रविवार, 8 नवंबर 2009

आज की क्षणिकाएं----~~~~~~~~~~~~दीपक 'मशाल'

आज की क्षणिकाएं---- आज ५ अलग अलग रंग लेके आया हूँ मुलाइजा फरमाइयेगा..............
पहले तो मेरे हाथ कंपे... फिर मेरे पैर  क्या है ये जानने के लिए पढें---http://pahlaehsas.blogspot.com/

१- कहने को तो लोकतंत्र
   पर राजनीति अब भी भारी,
   क्यों लोकनीति ना कहलातीं
   नीति यहाँ की अब सारी..
   जनता की सरकार नहीं
   ना कोई है अब जनसेवक,
   प्रताड़ित नर नर होता है
   अपमानित है हर नारी....

२- वो कैसा हमसफ़र था 'मशाल'
    हाथ भी छोड़ा
    और रिश्ता भी,
    जिंदगी की
    अधखुली सी चिट्ठी में
    थोड़ी हकीकत है
    थोड़ा किस्सा भी....

३- वो जानता है सब
    मगर
    अन्जान बना रहता है...
    जो जताता नहीं
    उसका,
    ताउम्र अहसान बना रहता है....

४- मेरे घर की
    भीत लगी है,
    मस्जिद की दीवार से इक....
    अल्लाह ने तो
    कहा नहीं कुछ,
    तुम क्यों झगड़े करते हो....

५- इक हाथ
    कलम दी देव मुझे, 

    दूजे में 
    कूंची पकड़ा दी,
    संवाद
    मंच पर बोल सकूं
    ऐसी है तुमने जिह्वा दी.......
    पर इतने सारे मैं हुनर लिए
    कहीं विफल सिद्ध ना हो जाऊं,
    तूने तो
    गुण भर दिए बहुत,
    खुद दोषयुक्त ना हो जाऊं.
    भूखे बच्चों के पेटों को
    कर सकूं अगर,
    तो तृप्त करुँ...
    जो बस माथ तुम्हारे चढ़ता हो
    वो धवल दुग्ध ना हो जाऊं......
    इतनी सी रखना कृपा प्रभो
    मैं आत्ममुग्ध ना हो पाऊं......
    मैं आत्म मुग्ध ना हो पाऊं....
आज बस इतना ही :) ...... कुछ मेरे पहले अहसास के बारे में जानना हो तो यहाँ जरूर क्लिक करें.. http://pahlaehsas.blogspot.com/


आपका -
दीपक 'मशाल'
चित्र- दीपक 'मशाल' के कैमरे से

20 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर है आपकी क्षणिकाएँ.

    जवाब देंहटाएं
  2. जिसमें कोई नीति न हो, वही राजनीति है...

    जय हिंद...

    जवाब देंहटाएं
  3. वाह जी वाह हमें तो ये अंदाज भी एक टैण टैणेन.....लगा जी । दीपक भाई .शुभकामनाएं बहुत बहुत ।

    जवाब देंहटाएं
  4. अरे एक चटका भी जड दिया आपकी पोस्ट पर हीरे की तरह....पसंद का जी ...कल बचा के रखा था जो दूसरा वाला ।

    जवाब देंहटाएं
  5. वो जानता है सब कुछ ...फिर भी अनजान ...बढ़िया..
    वैसे तो सारी क्षणिकाएं ही बढ़िया हैं ...!!

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  6. क्षणिकाओं का असर दुर तक और देर तक है-आभार

    जवाब देंहटाएं
  7. har kshanika bahut sunder hai......
    4th wali ne to sab kuch kah diya.....dil ko choo gayi.......

    जवाब देंहटाएं
  8. वाह बहुत ही लाजवाब क्षणिकाएं. शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  9. har kshanika lajawab hai..

    pahli ne beparda kar diya aaj ke system ko..

    वो कैसा हमसफ़र था 'मशाल'
    हाथ भी छोड़ा
    और रिश्ता भी,
    जिंदगी की
    अधखुली सी चिट्ठी में
    थोड़ी हकीकत है
    थोड़ा किस्सा भी...
    ye wali to bahut hi jyada kareeb payi maine.. kissa bahut kam, haqeekat bahut jyada...

    teesri ne kuch yaad dila diya hai...

    chauthi mang raha hun aapse... aapke naam aur link ke sath... aur logon tak pahunchane ke liye...

    5vi ne nashe mein la diya... waqt lagega ubarne mein...

    sansmaran bhi bahut accha laga...

    kul milakar superb...

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  10. बस ऐसी ही है आज कल राजनीति..बहुत सुंदर सुंदर गीत....धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  11. दीपक जी,
    दूसरी और तीसरी क्षणिका का जवाब नहीं...अत्यंत सुन्दर साधू

    जवाब देंहटाएं
  12. मशाल जी दूसरी क्षणिका सबसे बेहतर लगी .....

    वो कैसा हमसफ़र था 'मशाल'
    हाथ भी छोडा
    और रिश्ता भी
    ज़िन्दगी की अधखुली चिट्ठी में
    थोडी हकीकत भी है
    थोडा किस्सा भी .....

    वाह .....!!

    जवाब देंहटाएं
  13. क्षणिका की खासियत ही यही है कि वह कम शब्दों में अपनी बात कह देती है। बिलकुल गागर में सागर। और मुझे यह कहने में कोई गुरेज नहीं कि आपने इस विधा को साध लिया है। बधाई।
    ------------------
    और अब दो स्क्रीन वाले लैपटॉप।
    एक आसान सी पहेली-बूझ सकें तो बूझें।

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  14. कम shabdon में कही baaten अक्सर gahri और बहुत दूर की होती हैं ........... आपकी सब rachnayen इस बात को सो fi sadi saabit कर रही हैं ...............

    जवाब देंहटाएं
  15. Kaisa hamsafar,
    Tatha aakhree rachana...aatm mugdh na ho jaun...behtareen lagee..Rajneetee walee chhod den to sabhi ek doosarese, any rachkaron se hatke hain..'deevar' walee bhee behtareen hai..

    जवाब देंहटाएं
  16. jo jaanta hai sabkuch..anjaan bana rehta hai
    jo jatata nahi uska taumr ehsaan bana rehta hai...

    jante ho Deepak...mere kuch dost iasi hain jo mere paida hone de bhi pahle ke hain...matlab ye ki mujhse 6-7 maheene bade hain..aur ham saath saath bade hue hain...aise dost ham chaar hai....meri saari kamiyaan jo mere maa-baap bhi nahi jaante unko pata hai....kabhi bhi unhone koi ahsaan nahi jataya....aur hamesha kiya....
    tumne wo sab kuch kah diya yahan par....mujhse door hain wo ....lekin bas hain wo...mere liye..hamesha..
    bata nahi sakti kitni accha lagi ye panktiyaan...
    Tum bura mat manana ....mere chhote bhai ki ye chaar lines main samarpit kar rahi hun....mere chaar doston ko tumse bina pooche...
    Parimal
    Madhuri
    Ursula
    aur
    Main..'ada'

    जवाब देंहटाएं

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