शनिवार, 7 नवंबर 2009

-ग़ज़ल-----------------------------------दीपक 'मशाल'


-ग़ज़ल-
ये परिंदा इन दरख्तों से, पूछता रहता है क्या,
ये आसमां की सरहदों में, ढूंढता रहता है क्या.

जो कभी खोया नहीं, उसको तलाश क्या करना,
इन दरों को पत्थरों को, चूमता रहता है क्या.

खोलकर तू देख आँखें, ले रंग ख़ुशी के तू खिला,
गम को मुक़द्दर जान के, यूँ ऊंघता रहता है क्या.

कोई मंतर नहीं ऐसा, जो आदमियत जिला सके,
कान में इस मुर्दे के, तू फूंकता रहता है क्या.

आएँगी कहाँ वो खुशबुएँ, अब इनमें 'मशाल',
दरारों में दरके रिश्तों की, सूंघता रहता है क्या.
दीपक 'मशाल'

22 टिप्‍पणियां:

  1. परिंदे क्या ढूंढते हैं ...आदमियत जिलाने का मंतर क्या है ...
    दरारों में दरकते रिश्तों को सूंघना ...
    बहुत बढ़िया ...!!

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  2. बहुत खूब लिखा है आपने दीपक जी। सुन्दर प्रस्तुति। चलिए मैं भी कुछ कोशिश करके देखता हूँ आपके ही धुन में-

    चार आँखें जब हुई तो मुस्कुराहट देखिये
    शक मुझे कि दिल का रिश्ता टूटता रहता है क्या

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    www.manoramsuman.blogspot.com

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  3. बहुत खूब दिपक भाई, लाजवाब लगी आपकी ये रचना। बहुत-बहुत बधाई......

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  4. बढिया रचना...

    पहेली तो चल रही है हँसते रहो पर

    इधर-उधर ऐ बंदे तू ढूँढता है क्या

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  5. एक से बढ कर एक शेर,बेहतरीन गज़ल्।

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  6. बहुत अच्छी रचना है दीपक जी . आभार !!!

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  7. सरहदें कहाँ हैं , परिंदों के लिए
    होती हैं बस, इंसान के लिए
    अच्छे भाव लिए रचना.

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  8. खोलकर तू देख आँखें, ले रंग ख़ुशी के तू खिला,
    गम को मुक़द्दर जान के, यूँ ऊंघता रहता है क्या.

    अच्छी ग़ज़ल कहते हैं आप.

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  9. जो कभी खोया नहीं उसे तलाश क्या करना....ख़ूबसूरत ग़ज़ल

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  10. koyi mantar nahin aisa jo aadmmiyat jila sake, ....phoonka rahta hai kya bahut khoob laga apka ye sher

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  11. एक दीपक की रोशनी कह जाती है सब,
    एक शायर को सूझता रहता है क्या ........

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  12. kavita padh kar laga ki ye parinde kahi hum khud hi to nahi..............

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  13. Dipak......... ek ek pankti bahut achchi lagi........ har line bhaavpoorn hai....

    bahut hi sunder prastuti........

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  14. "jo kabhi...." aur "kholkar..." bahut sahi lines likhi hain aapne...
    bahut acche bhai...

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  15. जो कभी khoya नहीं उसको talaash क्या करना ..........
    gahra darshan है इस शेर मैं ....इस कमाल की ग़ज़ल में सब शेर कमाल के हैं .......

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  16. Deepak,
    Sorry...ham kuch busy ho gaye the...
    isliye nahi aa paaye..
    har sher par daad dite rahen hain yakeen karo..
    sabhi lajwaab hain...
    khush raho..
    Didi

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