मात पे भी मेरी बधाई दे दी...------->>>>>>>दीपक 'मशाल'
मैंने चाहा था उम्र भर के लिए
उसने जन्मों की जुदाई दे दी
साथ रहने का वादा करके
मुझको लोगों की दुहाई दे दी
क़ैद होकर मिरे ही दिल में
मेरी धड़कन को रिहाई दे दी
इक करम माँगा था उल्फत में
तुमने सारी ही खुदाई दे दी
आके जलसे में मेरी खुशियों के
तुमने तोहफे में रुलाई दे दी
दिल को बहला तमाम बातों से
क़त्ल कर के भी सफाई दे दी
मैं मर मिटा इस अदा पे 'मशाल'
मात पे भी मेरी बधाई दे दी...
दीपक 'मशाल'
तेरी ज़ुल्फों से जुदाई तो नहीं मांगी थी,
जवाब देंहटाएंकैद मांगी थी, रिहाई तो नहीं मांगी थी...
जय हिंद...
Bahut sunder bhav liye hai ye gazal......har sher sashakt hai....
जवाब देंहटाएंAre aap to jai Bundelkhand bhee likhate hai na....... ? Jai Hind ke sath....
जवाब देंहटाएंho sakata hai bhram bhee ho ise umr me bhoole jyada hotee hai...yaddasht ko lekar.......
बहुत बेहतरीन दीपक!
जवाब देंहटाएंमात पे भी मेरी बधाई दे दी..
जवाब देंहटाएंवाह वाह बहुत खूब..
शब्दों औ' विचारों की मशाल
जवाब देंहटाएंजलती रहे सालों साल
हम हिन्दी, लिखेंगे हिन्दी
हस स्थिति हर हाल
जय हिन्दी।
दिल को बहला तमाम बातों से
जवाब देंहटाएंक़त्ल कर के भी सफाई दे दी
मैं मर मिटा इस अदा पे 'मशाल'
मात पे भी मेरी बधाई दे दी...
दीपक 'मशाल' जी!
आपकी यह गजल बहुत सुन्दर है!
बहुत बढ़िया दीपक जी ......तस्वीर भी आपकी बहुत अच्छी है .
जवाब देंहटाएंबहुत ही लाजवाब, शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
Bahut sunder bhav liye hai ye gazal......har sher sashakt hai....
जवाब देंहटाएंPZ VISITMY BLOG MY NEW POST
जवाब देंहटाएं...DESH SAPKA HAI.......
साथ रहने का वादा करके
जवाब देंहटाएंमुझको लोगों की दुहाई दे दी
इक करम माँगा था उल्फत में
तुमने सारी ही खुदाई दे दी
बहुत सुन्दर दीपक जी,
तेरी ज़ुल्फों से जुदाई तो नहीं मांगी थी,
जवाब देंहटाएंकैद मांगी थी, रिहाई तो नहीं मांगी थी...
ise padhte hi ye gana yaad aa gaya.
गहरे और सुंदर एहसास के साथ..... सुंदर कविता....
जवाब देंहटाएंदिल को बहला तमाम बातों से
जवाब देंहटाएंक़त्ल कर के भी सफाई दे दी
मैं मर मिटा इस अदा पे 'मशाल'
मात पे भी मेरी बधाई दे दी...
दीपक कमाल की नज़्म लिखी है । बेता अब इस पर बधाई भी क्या दूँ बस आशीर्वाद है । लिखते रहो ऐसे ही भावमय रचनायें ।
ग़ज़ल दिल को छू गई।
जवाब देंहटाएंबेहद पसंद आई।
jane kyo anokha niyam hai,
जवाब देंहटाएंmaut mango to zindagi, zindagi mango to maut milti hai.
touching rachana!
all the best!
बस ऐसे ही आशीष बनाये रखें मासी जी... @अपनत्व- मैम ये कोई भूल नहीं.. हाँ बस औचित्य कुछ और है(राजनीति नहीं) :).. मेरी पिछली पोस्ट की टिप्पणी देखेंगीं तो जान जायेंगी.
जवाब देंहटाएंजय हिंद...
दिल को बहला तमाम बातों से
जवाब देंहटाएंक़त्ल कर के भी सफाई दे दी
शानदार लाइनें हैं दीपक जी, बधाई
खुबसूरत एहसासों से बबुनी खुबसूरत रचना.
जवाब देंहटाएंdear
जवाब देंहटाएंaap mar miten jis ada pe woh ada bemishal hogi
pasand aayi najm
जवाब देंहटाएंजय हिन्द के संग जय बुन्देलखण्ड का नारा भी बुलंद किया जाता रहे, दीपक.
जवाब देंहटाएंये कहने की जरूरत नहीं कि इस ग़ज़ल के भाव कैसे हैं.................
अब कुछ गद्य में भी जलवा कायम करो,
शुभाशीष
जय हिन्द जय बुन्देलखण्ड
जय हिंद.... जय बुंदेलखंड...
जवाब देंहटाएंअबे स्मार्टी , ये क्या यार तुम्हारी हसीन जुल्फ़ें कहां गई क्या ये नया लुक दिया है । चलो भाई मौडल हो हमारे हीरो , तबियत अब ठीक है न । बहुत सुंदर है लिखा है , आज फ़िर दीपक की मशाल की लौ देखते ही बनती है
जवाब देंहटाएंअजय कुमार झा
सचमुच, बहुत अच्छी है - आपकी यह ग़ज़ल!
जवाब देंहटाएं--
मुझको बता दो -
"नवसुर में कोयल गाता है - मीठा-मीठा-मीठा! "
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संपादक : सरस पायस
हमारी आह पर उनकी वाह ...
जवाब देंहटाएंकोई गल नहीं जी ...दीपक तो यूँ भी जल कर ही रौशनी बिखेरता है ...
भावपूर्ण रचना ...!!
हौसला अफजाई के लिए शुक्रिया...
जवाब देंहटाएंजय हिंद... जय बुंदेलखंड...
bahut khoobsurat kahyal..
जवाब देंहटाएंaur tum behad khoobsurat shakhshiyat ke maalik bhi ho..
foto mein to kisi film star se kam nahi lag rahe ho..
bahut khhoob..
didi..
shandaar likha bhaiya...
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