बुधवार, 18 नवंबर 2009

छला गया, मैं छला गया 0000000000000 दीपक 'मशाल'

दिल की टीसों को, दिल में दबाये रखना,
लोग आएंगे जब, जख्मों को छिपाए रखना.
इक तबस्सुम तो रखना होंठों पे ज़माने के लिए,
वक़्त जरूरत के लिए, आंसू भी कुछ बचाए रखना.

छला गया, मैं छला गया
अपनों के हाथों छला गया,
जो फूलों का न मिला मुझे,
पथ मंजिल तक चलने को,
अंगारों की इक राह चुनी,
जिस पर मैं चलता चला गया.


यूँ तो इक प्यासा पनघट का
और तनहा कोई जमघट का,
मिलना तो मुश्किल होता है,
पर किस्मत ऐसी मिली मुझे,
कि शीतल जल भी जला गया.
छला गया मैं छला गया.


रात पूस और चंदर पूनम,
फिर भी मेरा भाग अहो,
उसका बर्फीला ताप मेरे,
कोमल अरमानों का इक इक
जमा हुआ हिम गला गया.
छला गया मैं छला गया.


हाल-ए-दिल जिस दिलवर से,
हम सुनते और सुनाते थे,
संग राग वफ़ा के गाते थे,
हय दिल में रहकर वो दिल को,
कुछ ज़ख्म दिला के चला गया.
छला गया मैं छला गया.
दीपक 'मशाल'

20 टिप्‍पणियां:

  1. रात पूस और चंदर पूनम,
    फिर भी मेरा भाग अहो,
    उसका बर्फीला ताप मेरे,
    कोमल अरमानों का इक इक
    जमा हुआ हिम गला गया.
    छला गया मैं छला गया.

    --बहुत उम्दा भाव! वाह दीपक!! आनन्द आ गया!

    जवाब देंहटाएं
  2. "जमा हुआ हिम गला गया." "कि शीतल जल भी जला गया."
    यह शब्दप्रयोग मुझे अच्छा लगा । बाकी लय बहुत बढ़िया आई है इसी तरह कविता लिखने के बाद उसे सस्वर पाठ करके देखना चाहिये ,अनावश्यक शब्द ,अपने आप हट जाते हैं ।
    और कंटेंट के बारे में क्या कहूँ बार बार छले जाने की तो यह उम्र है ही .. बस इतना ध्यान रहे कि किसी को छलने की कोशिश भी नहीं करना ..वरना...।

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  3. ज़माना ही ऐसा है मित्र कि मौका लगने पर हर कोई छलने की कोशिश करता है ...

    सुन्दर रचना

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  4. किस्मत ऐसी मिली मुझे,
    कि शीतल जल भी जला गया.
    छला गया मैं छ्ला गया
    प्यार मे अक्सर ऐसा हो जाता है ,

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  5. "यूँ तो इक प्यासा पनघट का
    और तनहा कोई जमघट का,
    मिलना तो मुश्किल होता है,
    पर किस्मत ऐसी मिली मुझे,
    कि शीतल जल भी जला गया.
    छला गया मैं छला गया."

    मैं तो यहीं ठहर गया । बेहद खूबसूरती से अभिव्यक्त हुआ है भाव ! आभार ।

    जवाब देंहटाएं
  6. सुंदर रचना- छले गए तो ठीक है, बाकी उपर शरद भाई ने कह ही दिया है,

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  7. हमने हर गम को सीने से लगा रखा है,
    राख़ के ढेर में शोलों को दबा रखा है...

    (दीपक मैंने ई-मेल अड्रैस वगैरहा तुम्हारी एक पोस्ट में कमेंट के ज़रिए डाला था...तुमने देखा या नहीं...ई-मेल पर अपना प्रोग्राम भेजो...)

    जय हिंद...

    जवाब देंहटाएं
  8. यूँ तो इक प्यासा पनघट का
    और तनहा कोई जमघट का,
    मिलना तो मुश्किल होता है,
    पर किस्मत ऐसी मिली मुझे,
    कि शीतल जल भी जला गया.
    छला गया मैं छला गया.

    Really, ek khubshoorat shabdaawalee kaa istemaal kiyaa aapne, deepak ji

    जवाब देंहटाएं
  9. जी शरद भैया, समझ गया... जैसा आप कहेंगे वही होगा.. वरना....................मेरे पास २ ही कान हैं खिंचवाने के लिए.. :)
    जय हिंद...

    जवाब देंहटाएं
  10. यूँ तो इक प्यासा पनघट का
    और तनहा कोई जमघट का,
    मिलना तो मुश्किल होता है,
    पर किस्मत ऐसी मिली मुझे,
    कि शीतल जल भी जला गया.
    छला गया मैं छला गया.
    bahut pasand aaya ye rang...

    जवाब देंहटाएं
  11. aaj kal waqt hi aisa hai...sab dhokha hi dete hai.......bahut hi acche tarike se vicharon ko shabdo mai dhala hai.....

    जवाब देंहटाएं
  12. दिल की टीसों को, दिल में दबाये रखना,
    लोग आएंगे जब, जख्मों को छिपाए रखना.
    इक तबस्सुम तो रखना होंठों पे ज़माने के लिए,
    वक़्त जरूरत के लिए, आंसू भी कुछ बचाए रखना.

    निशब्द हूँ इस अभिव्यक्ति के लिये
    और
    रात पूस और चंदर पूनम,
    फिर भी मेरा भाग अहो,
    उसका बर्फीला ताप मेरे,
    कोमल अरमानों का इक इक
    जमा हुआ हिम गला गया.
    छला गया मैं छला गया.
    वाह बेटा बहुत सुन्दर गीत है बधाई ।अशा है मेरी मेल मिल गयी होगी।

    जवाब देंहटाएं
  13. रात पूस और चंदर पूनम,
    फिर भी मेरा भाग अहो,
    उसका बर्फीला ताप मेरे,
    कोमल अरमानों का इक इक
    जमा हुआ हिम गला गया.
    छला गया मैं छला गया
    kya shabd sanyojan hai..............behatareen...
    bahut sunder

    जवाब देंहटाएं
  14. दीपक भाई बेहतरीन लिखा है आपने |

    ये दुनिया ही छलावों की दुनिया होती जा रही है ...

    जवाब देंहटाएं
  15. रात पूस और चंदर पूनम,
    फिर भी मेरा भाग अहो,
    उसका बर्फीला ताप मेरे,
    कोमल अरमानों का इक इक
    जमा हुआ हिम गला गया.
    छला गया मैं छला गया.

    shabdon ka naya prayog pasand aaya deepak..
    sundar kavita hamesha ki tarah..
    bahut pasand aayi..
    lagta hai....Tum, Darpan, Mahfooz, Apoorv, Mithilesh, Chandan, Ambuj, Rakesh ityadi ne thaan liya hai hindi blog jagat ko nayi disha aur ek saarthak makam dene ka..
    Naya khoon hai aur naya josh dekh kar bahut khushi ho rahi hai...
    bahut badhiya..
    Didi..

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  16. मैं क्षुब्ध था , मैं तीक्ष्ण था,
    तेवर तीखे , और आखों में शोले,
    सब उडेल दिया, उसके सन्मुख ,
    वो चुप ,मौन सहमति-असहमति,
    मुझको छोड कर चला गया,
    मैं हताश और बदहवास, फ़िर एक बार छला गया....॥


    दीपक अपने आने की सूचना देना ..नं सभी जगह उपलब्ध है ही

    जवाब देंहटाएं
  17. दिल की टीसों को, दिल में दबाये रखना,
    लोग आएंगे जब, जख्मों को छिपाए रखना.
    इक तबस्सुम तो रखना होंठों पे ज़माने के लिए,
    वक़्त जरूरत के लिए, आंसू भी कुछ बचाए रखना.।

    क्या बात है दिपक भईया , बेहद लाजवाब व उम्दा रचना लगी । हर एक शब्द जैसे बरस पड़े

    जवाब देंहटाएं
  18. Dipak baat to sahi hai.... aajkal har koi chhalne ki hi koshsih karta hai....

    ek naye experiment ke saath bahut hi behtareen rachna.......

    dipak ....deri se aane ke liye maafi chahta hoon bhai....

    जवाब देंहटाएं

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