जैसा कि दुनिया की आदत है हर बात पर दो खेमों में बँट जाने की और अपने खेमे को ही सच्चा-सच्चा चिल्लाने की, उसी आदत के चलते आजकल एक मांग जोर पकडती जा रही है और वो है सचिन तेंदुलकर को भारत रत्न देने की. पहले ये स्पष्ट कर दूँ कि ना तो मैं इस बात के समर्थन में और ना ही विरोध में कि सचिन को भारत रत्न मिले.
सुना है ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसे तथाकथित 'खेलविशेषज्ञ' ने भी संसद में मांग उठाई है कि जल्दी से जल्दी ये इनाम सचिन को दिया जाये. जिससे की कल सचिन भी ताउम्र सिंधिया का अहसान मानें और जब वो पुकारे तब ग्वालिअर दौड़े चले आयें.
समझ में नहीं आता कि इस इतने महत्त्वपूर्ण सम्मान देने के लिए लोग इतने उतावले क्यों रहते हैं कि जल्दी जल्दी दे के निपटा दिया जाये. कहना नहीं होगा कि इसी जल्दबाजी के कारण पहले की सरकारों ने जाने कितने कच्चे हाथों में ये पुरस्कार दे दिया या कहें की गिफ्ट समझ कर बाँट दिया. ऐसा नहीं की सचिन इस पुरस्कार के बिलकुल भी योग्य नहीं लेकिन हाँ एक सच ये भी है कि सचिन अभी भी भारत रत्न बनने की प्रक्रिया में ही हैं ना कि भारतरत्न बनने लायक हो गए. वो एक महान खिलाडी हैं और कई खिलाडियों के आदर्श भी, लेकिन क्या ये सच नहीं कि अभी तक सचिन ने ऐसा कोई काम नहीं किया जिससे कि आम जनता को फ़ायदा पहुंचे? हाँ कोई शक नहीं कि सचिन से बेहतर आज तक किसी अन्य क्रिकेटर ने क्रिकेट को नहीं बेंचा या फ़ायदा पहुँचाया.. उनकी वजह से दर्शक बढ़े और दर्शकों की वजह से प्रायोजक और प्रायोजकों की वजह से क्रिकेट, BCCI और सरकार को मुनाफा पहुंचा. लेकिन क्या बेचने के खेल में शाहरुख़, अमिताभ और आमिर माहिर नहीं, जिन्होंने My name is Khan और 3 Idiots जैसी साधारण कहानी वाली फ़िल्में इतनी बड़ी बना कर बेंचीं? तो क्या उन्हें भी भारत रत्न दे देना चाहिए?
भारत रत्न बनने के लिए सिर्फ एक बेहतरीन खिलाडी होना ही पर्याप्त नहीं बल्कि एक ऐसा खिलाडी होना जरूरी है जिसके पास अपना एक अलग ही दृष्टिकोण हो, जिससे वो उस खेल को पहले से कहीं अधिक और कई गुना लोकप्रिय बना दे. उसका ना सिर्फ अपने रिकॉर्ड बनाने में बल्कि उस खेल के सर्वांगीण विकास में योगदान हो, वो खेल को एक नई दिशा ही नहीं दे सके बल्कि लोगों के मन में उसके लिए एक जुनून पैदा कर दे. क्या सचिन ने कभी कोई ऐसा प्रयास किया है कि जिससे भारत में कुछ और सचिन पैदा हो सकें? क्या उन्होंने अभी तक किसी ऐसे प्रतिभावान खिलाडी को गोद लिया जो बेहतरीन खिलाडी तो बन सकता हो मगर इस सब का खर्चा वहन करने में अक्षम हो? क्या उन्होंने कभी गली मोहल्लों या छोटे गाँवों( छोटे गाँव इसलिए क्योंकि आजकल छोटे शहर का मतलब लखनऊ, इलाहबाद, रांची, पटना, पुणे और भोपाल जैसे ३०-४० लाख की आवादी वाले शहर हो गया है, जहाँ पहले से ही कोई ना कोई क्रिकेट अकादमी है) में किसी प्रतिभा को तलाशने में मदद की या उनका कोई ऐसा मंसूबा है? आज भी हमारा देश खेलों के प्रति उतना ही उदासीन है जितना कि सचिन के आने से पहले हुआ करता था, हम एक स्पोर्टिंग नेशन के रूप मे नहीं जाने जाते है. हमें आज भी ओलंपिक्स जैसी स्पर्धाओं मे एक पदक लेने के लाले पड़े रहते है? क्या तेंदुलकर ने ऐसा कुछ किया है की जिससे हमारी खेल के प्रति धारणा बदली है? क्या हमारी सालों पुरानी ये सोच बदली है कि 'पढ़ोगे, लिखोगे बनोगे नवाब.. खेलोगे कूदोगे बनोगे ख़राब'? क्या अब ज्यादातर बच्चे मैदानों में क्रिकेट या अन्य कोई खेल खेलते आसानी से मिल जाते है? क्या पता कल को सचिन भी रिटायरमेंट के बाद अपने समय के अन्य खिलाड़ियों की मानिंद कमेंटेटर बन कर आराम से अपनी जिंदगी बिता रहे होंगे. फिर अभी तो ये भी तय नहीं कि कल को टेस्ट मैच और एकदिवसीय मैचों का कौन सा स्वरुप जीवित रहेगा? लेकिन हाँ फिर भी मैं यही कहूँगा कि अगर भविष्य में सचिन ऐसी कोई संस्था बनाते हैं जो नई प्रतिभाएं देश के सामने लाने में मदद कर सके तो निश्चय ही वो भारत रत्न बनेंगे.
आज भी भारत में ऐसी अनेकों प्रतिभाएं हैं जो वास्तव में भारत रत्न हैं मगर अब तक या तो वो दुनिया से जा चुकी हैं या उम्र के आखिरी पड़ाव में हैं. क्या मुंबई स्थित भाभा नाभिकीय अनुसंधान संस्थान(BARC) के संस्थापक डॉक्टर होमी जहाँगीर भाभा को ये सम्मान नहीं मिलना चाहिए था? ये बताने की जरूरत नहीं कि BARC ने देश को कितनी प्रतिभाएं दीं. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान(ISRO) के संस्थापक श्री विक्रम साराभाई का योगदान किस तरह से कमतर आँका गया? क्या किरन बेदी ने समाज और देश को कम योगदान दिया है? क्या धर्मवीर भारती भारत रत्न नहीं? क्या जो नाम बाज़ार में बेचे नहीं जा सकते वो भारत रत्न लायक नहीं थे या नहीं हैं? ऐसे तो फिर कल को अमिताभ बच्चन और परसों शाहरुख़ खान के नाम सामने आयेंगे. क्या क्रिकेट और बोलीवुड सिर्फ ये दो नाम ही भारत में शेष बचे हैं? कहीं ऐसा ना हो कि ये क्रिकेट और बोलीवुड की अंधभक्ति हमें कहीं का ना छोड़े.
अब एक नज़र भारत रत्न सम्मान के सम्मान पर... आपने श्री भगवान दास, महर्षी डॉ. धोंडो केशव कर्वे, बिधन चन्द्र रॉय, डॉ. पांडुरंग वामन काणे का नाम तो सुना ही होगा. अगर नहीं सुना तो हैरान ना हों ये जानकर कि ये हमारे भारत रत्न हैं.. अगर आज आप इनके नाम नहीं जानते तो क्या ये सरकार की जिम्मेवारी नहीं कि इनके बारे में लोगों को बताया जाये? अगर हम अपने भारत रत्नों के बारे में ही नहीं जानेंगे तो और क्या जानेंगे और किन पर गर्व करेंगे?
मुझे तो डर है कि कहीं कल को भारत रत्न भी पद्म विभूषण, पद्म भूषन और पद्म श्री की तरह आलोचना का शिकार ना हो जाएँ. इसलिए सरकार से निवेदन है कि भारत रत्न का सम्मान बचाएं और किसी नाम को इस सम्मान पर हावी ना होने दें.
दीपक 'मशाल'
समय ठीक करने के अनुरोध को स्वीकारने के लिए ब्लोगवाणी नियंत्रक का आभार.. :)
dheeraz se padataa hoon
जवाब देंहटाएंविचारणीय बात
जवाब देंहटाएंसही तो यह है कि अब इस दौर में उपाधियाँ उन्हे ही मिल रही हैं जो इसके लिये प्रयास कर रहे हैं इसलिये अब इन से विश्वास उठता जा रहा है ।
जवाब देंहटाएंश्री भगवान दास, महर्षी डॉ. धोंडो केशव कर्वे, बिधन चन्द्र रॉय, डॉ. पांडुरंग वामन काणे
जवाब देंहटाएंhamare desh ke jitne bhi bharat ratna hei unke karyo aur uplabhdiyon ke bare mei sabko bataya jana chaie, taki ham sab unse prerna le saken....
यह सचिन कौन है?
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सही कहा आपने , आपसे पूर्णतया सहमत हूँ ।
जवाब देंहटाएंभड़भड़ी में मिलते मिलाते किसी दिन हमारा भी नम्बर लग जाये इसलिए विरोध नहीं कर रहे हैं हम तो..सोच समझ कर तो मिलने से रहा. :)
जवाब देंहटाएंbilkul sahi dipak ji.........aur bhi bahut se log hain line main
जवाब देंहटाएंBilkul sahi baat kahi hai tumne Deepak ...!!
जवाब देंहटाएंabhi kuch din pahle ki baat hai, maine apne ek dost ko bola ki bharat ratna jaise puraskar to G Madhavan Nair jaise log deserve karte hain to usne bola G Madhavan nahi R Madhavan hai uska naam!!!! jahan kuch karne walon ki ye izzat ho, jahan log arsad warsi tak ko pehchante hain par vikram sarabhai ko nahi pahchante, wahan aap kya ummeed kar sakte hain!!!
जवाब देंहटाएंummeed par hi aasmaan tika hai Ambareesh.. :)
जवाब देंहटाएंsarthak post
जवाब देंहटाएंये वही सवाल है गांधी को नोबेल क्यों नहीं मिला, ओबामा को क्यों मिला...
जवाब देंहटाएंजो मार्केटिंग ओबामा कर सकते हैं, वही गांधी जी स्वर्ग से आकर कर सकते हैं क्या..
समीर जी, अभी तो ब्लॉग रत्न से ही काम चलाइए...
जय हिंद...
होमी जहाँगीर भाभा, विक्रम सारा भाई, किरण बेदी???????????????? दीपक ये कौन से और किस जमाने के नाम गिना दिए?
जवाब देंहटाएंअरे आजकल का जमाना जुगाड़ का है...............ये नहीं कहेंगे कि सचिन जुगाड़ लगा कर यहाँ आना चाह रहे हैं पर कहीं न कहीं कोई जुगाड़ तो चल ही रही है!!!
वैसे हम भी लाइन में हैं भारत रत्न की बस जुगाड़ तलाश रहे हैं......................वैसे ददुआ, नटवर लाल, फूलन देवी, वीरप्पन, बाबा मुस्तकीम, भिंडरावाला आदि-आदि नाम भी हो सकते हैं इस कड़ी में???????????
हम तो अपनी पोस्ट पर पहले ही मल्लिका शेरावत का नाम सुझा चुके हैं, देशवासियों को कम से कम कपडे पहनने का तरीका और सलीका सिखाने के कारण.
जय हिन्द, जय बुन्देलखण्ड
बिल्कुल सही और सटीक बात कही आपने.
जवाब देंहटाएंरामराम.
Sach to yah hai,ki, Sachin in saaree bahas se pare hai!
जवाब देंहटाएंShama ji, mumkin hai aapko aur kai logon ko meri rai buri lagi ho.. iska udaharan ek napasand ka chatka bhi hai.. lekin sach me sachin ka virodhi main bhi nahin par haan andh bhakt bhi nahin..
जवाब देंहटाएंजिस हिसाब से राजनीति बदती जा रही है ... ये सारे पुरूस्कार बंद कर देने चाहिए ....
जवाब देंहटाएंyahi sach hai beta, mera kya hoga-socho
जवाब देंहटाएंसचिन ने सिर्फ़ अपना काम किया है उस से कोई देश का भला नही हुआ, ओर ना ही देश के लिये कोई कुरबानी दी है, क्या इन नेताओ को वो फ़ोजी जवान नही दिखते जो रोजाना हमारे लिये अपनी जान देते,उन्हे दो दिन के बाद कोन पुछता है??ओर उन के हिस्से के इनाम भी यह कमीने नेता डकार जाते है, जेसे पेट्रोल पंप...कोन है इस भारत रत्न का हक दार यह नेता, अभिनेता ओर खिलाडी या वो जो देश के लिये बिना शर्त अपनी जान पर खेलते है, साल के बारहा महीने बर्फ़ो मे रहते है देश के लिये??
जवाब देंहटाएंbhoot sahi kaha aap ne
जवाब देंहटाएंमै भी आप से पूरी तरह सह् मत हू .....
जवाब देंहटाएंदीपक जी !
इस देश मे पुरस्कार लेने देने की राज् नीति हर विधा मे है चाहे खेल हो या साहित्य ... लोग दो खेमो मे बंटने को तैयार रह्ते है...
--- राकेश वर्मा
{पुन:श्च : मेरी आज की पोस्ट देखे ..}
Naswa ji, Puraskaron ko band karna samasya ka samadhaan nahin hai..
जवाब देंहटाएंसही विचार्णीय पोस्ट है। आशीर्वाद।
जवाब देंहटाएंबात पद्म भूषण की हो या नोबल की या अब भारत रत्न की. सब जुगाड़ की माया है ...जिसके जितने जुगाड़ उसके उतने इनाम ..इसमें अब तो आश्चर्य भी नहीं होता.
जवाब देंहटाएंdeepak ji aapne sahi likha
जवाब देंहटाएंmere hisab se ye kaam aam janta ke haant
main de dena chahiye ki unke hisab se kon
hai in ratno ka asli haqdar......... batayen
Sanjay ji aam janta to unhe bhi tay nahin kar pati jo unke kshetra ka pratinidhitva karte hain.. ye samman kaise tay karegi bhala??
जवाब देंहटाएंदीपक,मैंने तुम्हारा आलेख बहुत ध्यान से पढ़ा.सचिन को इतनी जल्दबाजी में 'भारत रत्न' देने का मैं भी समर्थन नहीं करती. पर तुमने जो वजह गिनाए हैं उनसे मैं इत्तफाक नहीं रखती. सचिन को अभी वक़्त कहाँ मिला कि वे गरीबों के लिए कुछ करें. नयी प्रतिभा को सामने लाने में सार्थक योगदान करें. वे सोलह साल की उम्र से लगातार क्रिकेट खेल रहें हैं. अपने परिवार के साथ भी समय बिताने का अवसर भी उन्हें तभी मिलता है,जब उनका कोई ऑपरेशन होता है. इसलिए इस कसौटी पर कसना कि समाज के उत्थान के लिए कुछ नहीं किया. बेमानी होगा...हाँ ये सब राजनीति का हिस्सा है,सब लोग सचिन के साथ अपना नाम जोड़कर ,अपना फायदा चाहते हैं.
जवाब देंहटाएंऔर कोई जरूरी नहीं कि कुछ गरीबों के लिए या समाज के उत्थान में योगदान दो तभी,भारत रत्न के हक़दार होगे. पूर्ण समर्पण भाव से किसी भी क्षेत्र में अपनी सेवा दें तब भी भी इस सर्वोच्च सम्मान के हकदार हो सकते हैं,जैसे लता मंगेशकर.
राजनीतिज्ञों की सिफारिश पर कई बार यह सम्मान बहुत साधारण नामों को भी मिल गया है और बहुत बार इसके सही हकदार को नहीं मिला.पर तुमने जो नाम गिनाए हैं.....श्री भगवान दास, महर्षी डॉ. धोंडो केशव कर्वे, बिधन चन्द्र रॉय, डॉ. पांडुरंग वामन काणे ,हो सकता है ,अपने क्षेत्र में इनका नाम हो,हमने नहीं सुना इसलिए क्यूंकि ये हिंदी भाषी नहीं हैं. जैसे धर्मवीर भारती को हिंदीवालों से इतर कोई नहीं जानता.और ये हमारी जिम्मेवारी है की उन्हें जाने.सरकार ने जीवन परिचय जरूर जारी किया होगा.
सॉरी दीपक....पर मेरे यही विचार हैं. वैसे तुमने बहुत मेहनत की है.....और एक अछूते विषय पर लिखा है....Am really proud of u...U are so concerened about these things....Keep up the good work
Di.. mujhe bahut achchha laga ki aapne lekh ko itne gaur se padha.. lekin kafi kuchh aapki hi baat main kah raha hoon ki Sachin abhi Bharat ratn banne ki prakriya me hain.. aur karan yahi hai ki unhe time nahin mila aur wo kuchh kar nahin paaye.. lekin jab wo free honge aur kuchh karenge tab nishchit roop se unhe ye samman diya jana chahiye..
जवाब देंहटाएंya deepak ji i agreed to u,agar desh ko sachche
जवाब देंहटाएंor iske huqdaar nagrik nahi mil rahe h jinhe bakai me ye ratan milna chahiye to aise ratan ki pratha band hi kar deni chahiye....kya jaroorat he inhe aise batne ki ,ki inki image hi na rahe.
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जवाब देंहटाएंdeepak ji aapne sahi likha
जवाब देंहटाएंमै भी आप से पूरी तरह सह् मत हू .....
जवाब देंहटाएंदीपक जी !
Bahut Satik aur Sarthak baat kahi aapne..!!
जवाब देंहटाएंsahi kaha hai aapne dipak ji
जवाब देंहटाएंabsolutely correct...actually this is only a case...politicians are ready 2 do anythink for d sake of any benifit (wch is not actually) of there.but 2 2 raise d voice is importent.. i m wid u on dis matter at d same time i m a fan of sachin..
जवाब देंहटाएंजो भी हो राष्ट्रीय पुरस्कारो के साथ मजाक होना बिल्कुल ठीक नही है, हाल मे ही अमीर खान पद्म भूषण और महान अभिनेत्री रेखा को पद्म श्री देना ठीक नही लगा।
जवाब देंहटाएंसचिन के लिये भारत रत्न की मॉग करना एक गैर जिम्मेदाराना मॉंग है, इससे पहले तो लाला अमरनाथ आदि को मिलना चाहिये जिन्होने क्रिकेट को इतना महान बनाया कि सचित जैसे खिलाड़ी किक्रेट को चुन सके।
आपकी पोस्ट से पूर्ण रूपेण सहमत हूँ।
deepak ji mashaal jal uthi hai,andhera jarur mitega...apni baat bahut acche se kahi hai aapne.. :)
जवाब देंहटाएंऐसा नहीं की सचिन इस पुरस्कार के बिलकुल भी योग्य नहीं लेकिन हाँ एक सच ये भी है कि सचिन अभी भी भारत रत्न बनने की प्रक्रिया में ही हैं ना कि भारतरत्न बनने लायक हो गए....bilkul sahi likha hai......kafi acchi post hai aaj ki to.....
जवाब देंहटाएंSachin really deserves the honour as he has dedicated his entire career into his game..he has almost all the batting records in cricket world n that really speaks for this little master..Hats off to the great showman fron India, Jai Hind!!!
जवाब देंहटाएंDr. Neetesh Agrawal ne kaha hai-
जवाब देंहटाएंbahut had tak sahi likha hai, per mare hisab se sachin ne hum bharatwasiyon ko jo khushi di hai wo kya kum hai,itne gariv desh me eksaath hasne ka mokaor poore world me hum kahsakte hai kisachin mere deska playerhai
आप बिल्कुल सही कह रहे हैं आज कल अवार्डस राजनीति के मोहरे हो गये हैं और बि्काऊ भी।
जवाब देंहटाएंवैसे ब्लोगर भाइयों की भविष्य की योजनाएं देख कर ख्याल आ रहा है कि आज पार्लियामेंट के साथ साथ इन पदकों में भी 33% आरक्षण करवा लेना चाहिए, नहीं तो हमारा नंबर आयेगा ही नहीं। बोलो करते हो सपोर्ट?…॥:)
सचमुच जुगाडतन्त्र के चलते आज ये समस्त पुरूस्कार अपना गौरव खो पूरी तरह से खो चुके हैं....
जवाब देंहटाएंdeepak bhai apne jo inspiring lekh likha hai uske liye app badhai ke patra hai. aur hum sabko is lekh se apne desh ke bare me sochna chahiye ki akhir apne desh me hi aisa kyo hota hai aur uske liye ek krant honi chahiye jo ki desh ko sahi raste me le jaye..still sachin is great legends in cricket aur agr vo des seva ke bare me soche to burai nahi hai..vo desh me kranti ke prernasrot ban sakte hain..bhale hi vo khelo ke liye hi kyo na ho isse hamara yuva varg to age badega aur unki mansiktaconpetitive hogi.
जवाब देंहटाएंमुझे तो डर है कि कहीं कल को भारत रत्न भी पद्म विभूषण, पद्म भूषन और पद्म श्री की तरह आलोचना का शिकार ना हो जाएँ. इसलिए सरकार से निवेदन है कि भारत रत्न का सम्मान बचाएं और किसी नाम को इस सम्मान पर हावी ना होने दें.
जवाब देंहटाएंसरकार को सुनाई नहीं दी दीपक जी की बात क्योंकि उस दिन सेक्शन-इंचार्ज क्लर्क छुट्टी पे था
bharat ratn, padma vibhushan, padma shri....ye sabhi mazak ban kar reh gaye hain...
जवाब देंहटाएंSamarthan ke liye abhar...
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