शुक्रवार, 5 मार्च 2010

पहली बारिश में ही ये रंग उतर जाते हैं'--->>>दीपक 'मशाल'


जाने क्यों आजकल ये शेर
'नर्म आवाज़ भली बातें मुहज्ज़ब लहजे
पहली बारिश में ही ये रंग उतर जाते हैं'
बार-बार और हर बार दिमाग पर छा जाता है जबकि ये जावेद साब की लिखी और जगजीत साब की गायी हुई ग़ज़ल पिछले ७ सालों से नहीं सुनी.. आज सुनी है आप भी सुनियेगा...
सुनने के लिए यहाँ क्लिक करिए..
दीपक 'मशाल'

18 टिप्‍पणियां:

  1. are khubsoorat didi ke khoobsurat bhai ko kya ho gaya hai...
    Ghazal to baad mein sunungi..tumhara chehra hi dekh kar ghabra gayi hun aur bhaagi aa rahi hun...
    ha ha ha ..
    buddhu lag rahe ho ekdam..
    didi..

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  2. सुबह सुबह जगजीत जी की सुमधुर आवाज में गज़ल सुनकर आनन्द आ गया.

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  3. बहुत खूब सुन्दर रचना
    चित्र लाज़वाब

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  4. सुनी....बढ़िया लगी...उम्र का तकाजा है.

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  5. वाह लाजवाब प्रस्तुती। धन्यवाद आशीर्वाद अरे फोटो बहुत अच्छी लगी हा हा हा

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  6. कल रात में पूरा सुना....बहुत अच्छा लगा..

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  7. दीपक भईया क्या लग रहे हो आपक, इक दम धासू , गजल बहुत बढ़िया लगी ।

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  8. बहुत दोनों बाद जगजीत सिंह को सुना । आनंद आ गया ।

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