasheerwad hai to kya hoga mujhe..
जवाब देंहटाएंkal baat karta hoon
संजय जी को शुभकामनायें ! आशा है स्वतंत्र लिखेंगे !
जवाब देंहटाएंsanjay ji ko shubhhkamna aapka abhar
जवाब देंहटाएंWah bhai Wah
जवाब देंहटाएंपरमाणु बम की तुलना में...
मगर ना जाने कब बनायेंगे हाइड्रोजन बम
ये टूटते परिवार
ये हर पल बँटते घर-द्वार...
संगठित होना अच्छी है संगठन होना पता नहीं अच्छा है कि नहीं
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