आज राखी के पावन पर्व पर अपनी प्यारी छोटी बहिन रानी(गार्गी) और सृष्टि के अलावा सारी बड़ी बहिनों(दीदियों) अदा दी, रश्मि रवीजा दी, लता हया दी और शिखा वार्ष्णेय दी का सादर चरण वंदन.. और आप सबको भी प्रेम के इस पर्व पर शुभकामनाएं.. साथ ही मेरी सब बहनों को नज़र करती ये हालिया रचना.. जिसका शीर्षक है 'डर'
डर चाहे पूरब के हों
या पश्चिम के...डर चाहे पूरब के हों
एक जैसे होते हैं
उनमे होता है आपस में कोई
खून का रिश्तातभी वो उभारते हैं
एक जैसी लम्बी लकीरें माथों पर
एक जैसा देते हैं आकार आँखों को
उनके नाम भले उन्हें अलग पहिचान दें
लेकिन उनका रहन-सहन, बोल-चाल
चाल-ढाल होते हैं एक से
और एक जैसा ही होता है
दिलों में उनके घर करने का तरीकातरीका उनके रौंगटे खड़े करने का
धडकनें बढ़ाने का
भले अलग हों
पर उनके चेहरे मिलते हैं बहुत
इसीलिए
डर चाहे पूरब के हों
या पश्चिम के
एक जैसे होते हैं
दीपक मशाल
भावपूर्ण एवं उम्दा!
जवाब देंहटाएंरक्षा बंधन की हार्दिक शुभकामनाएँ.
दीपक भाई बहुत अच्छी रचना है।
श्रावणी पर्व की शुभकामनाएं एवं हार्दिक बधाई
आज हमारी बेटी श्रुति प्रिया का जन्मदिन है।
लांस नायक वेदराम!---(कहानी)
इंसानियत के पुजारी होने की ओर बढते कदम ! असीम शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंरक्षाबंधन पर्व की बधाई !
गजब का अभिव्यक्ति है...और अनोखा बिचार!!
जवाब देंहटाएंबढिया प्रस्तुति .. रक्षाबंधन की बधाई और शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएंरक्षाबंधन की बधाई और शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएंबढिया प्रस्तुति
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति .. रक्षाबंधन की बधाई और शुभकामनाएं !!
जवाब देंहटाएंshashakt abhivyakti.........aapko bhi rakhsha bandhan ki subhmanayen!!
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी रचना है दीपक जी...
जवाब देंहटाएंरक्षाबंधन पर्व की सभी को हार्दिक शुभकामनाएं.
डर का स्वरूप थोडे ही बदला जा सकता है बेशक परिवेश और परिस्थितियाँ अलग हों………………बेहद उम्दा अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंरक्षाबंधन की बधाई और शुभकामनाएं !
बहुत अच्छी रचना है दीपक जी,रक्षा बंधन की हार्दिक शुभकामनाएँ
जवाब देंहटाएंरक्षाबंधन की ढेरों शुभकामनाए !!
जवाब देंहटाएंसुन्दर भावपूर्ण रचना ।
जवाब देंहटाएंरक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनायें ।
Hi...
जवाब देंहटाएंSundar bhavabhivyakti...
Rakhsha Bhandhan ki shubhkamnayen...
Deepak...
बहुत ही भावपूर्ण कविता, दीपक...रंग, भाषा, देश कुछ भी हो दिल में उठते भाव तो एक से ही होते हैं...प्यार के हों या फिर 'डर' के....
जवाब देंहटाएंराखी की बहुत सारी शुभकामनाएं...और ढेरों आशीष...आगे बढ़ो...खूब तरक्की करो...और बस आकाश छू लो...
डर चाहे पूरब के हों
जवाब देंहटाएंया पश्चिम के...
एक जैसे होते हैं
बहुत सुन्दर कविता है दीपक जी.भाषा या वेशभूषा अलग हो सकती है, लेकिन अन्तर्मन के भाव लगभग एक से ही होते हैं.
रक्षाबंधन की ढेर सी शुभकामनाएं.
बहुत खूब .. डर तो डर ही है ... कारण अलग अलग हो सकते हैं पूरब और पश्चिम में .... अच्छी रचना है दीपक जी ...
जवाब देंहटाएंआपको रक्षा बंधन की बहुत बहुत शुभकामनाएँ ....
बहुत बधाई इस पर्व की।
जवाब देंहटाएंबहुत ही भावपूर्ण रचना, राखी पर्व की शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम
रचना की तीव्र संवेदनशीलता भावुक बना देती है।
जवाब देंहटाएंआप को राखी की बधाई और शुभ कामनाएं
जवाब देंहटाएंभाई-बहन के मजबूत रिश्तों का पर्व रक्षाबंधन सब भाई-बहनों के रिश्तों मे मजबूती लाये
जवाब देंहटाएंबेहतरीन और अच्छी पोस्ट
शुभकामनाएं
आपकी पोस्ट ब्लाग वार्ता पर
सुंदर अभिव्यक्ति .. रक्षाबंधन की शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएंबहुत ही प्यारी कविता है ..May all of dreams comes true.keep it up.
जवाब देंहटाएंbahut hi sundar kavita lagi dipak..
जवाब देंहटाएंkhush raho...
deepak,
जवाब देंहटाएंसॉरी दोस्त, देर से पहुँचा हूँ।
रक्षा बंधन की बहुत शुभकामनाये(देर से ही सही) और हमेशा की तरह खूबसूरत प्रस्तुति पर बधाई।