देखो जग ने छोड़ दिया है
मुझको सबने छोड़ दिया है
कब तक साथ निभाओगे तुम
कब मुझसे कतराओगे तुम
हाथ मेरे जब खाली होंगे
क्या तब साथ में आओगे तुम
चट्टानें पत्थर सब उड़के
जब मेरी जानिब दौड़ेंगे
तूफाँ कितने अन्दर-बाहर
जब मेरी राहें मोडेंगे
क्या मेरी बांह में बाँहें देके
इन सबसे टकराओगे तुम
कब तक साथ....
पैर थकेंगे मेरे जब ये
राह कोई चलने से पहले
मंजिल का हो होश बाद में
मैं खुद के होश सम्हालूँ पहले
घिसट रहेंगे कदम मेरे जब
क्या तब साथ निभाओगे तुम
कब तक साथ....
ऐसे ताने सुनता हूँ मैं
जैसे गाने सुनता हूँ मैं
सांझ ढले तक उधड़ा देता
सुबह ख्वाब जो बुनता हूँ मैं
क्या सूखी नदिया की धारा में
अपनी नाव चलाओगे तुम
कब तक साथ....
छिन्न भी होगा भिन्न भी होगा
इस जग की नज़रों में जब सब
तन ये मेरा मन ये मेरा
निर्वस्त्र हो जाएगा जब सब
क्या काँधे से चिपका के कांधा
सबसे नज़र मिलाओगे तुम
कब तक साथ...
अब तो रब भी रूठ गया है
अन्दर सब कुछ टूट गया है
इक रीता कमरा छूट गया है
कोई अपना लूट गया है
सबने तो ठुकरा डाला है
कब मुझको ठुकराओगे तुम
कब तक साथ....
दीपक मशाल
चित्र साभार गूगल से
कब तक साथ निभाओगे तुम
जवाब देंहटाएंmarte dam tak " Dipakji"
कब तक साथ निभाओगे तुम
जवाब देंहटाएंजब तक सांस मे सांस हो
जब तक बाकी कोई आस हो
जब तक तेरा विश्वास हो
सब तेरा साथ निभायेंगे
बहुत सुन्दर लिखा है दीपक्………………भाव प्रवण्।
ati sundar..................
जवाब देंहटाएंbilkul aapki tarah........
sabne to thukra dala
जवाब देंहटाएंkab tak thukraoge tum.......:)
pyari rachna......!!
जब तक सांस मे सांस हो
जवाब देंहटाएंजब तक बाकी कोई आस हो
जब तक तेरा विश्वास हो
सब तेरा साथ निभायेंगे
भावमय प्रस्तुति ।
वो ग़ालिब का शेर है ना,
जवाब देंहटाएंकभी पुकार लेना यूहीं मुझे मेहरबाँ हो कर ,
मैं बीता हुआ वक़्त नहीं, जो दुबारा लौट ना सकूँ !
सुन्दर शब्द रचना.
छोटे भाई, आल इज़ वैल ना?
जवाब देंहटाएंअगर कुछ गड़बड़ है तो ’फ़कीरा, चल चला चल’ वाला गाना कम से कम आठ बार सुनना
और
महज रचना है तो बहुत खूब, अगली कड़ी में जवाब भी आये तो अच्छा लगेगा।
@संजय भाई,
जवाब देंहटाएंसिर्फ एक रचना ही है इससे ज्यादा कुछ नहीं.. आपके स्नेह के लिए शुक्रिया नहीं कहूँगा..
यौवन की तपन हो या , वृद्धावस्था की शीत
जवाब देंहटाएंहर पल साथ निभाए जा , सच्चा मन का मीत ।
एक ढूंढ लो यार ।
ऐसे ताने सुनता हूँ मैं
जवाब देंहटाएंजैसे गाने सुनता हूँ मैं
सांझ ढले तक उधड़ा देता
सुबह ख्वाब जो बुनता हूँ मैं
क्या सूखी नदिया की धारा में
अपनी नाव चलाओगे तुम
कब तक साथ....
--
बहुत सुन्दर रचना लिखी है आपने!
--
कल तो आपकी चर्चा का दिन है चर्चा मंच पर!
अब तो रब भी रूठ गया है
जवाब देंहटाएंअन्दर सब कुछ टूट गया है
इक रीता कमरा छूट गया है
कोई अपना लूट गया है
सबने तो ठुकरा डाला है
कब मुझको ठुकराओगे तुम
कब तक साथ....
जब से तुम मेरे मीत हो गए
जवाब देंहटाएंमेरी सरगम के संगीत हो गए
बजते रहते हैं मेरे कानो में सदा
जैसे तेरे बोल मेरे गीत हो गए
बस कुछ ऐसे ही मन में आकि
मेरी रेड़ियों पर चली कुछ लाईने।
अच्छी कविता
आभार
प्रतिकूलता में जो साथ हो उससे प्रश्न ?
जवाब देंहटाएंएक गीत याद आ गया ..."जब कोई बात बिगड जाये ....तुम देना साथ मेरा ....
जवाब देंहटाएंबहुत ही ले में लिखा है ये गीत दीपक !
छिन्न भी होगा भिन्न भी होगा
इस जग की नज़रों में जब सब
तन ये मेरा मन ये मेरा
निर्वस्त्र हो जाएगा जब सब
क्या काँधे से चिपका के कांधा
सबसे नज़र मिलाओगे तुम
कब तक साथ.
ये पंक्तियाँ कमाल हैं..
@पैर थकेंगे मेरे जब ये
जवाब देंहटाएंराह कोई चलने से पहले
मंजिल का हो होश बाद में
मैं खुद के होश सम्हालूँ पहले
बहुत अच्छी कविता।
रचना को मात्र रचना मानते हुए:
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना!!
बड़ा ही सुन्दर प्रश्न है, साथ रहने के लिये।
जवाब देंहटाएंऐसे ताने सुनता हूँ मैं
जवाब देंहटाएंजैसे गाने सुनता हूँ मैं
सांझ ढले तक उधड़ा देता
सुबह ख्वाब जो बुनता हूँ मैं
क्या सूखी नदिया की धारा में
अपनी नाव चलाओगे तुम
बहुत से प्रश्न करती....और मन के अंतर्द्वंद को कहती खूबसूरत रचना
'कब तक साथ निभाओगे तुम'...
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना...
ऐसे ताने सुनता हूँ मैं
जवाब देंहटाएंजैसे गाने सुनता हूँ मैं
सांझ ढले तक उधड़ा देता
सुबह ख्वाब जो बुनता हूँ मैं
क्या सूखी नदिया की धारा में
अपनी नाव चलाओगे तुम
कब तक साथ....
kya baat hai deepak ko kabhi is tareh se nahi dekha...deepak to roshn ho roshni dene ke liye hai.
lekin sach me kavita bahut bahut acchhi hai.
dil ko chhu gayi.
वाह..............क्या ख़्यालात हैं ......... बहुत सुन्दर..................
जवाब देंहटाएंऐसे ताने सुनता हूँ मैं
जवाब देंहटाएंजैसे गाने सुनता हूँ मैं
सांझ ढले तक उधड़ा देता
सुबह ख्वाब जो बुनता हूँ मैं
क्या सूखी नदिया की धारा में
अपनी नाव चलाओगे तुम
बड़ी ख़ूबसूरत पंक्तियाँ हैं और बहुत ही गहन भाव हैं भाई.....सुन्दर अभिव्यक्ति
हाथ मेरे जब खाली होंगे
जवाब देंहटाएंक्या तब साथ में आओगे तुम....
तब पहचान हो जाएगी। बहुत अच्छी रचना।
बेहतरीन लेखन के बधाई
पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर-पधारें
कब तक साथ निभाओगे तुम
जवाब देंहटाएंकब मुझसे कतराओगे तुम
हाथ मेरे जब खाली होंगे
क्या तब साथ में आओगे तुम...
व्यावसायिक होते रिश्तों के बीच यह मासूम सवाल मन में उठता ही है ..!
कब तक साथ निभाओगे या कब कतराओगे, कब ठुकराओगे ...
कभी लगता है सिर्फ सवाल है , तो कभी अविश्वास में छिपा गहरा विश्वास ...
मन में उमड़ घुमड़ करते विचारों पर अच्छी रचना ..!
अब तो रब भी रूठ गया है
जवाब देंहटाएंअन्दर सब कुछ टूट गया है
इक रीता कमरा छूट गया है
कोई अपना लूट गया है
सबने तो ठुकरा डाला है
कब मुझको ठुकराओगे तुम
mann ki duvidha ko achhe se likha hai
जो साथ निभाना जानता है....वह सुख दुःख में साथ ही रहता है!....बहुत सुंदर अनुभूति, धन्यवाद!
जवाब देंहटाएं.
जवाब देंहटाएंकसमे-वादे प्यार वफ़ा सब बातें हैं , बातों का क्या,
कोई किसी का नहीं ये झूठे ,नाते हैं नातों का क्या ।
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हाथ मेरे जब खाली होंगे
जवाब देंहटाएंक्या तब साथ में आओगे तुम
यक्ष प्रशन...........
शायद ही जवाब मिले..
bahut hi sundar.....
जवाब देंहटाएंA Silent Silence : Mout humse maang rahi zindgi..(मौत हमसे मांग रही जिंदगी..)
Banned Area News : Mona Singh To Do Two Films As A Protagonist
चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी रचना 7- 9 - 2010 मंगलवार को ली गयी है ...
जवाब देंहटाएंकृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया
http://charchamanch.blogspot.com/
बेहद खूबसूरत रचना बन पड़ी है दीपक जी ...
जवाब देंहटाएंऐसे ताने सुनता हूँ मैं
जवाब देंहटाएंजैसे गाने सुनता हूँ मैं
सांझ ढले तक उधड़ा देता
सुबह ख्वाब जो बुनता हूँ मैं
क्या सूखी नदिया की धारा में
अपनी नाव चलाओगे तुम
कब तक साथ...
बहुत खूब .. क्या लाजवाब लिखा है ... पर जो साथ निभाने का वादा करता है वो निभाता भी है ...