रविवार, 14 मार्च 2010

एक अज़ब-गज़ब लोकगीत---->>>दीपक 'मशाल'

आज मस्तिष्क के समंदर में विचारों की लहरें उठने का नाम ही नहीं ले रही थीं, साथ ही तन और मन के देव और दानवों ने थके होने का बहाना बना के मंथन से भी इंकार कर दिया.
ऐसे में सोचा की आपको कुछ ऐसा पढवाता हूँ जो औरों से काफी अलग हो. अगर आपको याद हो तो कुछ समय पहले मैंने एक कविता छोटी बऊ आप लोगों को पढ़ाई थी, हाँ तो उन्ही छोटी बऊ के मुख से सुना हुआ एक बुन्देलखंडी गीत जो कि कई पंछियों को सिमेटे हुए है.. और वस्तुतः यह गीत एक चिरवा और बुलबुल की शादी का सजीव सा विवरण है. अब ये तो नहीं पता कि ये उनका खुद का सृजित किया हुआ गीत है या फिर उनके बचपन का कोई प्रचलित गीत जो सिर्फ उनके गाँव-क्षेत्र में ही लोकप्रिय हो पाया हो..
आप लोगों ने अगर कहीं और भी इसे सुना हो तो बताएं जरूर.. और जो भी शब्द समझ में ना आये पूछें जरूर..
मुझे ख़ुशी होगी बताते हुए..
और हाँ ज़रा गिनके बताइए तो इस गीत में कितने पंछी पकड़ पाए आप???????

मैना बोली चिरईयन के नोते हम जाएँ
मैना बोल गई..
सुआ ने पक्यात करी चिरवा के साथ
लगुन लिखाउन चले कौआ समझदार
बोले तीतर सरदार बाज़ बाँके चटकदार
करे मोरन सत्कार
मैना बोल गई..

सारस चंद्रेल हंस सजे बराती
टीका होउन लगे सजे कठकोला परेवा
चढाव ले के जाएँ नीलकंठ अडियाला अतंश
पपियारा के झंक, छंटा सोने सर्वंक
मैना बोल गई..

चितरू बुलबुल के संग भाँवर पड़ी
भाँवरन में गारीं गवीं
गुनवाली डोकिया है प्यारी
नाचे चमगोदर न्यारी
मैना बोल गई...

बहनी बिहान चले चिरवा ठसकदार
सजन घर ब्याह चले गावें नर-नार
मैना बोल गई...
दीपक 'मशाल'

23 टिप्‍पणियां:

  1. सारस चंद्रेल हंस सजे बराती
    टीका होउन लगे सजे कठकोला परेवा
    चढाव ले के जाएँ नीलकंठ अडियाला अतंश
    पपियारा के झंक, छंटा सोने सर्वंक
    मैना बोल गई..
    .........लाजवाब पंक्तियाँ...........

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  2. बहनी बिहान चले चिरवा ठसकदार
    सजन घर ब्याह चले गावें नर-नार
    मैना बोल गई...

    ये ब्याह जोरदार रहा।
    शुभकामनाएं।

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  3. बहनी बिहान चले चिरवा ठसकदार
    सजन घर ब्याह चले गावें नर-नार
    काश हम भी शामिल हो पाते इस शादी में, निश्चित तौर पर दहेज का कोई टंटा नही रहा होगा.
    बहुत सुन्दर
    और फिर हम पंछी को क्यों पकड़ें

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  4. बहुत अच्छी कविता।
    16 पक्षी पकड़ पाया, चमगादर को छोड़्कर।

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  5. अनूठा विवाहोत्सव। मस्त कर दिया भइए! बहुत दिनों के बाद परेवा दिखा। आभार।

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  6. बहुत सुन्दर लगी पक्षियों की बारात।

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  7. बहुत खूब दीपक जी -कितना सहज और प्रिय विज्ञानं संचार की बानगी! बहुत आभार !!

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  8. वाह बहुत खूबसूरत लगा पक्षैयों का ये समारोह। इनका आपस मे मेल मिलाप शायद तुम्हारी छोटी बऊ के मन के उद्गार और उनके जीवन का दर्पण भी हैं जो उन्हें इस गीत के माध्यम से गाना अच्छा लगता था। इस अनूठी बारात मे 18 पक्षी पकड पाई। बहुत बहुत आशीर्वाद।

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  9. बडी गजब की पोस्ट लगी दीपक मैं भी पंद्रह तो गिन ही पाया , बहुत सुंदर ,...

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  10. एक चिड़िया...अनेक चिडियाँ...
    आयेगा रे उड़ के मेरा हंस परदेशी.....
    गिनूं कैसे?....
    मैं तो खो गया हूँ...
    इनके साथ ही उड़ने लगा हूँ....

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  11. वाह !!...बहुत बढ़िया सजाई पंक्षियों की बरात ..........बहुत खूब

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  12. भईया पढ़ना तो बहुत अच्छा लगा , लेकिन समझ में कम ही आया ।

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  13. भईया इअतना सुंदर टेम्पलेट देख कर ओर इतनी सुंदर कविता पढ कर हम पक्षियो को गिनना ही भुल गये... अब क्या बताये?

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  14. परिंदों की इस चीं-चीं में गांव की मिट्टी की सौंधी सौंधी बयार का अनुभव हुआ...

    जय हिंद...

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  15. ham to kal hi sun kar ...bahute khush ho gaye the..
    bahut hi sundar laga..
    blog ka naya paridhaan ke kahne...khoobsurat..!!!

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  16. ये ब्याह भी खूब रहा...आनन्द आ गया..बधाई.

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  17. Sabhi 18 panchhiyon ke naam dhoondhne par Nirmala masi ko badhai aur 16 dhoondhne par shree Manoj ji ko.

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  18. बहुत अच्छे ..इस लोक से ही रचना सम्भव है ।

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