जी हाँ आपका अनुमान सही है वो गीत है 'ऐ मेरे वतन के लोगों... ज़रा आँख में भर लो पानी....' और गीतकार हैं देशभक्ति गीतों के दिवाकर कवि पं. रामचंद्र नारायण द्विवेदी, जिन्हें हम कवि प्रदीप के नाम से जानते हैं..
आज के पुण्य दिन ही कवि प्रदीप पैदा हुए थे. कालजयी देशभक्ति गीतों के रचयिता महाकवि प्रदीप मरकर भी अपने गीतों के माध्यम से देशवासियों के दिलों में देशभक्ति की अलख जगाये हुए हैं. वास्तव में कवि प्रदीप एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भी थे जिन्होंने क्रांतिकारियों को एक नयी ऊर्जा और नयी दिशा प्रदान की. उनके गीतों ने क्रांति की बुझती मशाल में एक नयी जान फूंकी और आज़ादी के बाद भी ये कलम का वीर सिपाही कुरीतियों और सामाजिक बुराइयों के खिलाफ अपनी कलमरूपी तलवार को भांजता रहा.
प्रदीप एक अच्छे और सच्चे कवि थे... सच्चे कवि इसलिए कि सही मायने में एक कवि वो है जो जैसा लिखे वैसा ही जिए.. इसके साथ साथ वो सच्चे, भावुक व साधू इन्सान थे या कहें कि एक सतयुगी पुरुष थे तो कोई अतिश्योक्ति ना होगी.
उन्होंने लकड़ी की जिस कुर्सी और मेज पर वर्णमाला लिखना सीखा उसी पर बैठकर आखिरी समय तक कवितायें लिखते रहे... उनका कहना था कि 'जब हमारा देश अभी बुरे समय से गुज़र रहा है तो क्यों मैं सिर्फ एक नयी कुर्सी मेज़ के लिए वो पैसे बर्बाद करुँ जिनसे मैं किसी गरीब का पेट भर सकता हूँ'....तकलीफें सहते हुए भी उन्होंने कभी अपने अभावग्रस्त जीवन का जीते जी किसी से उल्लेख नहीं किया. अब कहीं मिलेगा ऐसा स्वाभिमान?
करुणा इतनी कि सिर्फ मनुष्य के लिए नहीं बल्कि एक बेजुबान पक्षी के लिए भी लिखा कि 'पिंजड़े के पंछी रे.. तेरा दरद ना जाने कोय...'
हिन्दुस्तान की आज़ादी के बाद हमारे महापुरुषों को याद करता जागृती फिल्म का उनका गीत ''आओ बच्चों तुम्हें दिखाएँ झांकी हिन्दुस्तान की... इस मिट्टी से तिलक करो ये धरती है बलिदान की.. वन्देमातरम'' आज भी अमर है....
दार्शनिक लहजे में लिखे गए गीत 'मुखड़ा देख ले प्रानी.. ज़रा दरपन में... देख ले कितना पुण्य है कितना पाप तेरे जीवन में..', 'टूट गयी है माला मोती बिखर चले...', 'तेरे द्वार खड़ा भगवान.. भगत भर दे रे झोली', 'कभी धूप तो कभी छाँव.. सुख -दुःख जिसमे दोनों रहते जीवन है वो गाँव', 'तू प्यार का सागर है.. तेरी इक बूँद के प्यासे हम' और 'कोई लाख करे चतुराई.. करम का लेख मिटे ना रे भाई..' भी सुनने लायक हैं.... सुख-दुःख को जीवन का स्थाई तत्व बताते हुए उनका गीत 'हमने जग की अज़ब तस्वीर देखी..' भी बहुत मोहक है...
जब वह महापुरुष हिन्दुस्तान के बदलते दौर को अपनी आँखों से देखते तो उनका ह्रदय चीत्कार कर उठता था. यही दर्द उनके गीतों 'देख तेरे संसार की हालात क्या हो गयी भगवान्.. कितना बदल गया इन्सान' और 'आज के इस इन्सान को ये क्या हो गया... इसका पुराना प्यार कहाँ पर खो गया..' में उभरता है.
सिर्फ ये ही नहीं और ना जाने कितने प्रचलित और कर्णप्रिय गीतों को इन्होने अपनी लेखनी से जन्मा है.. अच्छे कवि होने के साथ-साथ आप एक सम्मोहक आवाज़ के स्वामी भी थे और फिल्मों में गाये गए अपने अधिकांश गीतों को आपने स्वयं आवाज़ दी है....
देखा जाये तो उनके गीतों में आज भी नवयुग निर्माण की क्षमता है. यदि हम अपने प्रियजनों को उनके जन्मदिन पर पं. प्रदीप के भजन कैसेट भेंट करें तो निश्चय ही उस महात्मा को सच्ची श्रद्धांजली होगी.
(नोट- गीत सुनने के लिए कृपया गीत के मुखड़े पर क्लिक करें... गीत सुनें जरूर )
दीपक 'मशाल'
कवि प्रदीप को नमन!!!
जवाब देंहटाएंनिश्चित ही महत्वपूर्ण पोस्ट
जवाब देंहटाएंकवि प्रदीप को नमन
बी एस पाबला
कवि पं. रामचंद्र नारायण द्विवेदी,उर्फ़ कवि प्रदीप के पुण्य स्मरण पर आपका यह लेख संग्रहनीय है -साधुवाद !
जवाब देंहटाएंकवि प्रदीप को नमन....
जवाब देंहटाएंआवश्यक पोस्ट....
आभार.
कवि प्रदीप के गीत हमेशा ठिठककर सुनने को मजबूर कर देते हैं.
जवाब देंहटाएंसुन्दर आलेख
हम भी तो 4 फरवही को ही जन्में हैं!
जवाब देंहटाएंमगर कवि प्रदीप जी के पावों की धूल भी नही हैं!
महान कवि और गायक प्रदीप जी को नमन करता हूँ!
महत्वपूर्ण प्रविष्टि .. कवि प्रदीप को नमन !!
जवाब देंहटाएंकवि प्रदीपजी को विनम्र नमन!
जवाब देंहटाएंवर्मा जी सही कह रहे हैं - जब भी उनका स्वर कानों में पड़ता है, चलते पद ठिठक जाते हैं।
जवाब देंहटाएंउन्हें श्रद्धांजलि।
आभार।
कवि प्रदीप के विषय में जानकारी देती बहुत ही अच्छी पोस्ट!
जवाब देंहटाएंआज नेट पर हिन्दी को ऐसी ही जानकारीपूर्ण प्रविष्टियों की अत्यन्त आवश्यकता है। आइये हम सभी मिलकर प्रयास करें ऐसी ही जानकारी देने वाली प्रविष्टियाँ देने की।
ये तो सच मे महत्वपूर्ण पोस्ट है , शत-शत नमन् वीर पुरुष को ।
जवाब देंहटाएंवाह बहुत अच्छी जानकारी दी है, हम तो कवि प्रदीप जी को इसलिये भी जानते हैं क्योंकि ये उज्जैन के पास बड़नगर के रहने वाले हैं। वहीं उनका परिवार रहता है।
जवाब देंहटाएंकवि पं. रामचंद्र नारायण द्विवेदी,उर्फ़ कवि प्रदीप के पुण्य स्मरण पर आपका यह लेख संग्रहनीय है -साधुवाद !
जवाब देंहटाएंप्रदीप जी को नमन ...
जवाब देंहटाएंसंग्रहणीय प्रविष्टि ... !!
देख तेरे इंसान की हालत क्या हो गई भगवान,
जवाब देंहटाएंकितना बदल गया इंसान...
प्रदीप जी ने बहुत पहले ही आईना दिखा दिया था, लेकिन हम इंसान तो अंधे हैं न...
जय हिंद...
सार्थक पोस्ट , आदरणीय प्रदीप जी को वो सम्मान नही मिला जिसके वो हकदार थे ।
जवाब देंहटाएंdeepak ji
जवाब देंहटाएंkavi pradeep ji se milwane ke liye hardik dhanyawaad.........unke bare mein itni badhiya jankari di hai jo hamein pata nhi thi..........jitne bhi bhajan aur geet aapne bataye hain sare mere manpasand hain aur ab to ichcha ho rahi haiki ye sare ek hi jagah mil jayein to kitna achcha ho.........shukriya.
दीपक बहुत अच्छी जानकारी दी है तुमने । इसे कहते हैं साहित्य के प्रति समर्पण । प्रदीप जी को शत शत नमन और तुम्हें आशीर्वाद्
जवाब देंहटाएंभाई दीपक जी, कवि प्रदीप जी पर बहुत सार्थक पोस्ट के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया,लेकिन उनका जन्म दिन विकी पीडिया के अनुसार ६ फरवरी है लिंक दे रहा हूँ......
जवाब देंहटाएंhttp://en.wikipedia.org/wiki/Kavi_Pradeep
देख तेरे संसार की हालत क्या हो गई भगवान, कितना बदल गया इन्सान.....निश्चय ही बेहद सार्थक और ज़रूरी पोस्ट रही ये.
जवाब देंहटाएंवंदना जी, मैंने यहाँ उनके कई गानों के लिंक दिए हैं बस क्लिक करने की आवश्यकता है... अफ़सोस की किसी ने भी ये गाने सुनना ठीक नहीं समझा...
जवाब देंहटाएंजय हिंद...
विमल जी, बहुत बहुत शुक्रिया... लेकिन हिंदी अख़बारों के मुताबिक ये ४ फरवरी ही है... कई बार विकीपेडिया में लोग गलत जानकारी लिख जाते हैं विकीपेडिया पे हम ज्यादा विश्वास नहीं कर सकते, उसमे तो मैं भी बदल कर ४ फरवरी कर सकता हूँ.. या ये भी संभव है कि अखबार ही गलत हों... मैं देखता हूँ..
जवाब देंहटाएंजय हिंद...
kavi pradip ko shradhanjli
जवाब देंहटाएंयक़ीनन महत्त्वपूर्ण पोस्ट ,नमन उस महान आत्मा को
जवाब देंहटाएंबताने के लिए आभार। पता नहीं क्यों हमारे देश में गीतकार व कवि को कोई महत्व ही नहीं दिया जाता। उनके लिखे सभी गीत एक से बढ़कर एक हैं।
जवाब देंहटाएंघुघूती बासूती
वाकई आज इससे उत्तम कोई पोस्ट नहीं हो सकती.....
जवाब देंहटाएंपं.रामचन्द्र जी का ये वाला गीत तो हमने अपने मोबाईल की रिंगटोन में लगाया हुआ है...
महान आत्मा को हमारा भी नमन!!!
बहुत बढ़िया जानकारी दिया आपने इसके लिए धन्यवाद ....प्रदीप जी को हमारा सत् सत् नमन !!
जवाब देंहटाएंवास्तव में बहुत ही महत्वपूर्ण पोस्ट नमन है यैसे वीर कवि को
जवाब देंहटाएंसादर
प्रवीण पथिक
9971969084
dear dipakji
जवाब देंहटाएंaapne jo jankari di, woh aaj ke samay mai ek
mahatvapurn baat hai, unko hamara dil se naman,
lekin baat yahan khatm nahi hoti, aaj jo geet, book, hamare pasandeeda hai, yadi hum unke rachita (writer) ko bhi pasandeeda banaye, to
shayad hum bhavishya mai unka ye din kbhi nahi
bhoolenge,
par aaj jo dikhata so bikta hai
thanks
पं.प्रदीप जी की पंक्तियाँ- 'आज तो बहनों पर भी हमला होता है... दूर किसी कोने में मज़हब रोता है.....' मेरी पिछली पोस्ट के सन्दर्भ में बिलकुल खरी उतरती हैं...
जवाब देंहटाएंजय हिंद...
कवि प्रदीप को विनम्र श्रद्धांजलि
जवाब देंहटाएंअच्छी पोस्ट-आभार
कवि को नमन
जवाब देंहटाएंउनके काव्य को नमन
प्रदीप जी के स्मरण को नमन. अति महत्वपुर्ण पोस्ट.
जवाब देंहटाएंरामराम.
पं प्रदीप जी को विनम्र श्रद्धांजलि !
जवाब देंहटाएंबारम्बार श्रद्धांजलि !
उनकी विपुल रचनाओं को प्रणाम !
pradeep ji ne filmi geeto ko ek oonchai pradaan ki . ve mahaan kivi the. unaka smaran kar e aapne puny aa aam kiya hai.
जवाब देंहटाएंहम लोग सिर्फ ऐसे दिव्य आत्माओं पर पोस्ट ही लिख सकते हैं !
जवाब देंहटाएंज्यादा हुआ तो मूर्ति बनाकर खड़ा कर सकते हैं !
उनके विचारों को तो आत्मसात करने से रहे
उसके लिए तो हम इन्तजार कर रहे हैं किसी अवतार का ......
kavi pradeep ko naman .
जवाब देंहटाएंदीपक हमारी जानकारी में उनका जन्म 8 फरवरी को हुआ था.............?????
जवाब देंहटाएंफिर से देख लेना सही क्या है???
जय हिन्द, जय बुन्देलखण्ड
@ डाँ. कुमारेंद्र सिंह सेंगर जी, जहां तक तारीख की बात है वो ८ फ़रवरी भी नही शायद ६ फ़रवरी है. नीचे की लिंक पर देख सकते हैं.
जवाब देंहटाएंhttp://en.wikipedia.org/wiki/Kavi_Pradeep
रामराम
प्रिय दीपक , सिर्फ़ इतना कि आज के दिन की सबसे महत्वपूर्ण पोस्ट यही थी , कुछ गीतों को सुन चुका हूं , बांकी बुकमार्क कर लिया है आराम से सुनूंगा
जवाब देंहटाएंअजय कुमार झा
कवि प्रदीप को नमन
जवाब देंहटाएंBehad sundar,aur dilse nikala aalekh!
जवाब देंहटाएंPradeep jee ka har geet madhur hai!
आपने एक सराहनीय काम किया है कवि प्रदीप को याद करके और याद दिला के भी. मेरे पिताजी उनके बड़े प्रशंसक थे. उन्होंने उनकी कई कैसेट्स रखी हुयी थीं, जो अब भी मेरे पास हैं. पर अफ़सोस अब कैसेट प्लेयर का ज़माना ही नहीं है. तो ये कैसेट भी एक यादगार के रूप में सहेजकर रखी हैं. मैंने उनके सारे गाने सुने हैं. आप ने याद दिलाया तो वो दिन याद आ गये, जब हम सुबह-सुबह उनके गाये भजन सुना करते थे. आभार.
जवाब देंहटाएं@प्रिय मित्र बेनामी... ऐसे ढकोसलों के प्रति आपका गुस्सा बिलकुल जायज़ है..लेकिन यदि हम ब्लॉगर किसी महान आत्मा को बिना राजनैतिक या किसी अन्य स्वार्थ के याद कर रहे हैं तो इसका तो यह मतलब हुआ ना कि हम उनके विचारों का सम्मान इसीलिए करते हैं कि उनकी तरह ही बनना चाहते हैं... और सच यही है कि ब्लॉगजगत पे हर ब्लॉगर एक सच्चा इंसां है.. कुछ आपसी मतभेद भले ही हों मगर दिल के सभी भले हैं.. वर्ना इतनी बेबाकी और सच्चाई से लिख ना पाते..
जवाब देंहटाएंमुझे यकीं है कि कम से कम आप और मैं तो किसी अवतार की प्रतीक्षा नहीं कर रहे... क्योंकि हम दोनों उनके आदर्शों पर चलने की कोशिश तो कर ही रहे हैं ना.. :)
अपना नाम लिखते तो मुझे बेनामी ना कहना पड़ता... आशा है अपना शुभ नाम बताएँगे ज़रूर.. मुझे अच्छा लगेगा एक और सच्चे दोस्त से मिलके..
जय हिंद...
@mukti ji aur ye kah ke aapne mujhe mere bachpan me bhej diya.. :)
जवाब देंहटाएंpahle main is baat ko lekar bhi pareshan rahta tha ki ye bachpan kis shahar ka naam hai.. jab bhi koi sansmaran sunta to usme log kahte ki ye maha purush ek bar bachpan me aisa kar baithe...
:)
Jai Hind...
Deepak ji yah post behad amuly hai.
जवाब देंहटाएंaabhar.....
बहुत ही मन्भवान लेख'
जवाब देंहटाएंभाग्य ही था की उनसे पास बैठ सिर्फ खुद के लिए 'आओ बच्चो.................' सुन पाया एक वक्त !
नमन ! नमन !नमन !
सच में बहुत भाग्यवान हैं आप राजसिंह जी व अलबेला जी..
जवाब देंहटाएंजय हिंद... जय बुंदेलखंड...