बुधवार, 3 मार्च 2010

तुमने समझा तो मगर शायर ही बस समझा मुझे...--->>> दीपक 'मशाल'


शायर
तुमको खोने का वो डर था जिससे मैं डरता रहा
मेरे डर को देख तुमने कायर ही बस समझा मुझे
जब भी अपना हाल-ए-दिल मैंने लफ़्ज़ों में कहा
तुमने समझा तो मगर शायर ही बस समझा मुझे...
दीपक 'मशाल'
छवि गूगल से

34 टिप्‍पणियां:

  1. तुमने समझा तो मगर शायर ही बस समझा मुझे...
    दुखती रग दो छू लेने वाली रचना

    जवाब देंहटाएं
  2. लफ्जों से आगे बढ़ें तो बात बने
    निगाहें यार भी तड़े तो बात बने

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत ही सुन्दर दीपक भईया , और आपने क्या झक्कास फोटो लगाया है , बहुत खूब ।

    जवाब देंहटाएं
  4. तुमको खोने का वो डर था जिससे मैं डरता रहा
    मेरे डर को देख तुमने कायर ही बस समझा मुझे
    जब भी अपना हाल-ए-दिल मैंने लफ़्ज़ों में कहा
    तुमने समझा तो मगर शायर ही बस समझा मुझे...
    क्या कहूँ????????? अगर अभिव्यक्ति का कहूँ तो बहुत अच्छी है लाजवाब मगर -- आगे---- बहुत बहुत आशीर्वाद्

    जवाब देंहटाएं
  5. अच्छे दिल को समझाने में बहुत देर लगाती है यह दुनिया ! शुभकामनायें दीपक !

    जवाब देंहटाएं
  6. दीपक भैया हम तो सच मे डर गये।

    जवाब देंहटाएं
  7. जब भी अपना हाल-ए-दिल मैंने लफ़्ज़ों में कहा
    तुमने समझा तो मगर शायर ही बस समझा मुझे...

    दिल को छू लेने वाली पंक्तियाँ...

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत सुन्दर

    चलो शायर तो समझा

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत ही अच्छी अभिव्यक्ति .......शुभकामनाएँ !!

    जवाब देंहटाएं
  10. जब भी अपना हाल-ए-दिल मैंने लफ़्ज़ों में कहा
    तुमने समझा तो मगर शायर ही बस समझा मुझे
    शायरों के साथ यही लोचा है :)..बेहतरीन अभिव्यक्ति ..
    and all the very best for future.:)

    जवाब देंहटाएं
  11. "जब भी अपना हाल-ए-दिल मैंने लफ़्ज़ों में कहा
    तुमने समझा तो मगर शायर ही बस समझा मुझे"

    एक शायर की दर्द-ए-ज़ुबाँ । बहुत खूब ज़नाब ।

    जवाब देंहटाएं
  12. dil ke arman dil mai rah gaye
    samajh na sake bo dil baten
    bo humare nahi kisi aur ke ho gaye

    जवाब देंहटाएं
  13. doosaree raah nikalna padega bhai.......
    aise kaise chalega.....?...........................:)

    जवाब देंहटाएं
  14. डरो मत डरो मत हम भी कभी इंसान थे भाई...।

    जवाब देंहटाएं
  15. ye kya km hai ke shaayr samjh liya ....
    log to is se bhi mehroom reh jaate hain...

    she'r laazwaab hai...

    जवाब देंहटाएं
  16. ४ पंक्ति है पर है काफी छु लेने वाली.......अक्सर ऐसा होता है हम जो बोलते है सामने वाला कुछ और समझ लेता है.........

    जवाब देंहटाएं
  17. शायर साहब,
    पंक्तियाँ तो लाजवाब हैं
    पर बात कोई कैसे समझे
    जब रुख का ये हिसाब है.....

    अरे ई कंकाल काहे को लगा दिए हो....
    जब नज़र ही नहीं तो इशारे क्या ख़ाक होंगे.....हाँ नहीं तो...!!
    हा हा हा हा ..
    दीदी..

    जवाब देंहटाएं
  18. bhot khtrnak chittat lagaya bhay, toote dil ki awaj hegi je rchna to sab ji

    जवाब देंहटाएं
  19. आप सबका बहुत-बहुत आभार...
    जय हिंद...

    जवाब देंहटाएं
  20. जब भी हाल - ए - दिल लफ़्ज़ों में कहा ...उसने सिर्फ शायर समझा ...
    बहुत बढ़िया ...मगर शायरों का हाल देख कर डर लग रहा है ...:)

    जवाब देंहटाएं
  21. समझ समझ के भी ,जो न समझे , मेरी समझ में वो नासमझ है

    जवाब देंहटाएं
  22. bahut hi emotional poem...
    ab ye mat kahiyega sirf shayr samjha..
    :-)
    bahut achha likha hai aapne

    जवाब देंहटाएं
  23. ओह!!..बेचारे शायरों के साथ यही मुसीबत है...सच भी बोले तो लोग शायरी समझते हैं,..चच्च..:)

    जवाब देंहटाएं
  24. अद्बुत।


    मैं तो आशिक ही था,
    मगर वो शायर समझती रही,

    और
    ताउम्र गुजर गई।

    जवाब देंहटाएं

LinkWithin

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...