कोहरे के दिनों के लिए एक खास क्षणिका-
१-
सूरज भी लगता है चंदा
कोहरे का कुछ ऐसा फंदा
आज नज़र वालों को देखा
चलते राह में होके अंधा.
२-
क़त्ल मुजरिम ने किया है
सजा मुलजिम ने पायी है
बेवफा हैं वो लकीरें
जिनसे तेरी आशनाई है
कौन करता जिरह उसके लिए
जिससे काजी की रंजिशाई है
उस शमा का क्या मतलब
जिसके जलते ही सुबहा आई है
३-
ज़िंदगी और ख्वाहिशें कुछ ऐसे मिल गयीं
के मुद्दतों से ख्वाहिशें पैदा हुई नहीं
मचलती नब्ज़ देख के कह गया हकीम
ख्वाहिशें बाकी रहीं बस ज़िन्दगी नहीं..
४-
काश कोई दीवार न होती
तेरी मेरी हार न होती
जीने को जी लेते हम भी
जो तेरी कमी हरबार न होती..
दीपक 'मशाल'
चित्र- अपनी तूलिका से..
वह दीपक जी बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति .......कोहरे का विस्तार अहसास पूर्ण है
जवाब देंहटाएंवाह..बहुत खूब...सुंदर क्षणिकाएँ....धन्यवाद दीपक जी
जवाब देंहटाएंक़त्ल मुजरिम ने किया है
जवाब देंहटाएंसजा मुलजिम ने पायी है
बेवफा हैं वो लकीरें
जिनसे तेरी आशनाई है
बहुत सुंदर एक टिप्पणी के साथ पसंद फ़्री ।:)
बहुत खूब दीपक भईया , ऐसा लगा कि जैसे हम कोहरे मे हैं ,
जवाब देंहटाएंकाश कोई दीवार न होती
जवाब देंहटाएंतेरी मेरी हार न होती
जीने को जी लेते हम भी
जो तेरी कमी हरबार न होती..
-बहुत बेहतरीन!
oho kya baat hai
जवाब देंहटाएंज़िंदगी और ख्वाहिशें कुछ ऐसे मिल गयीं
जवाब देंहटाएंके मुद्दतों से ख्वाहिशें पैदा हुई नहीं
मचलती नब्ज़ देख के कह गया हकीम
ख्वाहिशें बाकी रहीं बस ज़िन्दगी नहीं..
Kuch kar gujarane ka ye machalta sa ahsaas bahut hi pyara laga.....badhai
बेहतरीन क्षणिकाएं ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर पेंटिंग।
अरे वाह इतनी सुन्दर रचना पढने को मिले तो क्या बात हो , बहुत ही लाजवाब रचना लगी आपकी , खासकर शब्दो का संयोजन ।
जवाब देंहटाएंAre wah ....bahut sunder maja agya.
जवाब देंहटाएंमचलती नब्ज़ देख के कह गया हकीम
जवाब देंहटाएंख्वाहिशें बाकी रहीं बस ज़िन्दगी नहीं..
छा गये भाई , बढिया रचना
Bahut sunder kashanikayen....kohra gazab ka hai.badhai
जवाब देंहटाएंवो पहले की तरह नहीं मिलता
जवाब देंहटाएंतू से आप कहने लगा है
ए शोहरत
तूने मुझे मेरा यार छीन लिया।
अच्छी चीज देखकर कुछ कहने का मन हो गया था। यार।
जवाब देंहटाएंHappy bhai aap azeez hain mere yahan jo bhi kahte hain dil khush ho jata hai...
जवाब देंहटाएंखूबसूरत शेर । एक से बढ़कर एक ।
जवाब देंहटाएंकवितायें अच्छी है लेकिन छन्द का बन्धन होने के कारण केवल तुकबन्दी होकर रह गई हैं इसलिये जल्द ही इस बन्धन से मुक्त हो तो बेहतर ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर!
जवाब देंहटाएंजीवन्त है सभी चित्र!
काश कोई दीवार न होती
जवाब देंहटाएंतेरी मेरी हार न होती
जीने को जी लेते हम भी
जो तेरी कमी हरबार न होती..
बहुत अच्छी और सुंदर पंक्तियों के साथ बहुत ..... सुंदर पोस्ट....
नोट: लखनऊ से बाहर होने की वजह से .... काफी दिनों तक नहीं आ पाया ....माफ़ी चाहता हूँ....
बढिया प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंज़िंदगी और ख्वाहिशें कुछ ऐसे मिल गयीं
के मुद्दतों से ख्वाहिशें पैदा हुई नहीं
मचलती नब्ज़ देख के कह गया हकीम
ख्वाहिशें बाकी रहीं बस ज़िन्दगी नहीं..