पूजा के लिए सुबह मुँहअँधेरे उठ गया था वो, धरती पर पाँव रखने से पहले दोनों हाथों की हथेलियों के दर्शन कर प्रातःस्मरण मंत्र गाया 'कराग्रे बसते लक्ष्मी.. कर मध्ये सरस्वती, कर मूले तु.....'. पिछली रात देर से काम से घर लौटे पड़ोसी को बेवजह जगा दिया अनजाने में.
जनेऊ को कान में अटका सपरा-खोरा(नहाया-धोया), बाग़ से कुछ फूल, कुछ कलियाँ तोड़ लाया, अटारी पर से बच्चों से छुपा के रखे पेड़े निकाले और धूप, चन्दन, अगरबत्ती, अक्षत और जल के लोटे से सजी थाली ले मंदिर निकल गया. रस्ते में एक हड्डियों के ढाँचे जैसे खजैले कुत्ते को हाथ में लिए डंडे से मार के भगा दिया.
ख़ुशी-ख़ुशी मंदिर पहुँच विधिवत पूजा अर्चना की और लौटते समय एक भिखारी के बढ़े हाथ को अनदेखा कर प्रसाद बचा कर घर ले आया. मन फिर भी शांत ना था...
शाम को एक ज्योतिषी जी के पास जाकर दुविधा बताई और हाथ की हथेली उसके सामने बिछा दी. ज्योतिषी का कहना था- ''आजकल तुम पर शनि की छाया है इसलिए की गई कोई पूजा नहीं लग रही.. मन अशांत होने का यही कारण है. अगले शनिवार को घर पर एक छोटा सा यज्ञ रख लो मैं पूरा करा दूंगा.''
'अशांत मन' की शांति के लिए उसने चुपचाप सहमती में सर हिला दिया.
दीपक 'मशाल', लघुकथा
कहानी का लक्ष्य बहुत समर्थ भाषा में संप्रेषित हुआ है ।
जवाब देंहटाएंछोटी पर बहुत सार्थक......
जवाब देंहटाएं.....अब पहेलियों का नंबर है.....
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विलुप्त होती... नानी-दादी की बुझौअल, बुझौलिया, पहेलियाँ....बूझो तो जाने....
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http://laddoospeaks.blogspot.com/2010/03/blog-post_23.html
लड्डू बोलता है ....इंजीनियर के दिल से....
nice
जवाब देंहटाएंबहुत समर्थ भाषा में संप्रेषित हुआ है ।
जवाब देंहटाएंक्या बात है
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर बोधात्मक लघुकथा
विचारों की मशाल के दीपक यूं ही प्रज्वलित करते रहो।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया प्रस्तुति ...
जवाब देंहटाएंबहुत सधी हुई कथा..बधाई.
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हिन्दी में विशिष्ट लेखन का आपका योगदान सराहनीय है. आपको साधुवाद!!
लेखन के साथ साथ प्रतिभा प्रोत्साहन हेतु टिप्पणी करना आपका कर्तव्य है एवं भाषा के प्रचार प्रसार हेतु अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें. यह एक निवेदन मात्र है.
अनेक शुभकामनाएँ.
ज्योतिषी ने कह दिया तो मानना ही पड़ेगा।
जवाब देंहटाएंऔर मन शांत भी हो जायेगा ।
ashant man ko shant karne ka mantra to
जवाब देंहटाएंswyam insan ke paas hota hai, apni antratma ki awaj suno shanti hi shanti milegi
aapne achhi baat likhi
सारगर्भित ………………।उत्कृष्ट लेखन का परिचायक्।
जवाब देंहटाएंsaarthak lekhan........
जवाब देंहटाएंलघुकथा बहुत प्रेरक है!
जवाब देंहटाएंकथा लघु, मगर सन्देश बड़ा..सार्थक लेखन के लिए बहुत बधाई दीपक!.
जवाब देंहटाएंदीपक जी, मैं आपको चने के झाड़ पर नहीं चढाऊंगी। यदि आप लघुकथा लिखना ही चाह रहे हैं तब उसके शिल्प का अध्ययन कर लें। मैं भी नाइस या और कुछ ऐसा ही लिख सकती थी लेकिन आपकी लेखनी और चिंतन में दम है इसलिए मैंने लिखा कि यदि किसी भी विधा को उसी विधा के शिल्प के अनुरूप लिखेंगे तभी वह समीक्षकों की दृष्टि में सही कहलाएगी। मैं पुन: क्षमा मांगती हूँ कि मैंने अपना छोटा भाई समझ कर परामर्श दिया है, अत: आप इसे स्वस्थ परम्परा के अनुरूप लेंगे।
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जवाब देंहटाएंSarthak uddeshya nihit sundar lekhan...badhai.
जवाब देंहटाएंबहुत ही सधी हुई लघु-कथा...
जवाब देंहटाएंदीपक, तुम्हारी तारीफ में जो भी कहेंगे कम ही होगा....
सिर्फ लेखन की बात नहीं होती ऐसी विचार ही मन में आना एक अच्छे इंसान की पहचान है...
बहुत सुंदर आप की यह छोटी सी कहानी,
जवाब देंहटाएं'laghu' katha, badee baat...!
जवाब देंहटाएंRamnavmiki anek shubhkamnayen!
मन के भावों का अच्छा अवलोकन है...ऐसी ही दोहरी जिंदगी जीता है इंसान....प्रभाव छोडने वाली कथा..
जवाब देंहटाएंek badi baat batai laghu katha
जवाब देंहटाएंshandaar deepak bhaiya...
जवाब देंहटाएंAjit ma'am, bas aapki tarah ek sachche margdarshak ki talash thi, shayad wo poori ho gayee.
जवाब देंहटाएंसत्य वचन दीपक,
जवाब देंहटाएंजितनी मुद्रा तुम्हारी जेब में है ज्योतिषी उसी के अनुसार शांति का जुगाड़ कर देंगे...
जय हिंद...
अछा संदेश देती कहानी ...........
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