अभी कल ही की बात है कि मैं अपनी एक ब्लॉगर मित्र शोभना जी से जी मेल पर लिख लिख के बतिया रहा था.. कि अचानक उन्हें कुछ याद आया तो वो बोलीं कि उनकी एक विशेष साईट पर उन्होंने एक नयी तस्वीर डाली है और जब मुझे वक्त हो तो वो देख लूं... लेकिन लैब में होने की वजह से मैं फ़ौरन नहीं देख सकता था... सो मैंने तुरत-फुरत एक कविता रुपी जवाब तैयार किया.. हालाँकि सिर्फ पहली दो पंक्तियों को छोड़ दें तो बाकी सब सिर्फ कविता लिखने के उद्देश्य से लिखा गया है... इसलिए इसे अन्यथा ना लें...
देखूँगा!!!
देखूँगा तस्वीर तुम्हारी...
तसल्ली से,
सिर्फ देखने को नहीं...
दिल में उकेरने के लिए भी.
जल्दबाजी में चेहरा
बिगड़ भी सकता है,
एक पल देखने भर से
ना जाने..
दिमाग में क्या छप जाये..
देखूं तुम्हें...
और दिल में कोई और बस जाए...
सिर्फ देखना ही नहीं है ना.....
उसे
अपने खूँ में कुछ हरा रंग मिला के
फिर उस रंग से बने एक नए रंग से
कागज़ पे उतारना भी तो है....
अरे हाँ...
हरा इसलिए मिलाना कि........
इसके मिलाने से बने नए रंग को
देख कर,
पहिचान ना कर सको तुम
की इसमें लहू भी मिला है मेरा...
क्योंकि मुझे पता है
के तुम्हे पता चल गया तो
बहुत रोओगी तुम,
मेरे जिस्म में दौड़ते
लाल रंग से बनी,
अपनी तस्वीर देख के......
और
इतना तो पता है मुझे भी
कि लाल में हरा मिलाने से
काला होता है.
ऐसा..... ऐसा काला..
कि पहिचान नहीं हो पाती
कि 'किस-किस रंग से
कैसे बना है कोई रंग'......
बस कहीं से थोड़े
हरे रंग भर कि जुगाड़ हो जाये,
अरे हाँ....
मैं भी ना....
वो तो मेरी
पुरानी टेबल की दराज़ के
अन्दर वाले खाने में फंसा पड़ा है..
जाने कब से.....
सोचा था के
किसी खुशी में भरने के काम आएगा कभी...
चलो आज किसी काम आ ही गया...
लेकिन गज़ब बात है...
गज़ब बात है कि
तुम्हारी तस्वीर में
लाल और हरे रंगों को
मिला के भरने से,
रंगीन रंगों के इस्तेमाल के बाद भी...
बनेगी...
बनेगी सिर्फ एक रंगहीन...
श्वेत-श्याम तस्वीर.............
देखो है ना कितना अजीब,
कि मेरे रंगीन रंग भी
तुम्हारी तस्वीर को
मेरी ज़िन्दगी की तरह
सादा बना देंगे....
पर......
तुम तो आओगी ना?????
रंग भरने..
अरे.... तस्वीर में नहीं...
मेरी ज़िन्दगी में.....
मेरी ज़िन्दगी में.....
दीपक 'मशाल'
चित्रांकन-दीपक 'मशाल'
र......
जवाब देंहटाएंतुम तो आओगी ना?????
रंग भरने..
अरे.... तस्वीर में नहीं...
मेरी ज़िन्दगी में.....
मेरी ज़िन्दगी में.....
--बड़ी गहरी बात कह गये बात बात में भाई!!
इतना तो पता है मुझे भी
जवाब देंहटाएंकि लाल में हरा मिलाने से
काला होता है.
वेदना, करुणा और दुःखानुभूति को उजागर करती रचना ।
वाह प्यारे........
जवाब देंहटाएंत्वरित प्रतिक्रिया....
वो भी कविता में...
बढ़िया ही नहीं बहुत बढ़िया....
जिन्दगी और तस्वीर का फर्क उकेरती कविता !
जवाब देंहटाएंकोई रंग भरे या न भरे, आपने कई रंग भर दिए इस रचना के माध्यम से।
जवाब देंहटाएंसादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
आजे अपनी फ़ोटू मेल करते हैं ....देखें दीपकवा कौन मशाल जला के कविता बनाते हैं .....?
जवाब देंहटाएंदेखो है ना कितना अजीब,
जवाब देंहटाएंकि मेरे रंगीन रंग भी
तुम्हारी तस्वीर को
मेरी ज़िन्दगी की तरह
सादा बना देंगे....
वैसे तो मुझे कविता की कोई समझ नहीं है मित्र लेकिन फिर भी इतना ज़रूर समझ आया कि ...
गहरी बातों को शब्दों के माध्यम से मिनटों में कह डालना..आपके लिए ...बाएँ हाथ का खेल है
तुरत-फुरत में बेहतरीन कविता...
जवाब देंहटाएंDipak ........ bahut hi behtareen kavita...... ek ek shabd jeevant hai... pyar aur sneh prastut karne ka ek anootha maadhyam hai tasveer aur kavita....
जवाब देंहटाएंShobhna ji ko bahut bahut badhai....
आ जाएगी कभी कोई रंग भरने ...शुभकामना ...
जवाब देंहटाएंमगर ये खून से रंग देने का आईडिया त्याग दे ...किसी मरीज के काम आयेगा...!!
बेहद खूबसूरत रचना । बधाई
जवाब देंहटाएंसुन्दर,नही बहुत सुन्दर।
जवाब देंहटाएंare waah i to fatafat kavita hai...
जवाब देंहटाएंkhoobsurat khayal jo rangon ki chhata bikher rahe hain..
accha laga padh kar..
didi..
हाय ये जुल्फ कैसी है,
जवाब देंहटाएंज़ंजीर जैसी है...
वो कैसी होगी,
जिसकी तस्वीर ऐसी है...
जय हिंद.
एक ही झटके मे जवाब बहुत हाज़िर जवाब हो मियां।
जवाब देंहटाएंदेखो है ना कितना अजीब,
कि मेरे रंगीन रंग भी
तुम्हारी तस्वीर को
मेरी ज़िन्दगी की तरह
सादा बना देंगे....
अरे तुम सादे हो? कमाल है बहुत बहुत आशीर्वाद तुम्हारे सादेपन के लिये।
bahut hi badhiya likh diya aapne...
जवाब देंहटाएंपेन्टिंग और कविता दोनों सुंदर हैं। बधाई।
जवाब देंहटाएं------------------
11वाँ राष्ट्रीय विज्ञान कथा सम्मेलन।
गूगल की बेवफाई की कोई तो वजह होगी?
लगता है बहुत डूबकर लिखा है!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर!
This instant poem of yours has come out beautifully
जवाब देंहटाएंCongrats
Your poems are full of Soul and Depth...
sometimes it takes more than a few seconds to come out of it..
wish you all the sucess
फोटो देखकर रंगाई पुताई पर उतर आये , सामने देखकर पता नही
जवाब देंहटाएंक्या करेंगे ।
अब खाली फोटो से काम नही चलेगा मियां। तस्वीर से बाहर निकाल ही लो।
जवाब देंहटाएंअच्छा है।
वाह..........रूमानी ख्याल
जवाब देंहटाएंtum to aaogi na.........na jaane kaun sa jadoo bhara hai inhi shabdon mein.........in shabdon ne hi jaise sara hal-e-dil bayan kar diya.......phir bhi jis rang mein doobkar aapne likha hai wo rang har kisi par nhi chadha karta.......badhayi itni sundar kavita ke liye.
जवाब देंहटाएंwah wah.........ek bahut hi acchi poem likh di.....vakai u r gr8 writer..........
जवाब देंहटाएंतबियत रंगीन हो गई.....
जवाब देंहटाएंआप सबका स्नेह मिल रहा है ये बहुत बड़ी बात है मेरे लिए, लेकिन कभी सुझाव भी दीजियेगा.. कहीं यहीं ना अटका रहा जाऊं, आगे ना बढ़ पाऊं... जय हिंद..
जवाब देंहटाएंबहुत लाजवाब . शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
wah wah.........ek bahut hi acchi poem likh di.....vakai u r gr8 writer..........
जवाब देंहटाएंतुम तो आओगी ना?????
जवाब देंहटाएंरंग भरने..
अरे.... तस्वीर में नहीं...
मेरी ज़िन्दगी में.....
मेरी ज़िन्दगी में.....
वाह बहुत सुंदर और भावपूर्ण रचना लिखा है आपने! हर एक पंक्तियाँ लाजवाब है !
Ajay bhaia abhi tak aapki photo nahin mili :)...
जवाब देंहटाएंArshia ji chitra ki taraf dhyaan dene ke liye bahut shukriya...
waah deepak bhaai rango ka mel bataane ke sath hi ek sundar romantic rachanaa bhi jisme dil ki bhawnaaon ka rang bhar baut khubb!!!!
जवाब देंहटाएंबहुत खूब दीपक जी !
जवाब देंहटाएंएक पुराने गाने की दो लाइने याद आ गयी
जितने भी मिले रंग वो सब भर दिए तुझमे.. अरे भर दिए तुझमे !
इक रंग -ए-बफा और है लाऊ वो किधर से ...........!
भई दीपकजी आपने तो हमारा रंग पसंद किया तस्वीर बनाने में !!! पर आपने हरे को काला कर दिया!!! यही होता है हम जब हरा भरा चरने जाते है तो अकाल से जलकर धान कला हो हो जता है !!!
जवाब देंहटाएंकविता तो बनने की प्रक्रिया में है ..अभी रंग भरलो ज़िन्दगी की तस्वीर मे ..कविता मे भी आ जायेगा
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