शुक्रवार, 22 जनवरी 2010

''अरे नहीं दीपक भाई ये आपको हो ही नहीं सकता, हमारा प्यार जो आपके साथ है''.......ये ब्लॉगवुड का आपसी प्यार नहीं तो और क्या है?????????दीपक मशाल

 अभिभूत हूँ मैं आप सबके द्वारा वर्षाये गए इस निःस्वार्थ प्रेम से... मुझे कतई उम्मीद नहीं थी कि एक इतनी सी छोटी सी बात पे आप सब लोग मुझे इतना स्नेह और संबल प्रदान करेंगे, क्या पता था कि मुझे तकलीफ होने के आभास भर से महफूज़ भाई रो पड़ेंगे और शीर्षक बदलवा देंगे.. ये कहने के साथ कि '' दीपक, खुद को हमेशा अच्छा कहो.... I am the best का फंडा लेकर चलो.... हमेशा खुश रहो.... और सूपीरिअरिटी काम्प्लेक्स डेवलप करो.... सारी बीमारी दूर भाग जाएगी.....'',  मेरी अदा दी किसी शर्त पे ये नहीं मानेंगीं कि ये बीमारी मुझे किसी शर्त पे नहीं हो सकती... और ये दृढ विश्वास देंगी कह के कि ''ऐसा कुछ भी नहीं है..पहली बात तुम्हें टी.बी हो ही नहीं सकती...ये बिमारी रातों रात नहीं होती...दूसरी बात अगर हो भी गई तो इस्ला इलाज है और बहुत आसन इलाज़ है.. अब मुझे कल अपने बारे में लिखना पड़ेगा...तुम तो अनुमान लगा रहे हो कि ऐसा कुछ होगा...और मैं ?? खैर कल बताती हूँ.. मेरे प्यारे भाई को कुछ नहीं हुआ है... हाँ .. ज्यादा बुखार में लोग बडबडाते हैं और तुम वही कर रहे हो..''
ब्लॉग जगत के और बेशक मेरे भी प्रिय अजय झा भैया  और ज्येष्ठ भ्राता खुशदीप जी तो भावातिरेक में सीधा डांटना शुरू कर देंगे कह के कि '' ओए लडके अब पिटेगा तू , अबे नज़ला ,जुखाम, खांसी ..और कहां से कहां ..सारे जीवन के फ़लसफ़े पढ डाले , एक काम कर कल से कुछ मत लिख , कुछ दिन किसी अंग्रेजी मेम के साथ थ्री इडियट देख के आ , उसको बताना कि रणछोड्दास श्यामलदास चांचड ही बाद में फ़ुनसुक बांगडू बनता है ,आज बहुत ही गुस्से में हूं इसलिए ऐसे लिख रहा हूं , अबे कुछ नहीं होगा मेरे भाई , बस तबियत थोडी खराब है , ठीक हो जाएगी । अपना ख्याल रखो और ज्यादा मत सोचो , समझे कि और समझाऊं ??'' .....
खुशदीप भैया के शब्दों में- ''अरे भइया दीपक, तुझे तो अच्छा खासा वापस भेजा था...ये कौन सी भूतनी तेरे सिर पर बैठ गई है जो बहकी-बहकी बातें कर रहा है...अरे तू भारत में दो महीने लगा कर वापस गया है...भारत और उत्तरी आयरलैंड की आबोहवा में खासा फर्क है...प्रतिरोधक शक्ति कम होने की वजह से नजला-जुकाम के कीटाणुओं ने तुझे आ घेरा...बस इतनी सी बात है...
थोड़े दिन उस फिज़ा में रहेगा, फिर एडजस्ट हो जाएगा...माना तू कवि आदमी है...कोमल दिल वाला है...लेकिन इस तरह दिल पर लेना ठीक नहीं है....अपने महफूज़ उस्ताद से ही कुछ सीख...किस तरह तमाम परिस्थितियों के बावजूद अपने पर भरोसा करता है...कहीं भी भिड़ने को तैयार रहता है...ऐसी ही स्प्रिट की ज़रूरत है...अरे ये बीमारी-वीमारी कुछ नहीं बस मन का वहम होती हैं...बस टाइम पर दवा ले और सब कुछ भूल जा...तुझे कुछ नहीं हुआ है...ये मैं कह रहा हूं...और तू मेरी बात पर भरोसा करता है, ये मैं जानता हूं...''
उधर डॉ. कुमारेन्द्र चाचा जी भी डपटने लगे कि- ''दीपक तुमसे अब गद्य लिखने को कहा था पर ऐसा नहीं. अभी तुमसे मरने जैसी बातों की नहीं वरन अनुभूतियाँ जैसी और दूसरी पुस्तकों की अपेक्षा है. भले ही ये आलेख हंसी मजाक के मूड में लिखा हो पर...!!!!!!!!'', उधर संगीता पुरी आंटी, शिखा वार्ष्णेय  जी, ने पूरा भरोसा जताया कि मैंने ग़लतफ़हमी पाल ली है और जल्दी ही मेरे पूर्णतः स्वस्थ होने का दावा किया... तो रश्मि रवीजा जी तो संदेह ही करने लगीं ये कह के कि- ''ओह्ह ये दीपक मशाल की ही पोस्ट है या किसी आठ साल के बालक की...ऐसे भी कोई घबराता भला ....वैसे समझ सकती हूँ आप बहुत अकेलापन महसूस कर रहें हो..खासकर अभी अभी यहाँ से लौट के जाने के बाद..ज्यादा ही मिस कर रहें हो...chill बाबा कुछ नहीं हुआ है आपको..हम सब लिख कर दे दें??..U r fit n fine..b happy :)'', अलबेला खत्री जी ने भी २ बार अपने ही अंदाज़ में हिम्मत बधाई ''बिना पिए ऐसी बहकी बहकी बातें नहीं करनी चाहिए, पाप लगता है, स्वस्थ रहो ! मस्त रहो ! और व्यस्त रहो ! टी. बी. की लोंगफॉर्म अगर टिप्पणी की बीमारी है तो हा हा हा..'', प्रिय अनुज मिथिलेश ने भी अदा दी का समर्थन किया- ''अरे नहीं दीपक भाई ये आपको हो ही नहीं सकता, हमारा प्यार जो आपके साथ है'', घघूति बसूती जी ने अपने साथ घटित उस घटना का जिक्र किया जिसमे डॉक्टर को ही उनकी बीमारी के बारे में गलतफहमी थी लेकिन वो स्वयं में निश्चिन्त थीं और वास्तव में उन्हें कुछ नहीं हुआ था..., राज  भाटिया  सर परिवार के बुजुर्ग हैं इसलिए उन्होंने हिदायत दी कि ऐसी बातें ना करके हस्पताल जाऊं और लौट के उनसे तुरंत फोन पर बात करुँ., आदर्श ब्लॉगर और हर दिल अज़ीज़ समीर लाल जी ने लेख को उसी तरह पढ़ा जैसे मैं पढ़ना चाहता था और समझाया कि, '' आलेख मजाक में लेते हुए बस इतना कहना चाहेंगे कि भाई, किताब डाक से भेज दो...हमारे आने में तो अभी समय है...क्या पता??? किताब रहेगी तो पढ़ लिया करेंगे.. :) कौन टाईप की बातें सोचते हो भाई..अजब आईटम हो!!'', उधर ब्लॉगवुड के संरक्षक पाबला सर जी का प्यार भरा धमकाना इस विश्वास को और मजबूत कर गया कि यहाँ सभी अपने हैं- ''खुशदीप जी जैसा धमकाऊँ??? तुझे तो अच्छा खासा वापस भेजा था...ये कौन सी भूतनी तेरे सिर पर बैठ गई है जो बहकी-बहकी बातें कर रहा उन्ही के जैसा गाना गुनगुनाऊँ तो..... मुश्किल में हो तारे, ना घबराना प्यारे.....गर तू हिम्मत ना हारे, तो होंगे वारे-न्यारे......नहीं समझ आया ना? ओए लडके अब पिटेगा तू'', ज्योति वर्मा जी और अपने कल्पतरु वाले विवेक रस्तोगी जी  ने भी डर कर भागे आने  की बात कही और स्वास्थ्य का ख्याल रखने को कहा,  जाकिर अली भाई  ने उम्मीद पर दुनिया कायम होना बताया तो बबली(उर्मी)जी  ने शुभकामनायें दीं.  गोदियाल सर ने आशावादी सन्देश दिया लिख के कि' ''My Friend,The woods are lovely dark and deep but you have a promise to keep and miles to go .....!'' डॉ. दराल सर ने एक फैमिली डॉक्टर ही नहीं बल्कि बुजुर्ग की तरह जांच-पड़ताल की तो  अवधिया जी समझाया कि, ''दीपक, कुछ भी नहीं हुआ है तुम्हें। आलतू फालतू बातें सोचना बिल्कुल छोड़ दो और मस्त रहो। मैं डॉक्टर नहीं हूँ किन्तु मेरा एक परिचित दवा निर्माता है इसलिये मुझे पता है कि ciprofloxasin सिर्फ सर्दी खाँसी की एक सामान्य दवा है। पता नहीं कैसा डॉक्टर है तुम्हारा जो ऐसी सम्भावना जता दिया उसने। सबसे बड़ा रोग वहम होता है। वहम बिल्कुल त्याग दो और मस्त रहो। कभी कभी सर्दी खाँसी जैसी छोटी बीमारी भी ठीक होने में लंबा समय ले लेती है इसलिये बेकार की बातें सोचना बिल्कुल छोड़ दो।'' शोभना चौरे मैम ने भी मोतियाबिंद के बारे में अपनी आपबीती सुना कर वहम को दूर किया, पंकज मिश्रा जी भी इसी तरह मुझे इस भ्रम से निकलने में मदद की...   श्रद्धा जैन जी ने लेख को उम्मीद के मुताबिक positively लिया और  ललित शर्मा भाईसाब, ने सतोपलादी चूर्ण वाला रामबाण नुस्खा दिया.... डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री जी ने भी स्नेह दिया,   वाणी गीत मैम पोजिटिव attitude अपनाने को कहा और ललित जी के नुस्खे का समर्थन किया, अंत में आदरणीया निर्मला कपिला मासी जी ने दुलारते हुए कहा कि, ''दीपक ! ये क्या? क्यों सब को रुलाना चाहते हो? कितने दिन से तुम्हें कह रही थी कि अपनी सेहत की ओर ध्यान दो। जब से तुम मिले थे मुझे तब से ही चिन्ता थी। खैर अभी रिपोर्ट आने तक इन्तज़ार करो। अगर भगवान न करे कुछ ऐसा भी हुया तो चिन्ता की कोई बात नहीं है। आज कल किस बिमारी का इलाज नहीं फिर जहाँ तुम बैठे हो वहां तो और भी अच्छा इलाज है। तुम ने मुझे नहीं देखा मेरी बिमारी का तो इलाज भी असंभव था मगर मेरी इच्छा शक्ति ,योगा , अक्यूप्रेशर .दवा सब ने मिल कर मुझे ठीक कर दिया। शायद अधिकतर लोगों ने इस बिमारी का नाम भी नहीं सुना हो। ये समाल वेसेल वेस्कोलाईटिस थिऔर आज मैं सब काम करती हूँ। पूरा दिन काम करती हूँ। कम से कम ये सब कहने से पहले अपनों के बारे मे तो सोचो उन्हें कितना दुख होगा कह देना आसान है। इसमे सिर्फ इच्छा शक्ति और खुराक काम करती है । दवा के साथ अच्छी खुराक न लो तो नुकसान होता है और कुछ परहेज भी किया करो ठंड से बचो। जल्दी से अपनी रिपोर्ट की कापी मुझे भेजो। मैने जो मेल मे तुम्हें नुस्खा बताया था साथ मे उसे करो 3 माह तक लगातार साथ मे दवा भी लो। लापरवाही बिलकुल नहीं पहले सेहत फिर कुछ और । अगर फिर से ऐसी बात की तो कभी बात नहीं करूँगी। तुम्हारी किताब पढ ली है दो तीन दिन मे समीक्षा लिखूँगी आज कल रीढ की हड्डी ने परेशान कर रखा है इस लिये अधिक देर बैठ नहीं पाती। चलो फिर अपना ध्यान रखना। सकारात्मक सोच हमेशा आदमी को विजय पथ पर ले जाती है..... बहुत बहुत आशीर्वाद भगवान तुम्हें लम्बी आयू और हर खुशी दे।''
ये आपसब लोगों का स्नेह, प्यार और दुलार ही है जो मैं कल से ही काफी बेहतर मह्स्सोस कर रहा हूँ और बुखार तो चला ही गया... धीरे धीरे खांसी और जुकाम भीकम हो रहा है और पीठ और सिर का दर्द भी... डॉक्टर सोमवार को जो कहेगी सो कहेगी लेकिन मुझे अन्दर से महसूस हो चला है कि मुझे कुछ नहीं हो सकता और ये भरोसा आप सब ने ही दिलाया है...
लेकिन इस पोस्ट से मेरा तात्पर्य आप लोगों तक सिर्फ दो सन्देश देना था पहला ये कि मेरी तरह किसी भी बीमारी को हलके से ना लें और लापरवाही ना बरतें वर्ना थोड़ा सा आलस बेवजह का तनाव और शंका पैदा कर सकता है....... और दूसरी बात मौत जीवन कि तरह ही एक सच्चाई है... जिस दिन हम मरने के लिए वैसे ही तैयार रहेंगे जैसे कि जीने के लिए रहते हैं... उसी दिन से मौत भी हमें डराना  छोड़ देगी.. और फिर दुनिया में कोई ऐसा काम नहीं होगा जो हमारे लिए असंभव हो...क्यों नहीं हम मौत को भी एक चुटकुले कि तरह लें... वर्ना यह हमेशा की तरह से युधिष्ठिर से पूछे गए यक्ष प्रश्न की तरह ही रहेगी... और हमारे दिलों में खौफ भी पैदा करती रहेगी.....
फिर भी ये मेरी ही गलती थी कि अपनी बात को उस तरह नहीं रख पाया जैसे रखना चाहिए था या फिर ये आपका ब्लोग्परिवार के सदस्यों के प्रति स्नेहाधिक्य है...

आगे की पोस्ट के लिए आपसे पूछना चाहता हूँ कि आप क्या पढना चाहेंगे??? कविता, कहानी, ग़ज़ल या लेख या फिर मेरी पेंटिंग्स या कार्टून या कैमरे से उतारी गयी तस्वीरें देखना चाहेंगे????? इससे मुझे आपकी राय और पसंद पता चलेंगीं इसलिए टिप्पणी में बताएं जरूर... तब तक के लिए एक पुरानी कविता से काम चलाइए---- और ऐसे ही दुलारते रहिये----

आबादी में इतने आगे होकर भी आबाद नहीं
सरकारी एडों में सुनते हम बिलकुल बर्बाद नहीं,
सुनते हैं इतिहास मगर कहते हम इरशाद नहीं
तन से मुक्त हुए हैं लेकिन मन से हम आज़ाद नहीं.

पेट की आग बुझाने को नारी शोलों पे सिंकती है
देखो तो चौराहे पर फिर किसकी बेटी बिकती है,
शाम हुई तो बच्चों में जो भूख किसी को लगती है
राणा के महलों में फिर से घास की रोटी सिंकती है.
सूख गए हय माँ के आँचल इससे बड़ा अवसाद नहीं..
आबादी में सबसे आगे..........

कुछ होंठ प्यास से सूख गए कुछ जोनीवाकर पीते हैं
अंग्रेजी घर तो चकाचक्क हिंदी के कमरे रीते हैं...
बैठ के माँ के आँचल में हम होंठ उसी के सीते हैं
हमसे अच्छे वे कुत्ते हैं जो टुकड़ों पे जीते हैं.
लड़ना खुद से ही है यारों गैरों से कोई विवाद नहीं.
आबादी में सबसे आगे...........

संसद में हैं खड़े भेड़िये भेड़ों की बोली लगती हैं
हिन्दू हैं कुछ मुस्लिम औ कुछ और तरह की दिखती हैं,
जाओ गाय को मारो तुम इक सूकर कोई जिह्वा करो
ये भोली-भाली भेड़ें हैं सब भावनाओं में बिकती हैं.
वोट बनेंगे कैसे गर जो होगा कोई फसाद नहीं.
आबादी में सबसे आगे...........


इक डिब्बे में भरे हज़ार इक में सेठ औ साहूकार
सेवा में सबकी तत्पर है देखो ये भारत की रेल,
शयनयान के डिब्बे खाली औ जनरल का निकले तेल
नेताओं सी अदलाबदली कर दी गर तो जाओ जेल.
जीना हो तो खाकी वर्दी से करना कभी विवाद नहीं.
आबादी में सबसे आगे...........

मार के भैया जाओ जेल फिर कुछ दिन में पाओ बेल
सहाबुद्दीन और पप्पू यादव खेलें अक्कड़-बक्कड़ खेल,
कारागार में मोबाईल है पुलिस-चोर का सुन्दर मेल
हाँ जी गुण्डे पाके पुलिस सुरक्षा खूब मचाएं रेलमपेल.
जीभ जो उनकी चख ना पाए ऐसा कोई सवाद नहीं.
आबादी में सबसे आगे...........

तिरछा  है कानून तराजू सच्चे फिरते डोले डोले
कोयले वाले शिब्बू भैया सीधे-सादे कुछ ना बोले,
कुचल के कितने मासूमों को सल्लू गाए ओले ओले
पत्रकार साहब भी अब तो झूठे सारे चिट्ठे खोलें.
बिक गया चौथा स्तम्भ भी बाकी कोई विषाद नहीं.
आबादी में सबसे आगे...........

बोलो बोलो कीमत बोलो हर बाबू बिक जायेगा
राम नाम का सौदा करके हर साधू बिक जायेगा,
अब भी अगर ना अंकुर फूटे चेतनाओं के बीजों से
खड्गों की नोकों से फिर इतिहास नया लिख जायेगा.
औ मरा पेड़ जीवित जो कर दे ऐसी कोई खाद नहीं.
आबादी में सबसे आगे...........

दीपक मशाल
चित्र अपने ही मोबाइल से...

26 टिप्‍पणियां:

  1. इसी प्रेम के चलते तो जो एक बार इस ब्लॉगजगत में आया वो कहीं नहीं जा पाता. इतना स्नेह/ इतना प्रेम-भला और कहाँ.

    कविता तो बहुत गजब की है, आनन्द आ गया.

    और एक एक करके बदल बदल कर सब आईटम पेश करिये-सभी कलायें दिखाईये.

    शुभकामनाएँ.

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  2. हमारे ब्‍लागीवुड में सबका एक दूसरे से यूं ही स्‍नेह बना रहे .. बडा अच्‍छा लगता है !!

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  3. Sameer ji ki tippani ko hi meri bhi samajh lia jaye :) be happy always.

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  4. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  5. अरे...दीपक भाई...क्या हो गया?...कल आपकी पोस्ट पर नहीं पहुँच पाया...इसलिए आपकी तकलीफ़ का मुझे पता नहीं चल पाया...
    घबराने की ज़रूरत नहीं...ठीक हो जाओगे ...और हाँ!... ब्लोग्जगत का रास्ता जो है वो...वनवे है...इसमें सिर्फ आया ही जा सकता है...बाहर निकालने का कोई जुगाड़ नहीं है यहाँ

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  6. दीपक मै बस यही कहना चाहता था कि अगर तुम्हे तकलीफ़ ज्यादा है तो तुरंत किसी अच्छे डा को दिखाओ, या अस्पताल जाओ , ओर पुरा चेक अप करवाओ, बाकी आप से बात जरुर होगी आज कल मै, ओर चाहो तो छुट्टीयो मै हमारे यहां आ सकते हो.

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  7. karara vyangya hai kavita aapki... dhanyawad

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  8. आप बिलकुल स्वस्थ हैं और रहेंगे ...
    और स्वस्थ होने की आस जागते ही साधू , नेता , जेल सबकी अच्छी खासी खिंचाई कर दी है...
    बहुत शुभकामनायें ....!!

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  9. चलो अक्ल आई तो सही ठिकाने...

    आगे की दवाई क्या ग्वालियर से भिजवाऊं...

    जय हिंद...

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  10. अरे दीपक भईया आपको कुछ हो जाये तो भला हम ठिक से रह सकते हैं क्या । आज आपकी ये रचना पढकर अच्छा लगा।

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  11. Deepak,
    kal se tumhein comment karne ki kohish kar rahi hun ..nahi ho paaraha hai..
    kal tumse baat hui to chinta door hui..bas ab 3-4 din ki baat hai tum bikul theek ho jaaoge..
    sach hi to hai is blog jagat mein aise aise rishte bandh gaye hain ki ham kahan jaa payenge kahin bhi inhein chhod kar...ab nahi jaa paayenge..sach mein..

    kavita lajwaab hai tumhaari hamesha ki tarah..
    didi..

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  12. कुछ बड़ा सा छूट गया -पर आज की कविता तो लाजवाब है ...

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  13. दीपक कविता, कहानी, ग़ज़ल या लेख या फिर अपनी पेंटिंग्स या कार्टून या कैमरे से उतारी गयी तस्वीरें जो तुम्हारी मर्जी आये वह पोस्ट करो और मस्त रहो। मुझे खुशी है कि तुम्हारा वहम दूर हो गया।

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  14. दीपक भईया कोई लाजवाब कविता हो जाये तो मजा आ जाये ।

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  15. Priya Bhai Mithilesh, vaise aaj ki isi post par ek vyang kavita dali hai jo 3-4 saal purani hai lekin fir bhi tumhare kahne par aaj sham ek chhandmukt kavita aur kuchh tasweeren milengeen.
    :)
    Jai Hind...

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  16. आगे की पोस्ट के लिए आपसे पूछना चाहता हूँ कि आप क्या पढना चाहेंगे??? कविता, कहानी, ग़ज़ल या लेख या फिर मेरी पेंटिंग्स या कार्टून या कैमरे से उतारी गयी तस्वीरें देखना चाहेंगे????

    लगे रहो, दीपक भाई। किसी ने कहा है --- जीवन चलने का नाम ।
    शुभकामनायें।

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  17. कविता बहुत ही अच्छी है ....और आप हमारे अनुज जैसे हो...ख़याल तो रखेंगे ही...पर एक बात इसी बहाने मैं कहना चाहती हूँ...आप यंगस्टर्स अपने खाने-पीने का बिलकुल ख्याल नहीं रखते...इस उम्र में immunity कम नहीं होनी चाहिए..पिज्जा, बर्गर ठीक हैं..पर प्लीज़ प्लीज़ फल खाने की आदत डालो.
    हमारी फरमाईश तो है कि एक एक कर सबकुछ देखनी है..कविता,कहानी,तस्वीरें और पेंटिंग्स भी

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  18. कविता तो बहुत गजब की है, आनन्द आ गया.

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  19. arey deepak bhaiya... abhi aapki pichli post dekhi.. kaisi baat karte ho yaar aap.. dekhte nhi kitne log aapke sath hain.. agli post kab laga rahe ho...

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  20. हम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म तो पहले डराते हो फिर खुश करने के लिये इतनी अच्छी रचना डाल देते हो ये नहीं चलेगा अभी आराम करो कुछ दिन । सिर्फ और सिर्फ अपनी सेहत की तरफ ध्यान दो तुम तो इस ब्लागवुड के हरमन प्यारे हो तुम्हें सभी खुश और तन्दरुस्त देखना चाहते हैं बस। हाँ मै तो नण्गल मे खींची गयी तस्वीरें देखना चाहूँगे तुम ने एक ही तस्वीर भेजी है। आशीर्वाद। जरा जल्दी मे हूँ

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  21. वाह आ गया मेरा छोरा लाईन पर । बच्चे सेहत सबसे बडी नियामत है , ये पल्ले बांध लो अपने और हां लगे रहो , खूब पढो और ठेलते रहो ऐसे ही , रही प्यार की बात , तो यार अभी तो तुम्हें लडकियों ने देखा नहीं है नहीं तो आशिक तो और भी बनेंगे तुम्हारे मेरी जान , जियो मेरे लाल जियो ,
    अजय कुमार झा

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  22. यार दीपक हम खुद ही बीमार थे इसलिये तुम्हारी पिछली पोस्ट पढ नही पाये वर्ना हम तो तुम्हारे सीलिंग से बढे फ़ैन है।फ़िलहाल इतना ही कह पायेंगे तुमको हमारी उमर लग जाये।

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  23. Are ab to aaye na bhia..
    Der lagi aane me tumko....
    shukra hai fir bhi aaye to..
    Jai Hind

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  24. I am new at bloggers community and sorry but this is the only reason I saw your this post after a long span of time from its publication.........Its amazing,its superb and literally I don't have words to express what I am feeling right now to be one of this universal community which is,surprisingly,so loving .I am overwhelmed to see that bloggers are so heartly connected to each other.May God keep on showering His love on you all.With lots of lots of Good wishes to the inhabitants of this blogger world.^_^

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