तुमने समझा तो मगर शायर ही बस समझा मुझे...--->>> दीपक 'मशाल'
शायर
तुमको खोने का वो डर था जिससे मैं डरता रहा
मेरे डर को देख तुमने कायर ही बस समझा मुझे
जब भी अपना हाल-ए-दिल मैंने लफ़्ज़ों में कहा
तुमने समझा तो मगर शायर ही बस समझा मुझे...
दीपक 'मशाल'
छवि गूगल से
तुमने समझा तो मगर शायर ही बस समझा मुझे...
जवाब देंहटाएंदुखती रग दो छू लेने वाली रचना
लफ्जों से आगे बढ़ें तो बात बने
जवाब देंहटाएंनिगाहें यार भी तड़े तो बात बने
बहुत ही सुन्दर दीपक भईया , और आपने क्या झक्कास फोटो लगाया है , बहुत खूब ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर दीपक भईया ,
जवाब देंहटाएंबहुत खूब, लाजबाब !
जवाब देंहटाएंतुमको खोने का वो डर था जिससे मैं डरता रहा
जवाब देंहटाएंमेरे डर को देख तुमने कायर ही बस समझा मुझे
जब भी अपना हाल-ए-दिल मैंने लफ़्ज़ों में कहा
तुमने समझा तो मगर शायर ही बस समझा मुझे...
क्या कहूँ????????? अगर अभिव्यक्ति का कहूँ तो बहुत अच्छी है लाजवाब मगर -- आगे---- बहुत बहुत आशीर्वाद्
अच्छे दिल को समझाने में बहुत देर लगाती है यह दुनिया ! शुभकामनायें दीपक !
जवाब देंहटाएंदीपक भैया हम तो सच मे डर गये।
जवाब देंहटाएंजब भी अपना हाल-ए-दिल मैंने लफ़्ज़ों में कहा
जवाब देंहटाएंतुमने समझा तो मगर शायर ही बस समझा मुझे...
दिल को छू लेने वाली पंक्तियाँ...
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंचलो शायर तो समझा
Shukriya Hari ji
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी अभिव्यक्ति .......शुभकामनाएँ !!
जवाब देंहटाएंजब भी अपना हाल-ए-दिल मैंने लफ़्ज़ों में कहा
जवाब देंहटाएंतुमने समझा तो मगर शायर ही बस समझा मुझे
शायरों के साथ यही लोचा है :)..बेहतरीन अभिव्यक्ति ..
and all the very best for future.:)
बहुत बेहतरीन बात कही.
जवाब देंहटाएंरामराम.
"जब भी अपना हाल-ए-दिल मैंने लफ़्ज़ों में कहा
जवाब देंहटाएंतुमने समझा तो मगर शायर ही बस समझा मुझे"
एक शायर की दर्द-ए-ज़ुबाँ । बहुत खूब ज़नाब ।
बहुत बढ़िया .....
जवाब देंहटाएंबहुत खूब दीपक!
जवाब देंहटाएंsahi hai bhai
जवाब देंहटाएंबढ़िया चार लाइना।
जवाब देंहटाएंdil ke arman dil mai rah gaye
जवाब देंहटाएंsamajh na sake bo dil baten
bo humare nahi kisi aur ke ho gaye
doosaree raah nikalna padega bhai.......
जवाब देंहटाएंaise kaise chalega.....?...........................:)
Lajawaab peshkash.....chitra bhi kamal ka dhundha hai bhai aapne :)
जवाब देंहटाएंडरो मत डरो मत हम भी कभी इंसान थे भाई...।
जवाब देंहटाएंye kya km hai ke shaayr samjh liya ....
जवाब देंहटाएंlog to is se bhi mehroom reh jaate hain...
she'r laazwaab hai...
४ पंक्ति है पर है काफी छु लेने वाली.......अक्सर ऐसा होता है हम जो बोलते है सामने वाला कुछ और समझ लेता है.........
जवाब देंहटाएंशायर साहब,
जवाब देंहटाएंपंक्तियाँ तो लाजवाब हैं
पर बात कोई कैसे समझे
जब रुख का ये हिसाब है.....
अरे ई कंकाल काहे को लगा दिए हो....
जब नज़र ही नहीं तो इशारे क्या ख़ाक होंगे.....हाँ नहीं तो...!!
हा हा हा हा ..
दीदी..
bhot khtrnak chittat lagaya bhay, toote dil ki awaj hegi je rchna to sab ji
जवाब देंहटाएंआप सबका बहुत-बहुत आभार...
जवाब देंहटाएंजय हिंद...
जब भी हाल - ए - दिल लफ़्ज़ों में कहा ...उसने सिर्फ शायर समझा ...
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया ...मगर शायरों का हाल देख कर डर लग रहा है ...:)
समझ समझ के भी ,जो न समझे , मेरी समझ में वो नासमझ है
जवाब देंहटाएंbahut hi emotional poem...
जवाब देंहटाएंab ye mat kahiyega sirf shayr samjha..
:-)
bahut achha likha hai aapne
ओह!!..बेचारे शायरों के साथ यही मुसीबत है...सच भी बोले तो लोग शायरी समझते हैं,..चच्च..:)
जवाब देंहटाएंअद्बुत।
जवाब देंहटाएंमैं तो आशिक ही था,
मगर वो शायर समझती रही,
और
ताउम्र गुजर गई।
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