ऐसे ही सरे राह चलते कुछ पंक्तियाँ मन में आगईं तो उन्हें मन में दबाया ना गया.. हिन्दुस्तान के गरीबों का सा हस्र ना किया गया उनका मुझसे.. लेकिन आखिरी पंक्तियाँ समझ नहीं आयीं कि कौन सी बेहतर रहेंगीं इसलिए जो २ शेर टाइप कुछ समझ में आये वो लिख दिए.. अब उन दोनों में से जो बेहतर आपको लगे सुझाने की तकलीफ उठाइएगा उस्ताद...
अगर दोनों में से कोई ठीक ना लगे तो अपनी तरफ से कुछ बनाइये.. उम्मीद है निराश नहीं करेंगे..
वो निगहबान हो तो बात बने
अगर दोनों में से कोई ठीक ना लगे तो अपनी तरफ से कुछ बनाइये.. उम्मीद है निराश नहीं करेंगे..
वो निगहबान हो तो बात बने
वो मेहरबान हो तो बात बने
कब से खोये हुए हैं मेले में
कोई पहचान हो तो बात बने
आइना तो रोज़ वाह कहता है
वो कदरदान हो तो बात बने
सबके बारे में बुरा कहते हो
खुद के गिरेबान हो तो बात बने
हम पहलवान हो तो बात बने
गम जो दुनिया के रोज़ पीते हो
हम पे अहसान हो तो बात बने
इक तड़पन सी उठी है सीने में(समीर जी)
वो भी हलकान हो तो बात बनेतेरी नज़रों ने मुझको मारा है
पास श्मशान हो तो बात बने(समीर जी)
हिन्दू औ मुसलमाँ खूब हैं मशाल
जो कोई इंसान हो तो बात बने
दीपक मशाल
आदरणीय राजेन्द्र स्वर्णकार भाई साहब ने सच में इसे ग़ज़ल बना दिया.. उनका ह्रदय से आभारी हूँ.. देखिएगा उनके द्वारा तराशे जाने के बाद ग़ज़ल को-
आदरणीय राजेन्द्र स्वर्णकार भाई साहब ने सच में इसे ग़ज़ल बना दिया.. उनका ह्रदय से आभारी हूँ.. देखिएगा उनके द्वारा तराशे जाने के बाद ग़ज़ल को-
ग़ज़ल
वो निगहबान हो तो बात बने
और… मेहरबान हो तो बात बने
वो तो खोये हुए हैं मेले में
हमसे पहचान हो तो बात बने
आइने ज्यूं ही उनकी नज़रों में
कुछ मेरी शान हो तो बात बने
उनके लब पर भी देख कर हम को
एक मुसकान हो तो बात बने
सबको कहते बुरा ; कभी ख़ुद का
गर गिरेबान हो तो बात बने
वक़्त को जीतलूं ; कोई मुझमें
इक पहलवान हो तो बात बने
पीने वालों ! पियो मेरे भी ग़म
हां, ये अहसान हो तो बात बने
ख़ूब हिन्दू भी हैं , मुसलमां भी
कोई इंसान हो तो बात बने
तू तड़पता 'मशाल' आए दिन / रोज़ाना
वो भी हल्कान हो तो बात बने
दीपक मशाल
आज यहाँ बेलफास्ट में हिन्दुस्तान से आये अतिथि कविगण श्री केशरी नाथ त्रिपाठी जी, श्री रामेद्र त्रिपाठी जी, गजेन्द्र सोलंकी जी, महेंद्र अजनबी जी, शशि तिवारी जी और शिवरंजिनी जी शाम को कवि सम्मलेन में समाँ बांधेंगे.. कल उनके साथ कुछ आसपास की खूबसूरत जगहों पर घूमने गया था उन्हीं में से एक दो की तस्वीरें देखिएगा..
बहुत बढ़िया...
जवाब देंहटाएंअब कवि सम्मेलन की रिपोर्ट और रिकार्डिंग का इन्तजार रहेगा..
महेन्द्र अजनबी जी लगे मुझे तस्वीर में...
वो निगहबान हो तो बात बने
जवाब देंहटाएंवो मेहरबान हो तो बात बने.
कब के बिछड़े हुए हैं मेले में
कोई पहचान हो तो बात बने.
आईना रोज़ वाह कहता है
‘वो’ कदरदान हो तो बात बने.
सबके बारे में बुरा कहते हो
ख़ुद को देखो कभी तो बात बने.
वक़्त ने फिर मुझे हराया है
हम पहलवान हों तो बात बने.
ग़म जो दुनिया के रोज़ पीते हो
हमपे एहसान हो तो बात बने.
एक उट्ठी है तड़प सीने में (समीर लाल)
वो भी हलकान हो तो बात बने.
तेरी नज़रों ने मुझको मारा है (समीर लाल)
पास शमशान हो तो बात बने.
हिंदू मुस्लिम में सब बँटे हैं ‘मशाल’
कोई इंसान हो तो बात बने.
दो शेर में लफ्ज़ बहर में लाने के लिए बदलने पड़े..सायरी आता नहीं है..कोसिस किए हैं..अच्छा गजल लिखे हैं आप..अऊर फोटो त स्वर्ग मालूम देता है!!
समीर जी ठीक बोल रहे हैं कि महेंद्र अजनबी जी देखाई दे रहे हैं.. ई महेंद्र देहलवी कब से हो गए..पिछला साल इनके सामने हम अपना कबिता पढे थे.. हमरे ऑफिस के समरोह में आए थे..
जवाब देंहटाएंमैं बेवकूफ ही गलत नाम चढ़ा गया लिस्ट में.. आदमी तो वो सही हैं.. शुक्रिया समीर जी और बिहारी बाबू जी.. :)
जवाब देंहटाएंसुधार के लिए भी आप दोनों का आभार..
इक तड़पन सी उठी है सीने में(समीर जी)
जवाब देंहटाएंवो भी हलकान हो तो बात बने
दीपक भाई सारा मसला ये है की वो ही तो हलकान नहीं होती..........
अति सुंदर रचना जी धन्यवाद
जवाब देंहटाएंaapne shi vrnn kiya. akhtar khan akela kota rajsthan
जवाब देंहटाएंहम तो इंतजार कर रहे हैं
जवाब देंहटाएंकविता गाई जाएगी पत्थरों पर
इंसानियत उगाई जाएगी पत्थरों पर
हेलमेट पहन कर आयेंगे श्रोतागण
.....................
यह पंक्ति पूर्ति अतिथि कवियों सेपूरी करने के लिए विनम्र निवेदन है क्योंकि वे तिथि बतलाकर आते हैं, फिर भी अतिथि कहलाये जाते हैं।
सादर
अच्छी लगी रचना.........और चित्र तो बढ़िया हैं ही............
जवाब देंहटाएंबात बनेगी भाई, जरूर बनेगी।
जवाब देंहटाएंफ़ोटो भी बहुत प्यारे लग रहे हैं।
अगली रिपोर्ट का इंतज़ार कर रहे हैं।
बहुत सुंदर रचना और तस्वीरे बहुत मनमोहक हैं. कवि सम्मेलन की रिपोर्टिंग का ईंतजार रहेगा.
जवाब देंहटाएंरामराम.
क्या बात है दीपक भाई...आज आपको ढ़ूंढ़ने निकला तो पाया कि छाये हुये हो।
जवाब देंहटाएंek se ek badhkar sher hain aur tasveeren bhi.
जवाब देंहटाएंभला सीने में तड़प और श्मशान से समीर जी को क्या लेना देना ? :)
जवाब देंहटाएंकविता अच्छी है पर तस्वीरें उससे बेहतर !
बेहतरीन प्रस्तुति , रिपोर्ट का इंतजार है ।
जवाब देंहटाएंबढ़िया शायरी और चित्र भी बहुत खूबसूरत
जवाब देंहटाएंजितनी खूबसूरत गज़ल उतनी हसीन तश्वीरें...! वाह!
जवाब देंहटाएंकिसी शायर ने लिखा है...
तुम्हारे शहर का मौसम बड़ा सुहाना लगे
मैं एक शाम चुरा लूं अगर बुरा न लगे
इसी तर्ज पर ...
ये तश्वीरें बड़ी खूबसूरत हैं
मैं एकाध चुरा लूँ अगर बुरा न लगे...!
Umda........wah!!
जवाब देंहटाएंबड़ी मस्त रचना लिखी है दीपक ...आनंद आ गया , मनोहारी चित्र आपकी फोटोग्राफी पर पकड़ साफ़ बता रहे हैं ! शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंमुक्मल शायरी हो जाये 'मजाल',
जवाब देंहटाएंकोई पैगाम हो तो बात बने.
अच्छी प्रस्तुति ... और उससे भी सुंदर और मनमोहक तस्वीरे है .....
जवाब देंहटाएंhttp://oshotheone.blogspot.com/
लगता है समीरजी आपके कुछ राज जानते है
जवाब देंहटाएंअच्छा है
पोस्ट अच्छी है
बात कहीं न कहीं बन जाएगी इसका भरोसा है मुझे
tasvir our gajal dono bahut acchhi....bahut pasand aayaa.
जवाब देंहटाएंआइना तो रोज़ वाह कहता है
जवाब देंहटाएंवो कदरदान हो तो बात बने
bahut sundar dipakji
.
जवाब देंहटाएंवाह वाह वाह ...क्या बात है !
दीपक जी बधाई ।
.
@बेचैन आत्मा जी.. अरे सर आप को तस्वीरें अच्छी लगीं मैं इसी में खुश हूँ.. आप को भी इज़ाज़त लेने की जरूरत है क्या??
जवाब देंहटाएंआप सबका शुक्रिया स्नेह बनाये रखने के लिए...
वो निगहबान हो तो बात बने
जवाब देंहटाएंवो मेहरबान हो तो बात बने
कब से खोये हुए हैं मेले में
कोई पहचान हो तो बात बने
Comment is on the original!
Baat banee yaa nahee?
Pls visit "bikhare sitare"..just to read a thank you from me to you!
कब से खोये हुए हैं मेले में
जवाब देंहटाएंकोई पहचान हो तो बात बने
बहुत ही बढ़िया लिखा है, दीपक
नमस्ते
जवाब देंहटाएं१. तुम्हे तो फिल्मो मे होना चाहिए था यंग-मेन!
२.एक्टिंग का शौक रखते हो,स्टेज पर परफोर्म किया है कभी ?
क्या कहा ??? 'यस'
फिर आ जाओ मिल कर स्टेज पर आग लगा देंगें.
आज भी स्टेज नही छोड़ा मैंने. फ्रोफेश्नलकलाकार नही हूं किन्तु बचपन से आज पचपन तक स्टेज नही छोड़ा.
३ ये फोटोज बड़े प्यारे प्यारे हैं इनके नीचे परिचय के रूप मे कुछ लिखते तो बहुत ही अच्छा लगता और पता भी चलता कि ये कहाँ लिए गए और किसके हैं?
४. मम्मी-पापा हैं साथ मे? 'उस' फोटो मे.
५.गज़ल अच्छी लगी.
६.आपको???? नही . तुम्हे और भी पढ़ना चाहूंगी.दम है तुम्हारी कलम मे.
६क्मेन्त तभी देती हूं जब ध्यान से पढ़ती हूं उर लिखने के मूड मे होती हूं. यूँही तो कैसे लिख दूँ-'दिल को छू गया'
हा हा हा
sachmuch....swarnkar ji ne ghazal ko taraash kar khubsurat kar diya hai ....
जवाब देंहटाएंhan wo pehlwaan wale sher pe gulzar sab ki ek triveni yaad aa rahi hai ki
umra ke khel me ik tarfa hai ye rassa kashi
ik sira mujhko diya hota to koi baat bhi thee
mujhse tagda bhi hai aur saamne aata bhi nahi ...
kam aa pata hun deepak bhai ...iske liye muafi... :)