गुरुवार, 8 अप्रैल 2010

ऐसे गृहमंत्री और अन्य मंत्रियों को फांसी पर लटका दो----->>>दीपक 'मशाल'

क्या लगता है आपको? कौन है असली दोषी इस नरसंहार के पीछे? क्या नक्सल या आदिवासी, टाटा-बिडला-अम्बानी जैसे उद्योगपति या मीडिया, पुलिस या सरकार, या कोई और?
ये घटना मेरा भी उतना ही लहू जलाती है जितना कि किसी अन्य भारतीय का.. निश्चय ही बहुत ही निंदनीय कृत्य है ये. लेकिन क्या न्याय विभाग असली दोषियों को पकड़ पायेगा? क्या उन्हें सजा सुना पायेगा? क्या पकड़ पायेंगे वो सत्तारुड़ी पार्टी के दिग्गजों को, क्या दे पायेंगे चिदंबरम को फांसी?
एक जायज़ सवाल उठ सकता है कि फांसी चिदंबरम को क्यों? क्योंकि नैतिक रूप से ये आदमी ही जिम्मेवार है अफसरशाही और उद्योगपतियों के बढ़ते प्रभुत्व के लिए. मैं मानता हूँ कि नक्सल्स का ये बिलकुल गलत तरीका है अपनी मांगों को मनवाने का. ये  नरसंहार कहीं से भी जायज़ नहीं लेकिन क्या गृहमंत्री जवाब देंगे कि उन जवानों को किस मंशा से वहाँ जंगल में मरने के लिए छोड़ा गया था? क्या हुआ? कहाँ चूक हुई? चूक क्यों कहा गया, क्या ये षड़यंत्र था कि किसी को कानोकान खबर ना हो और इस विद्रोह को रातोंरात कुचल दिया जाए यदि सच में ऐसा है तो क्या ये एक तरह से आत्मरक्षा में उठाया गया कदम नहीं है? क्या ये टुकड़ी नक्सलों को मारने के लिए नहीं भेजी गई थी?
मरे कोई भी नुक्सान हमारे देश का ही हो रहा है.. जब तक ये रक्तपिपासु राजनीतिज्ञ अपने फायदे को ध्यान में रखते रहेंगे तब तक किसी ना किसी माँ को तो विलाप करते ही रहना है, किसी ना किसी बहिन को राखी पर आँसू बहाना ही है, किसी को तो विधवा होना ही है और किसी ना किसी बच्चे को अनाथ होना ही है.
इसी सरकार के आदेश से इन आदिवासियों में से बिना असली नक्सल की पहिचान किये उनकी महिलाओं के साथ बलात्कार किये जाते हैं, उनके स्तन काट दिए जाते हैं और उनके बच्चों की अंगुलियाँ काट दी, छील दी जाती हैं.. और ये सब होता है इस मानसिक रूप से दिवालिया सरकार के आदेशों से, कुछ दुर्दांत अफसरों के कहने पर. परिणामस्वरूप बलि चढ़ती है मासूमों की, चाहे वो सीआरपीऍफ़ का जवान हो या कोई आदिवासी जिसे नक्सल का नाम दे दिया गया हो. असली अपराधी पकड़ में ही कहाँ आते हैं?
लेकिन ना ये सरकार सुधरनेवाली है और ना हम लोग...
अभी और भी नरसंहार की घटनाएं होती रहेंगीं और रोकने का एक ही तरीका है कि सेना भेजकर शांति की कोशिश करने वाले ऐसे गृहमंत्री और अन्य मंत्रियों को फांसी पर लटका दो.
दीपक 'मशाल'

21 टिप्‍पणियां:

  1. हृदय विदारक घटनाओ पर भी हृदय विदीर्ण नही होता वरन व्यक्तव्यो और प्रतिव्यक्तव्यो का खेल जारी हो जाता है.

    जवाब देंहटाएं
  2. इस बेहद दुखद एवं निन्दनीय घटना पर आपका इस तरह आक्रोशित हो जाना स्वभाविक है किन्तु समस्या के निदान हेतु कुछ कठोर कदम उठाने होंगे वरना यह रुकने वाला नहीं. आज एक मंत्री न रहेगा तो दूसरा कौन सा दूध का धुला आ जायेगा.

    जवाब देंहटाएं
  3. केरा तबहिं ना चेतिया,जब ढिंग लागी बेर।


    अभी भी चेतना जरुरी है।

    जवाब देंहटाएं
  4. jitani ninda ki jay utani kam hai .is ghatn ke jimmedar grihmantri hai ,jo rajnaitik samadhan khojne ke chakkar me dikhai dete hai .ghatna bahut dukhad hai.

    जवाब देंहटाएं
  5. बात तो यही है कि असली दोषियों तक कैसे पहुंचे कानून का हाथ ...
    परत - दर - परत छिपे हुए हैं असली चेहरे नकली चेहरों के पीछे

    जवाब देंहटाएं
  6. यहाँ हमारे जैसे लोग आक्रोश और पीड़ा से भरे बैठे थे और वहां पद्म पुरूस्कार बाटे जा रहे थे, और ये नेता ...ये तो जानते है जनता की याददाश्त बहुत छोटी है ...भूल जायेगी
    बस याद तो उनको रहेगा जिनके आँगन सूने हुए है

    जवाब देंहटाएं
  7. सरकार सिर्फ अफ़सोस जता रही है , और देश मैं बेक़सूर लोग मारे जा रहे हैं !
    बंद करो अब यह अफ़सोस करना .......
    मत करो अफ़सोस बेक़सूर जनता कि मौत का, कहीं ऐसा ना हो इस अफ़सोस के चक्कर मैं ! हमारी जिंदगी हमारे हाँथ से निकल जाये और .......

    dhnyabad

    जवाब देंहटाएं
  8. छत्तीसगढ़ लहूलुहान है और देश स्तब्ध।

    जवाब देंहटाएं
  9. अपने जवानों को सिटिंग डकस समझकर नक्सलियों के तंदूर में भुनने के लिए छोड़ देने वाली सरकार को परमात्मा सद्बबुद्धि दे....और शहीदों के परिवारों को ये दुख सहने का हौसला...

    जय हिंद...

    जवाब देंहटाएं
  10. दीपक आपका गुस्सा जायज है,ऐसी ही भावनायें यंहा के लोग भी आपस मे व्यक्त कर रहे हैं,मगर अफ़सोस जनता को तो गुस्सा आ जाता है नेताओं को नहीं।उन्हे एक बार गुस्सा आ जाये तो सारी समस्यायें फ़िनीश्।

    जवाब देंहटाएं
  11. दीपक,आपका गुस्सा बिलकुल जायज है... सारा देश ही आक्रोशित है इस वक़्त...पर वही...निर्णय लेने वाले,कार्यान्वित करने वाले...निष्क्रिय...अपनी स्थिति से संतुष्ट बैठे हैं... जब भी कोई ऐसी घटना होती है..लोग नाराज़ होते हैं..परेशान होते हैं...और फिर सबकुछ शांत पड़ जाता है,जबतक दूसरी घटना ना हो जाए

    जवाब देंहटाएं
  12. Allah in शहीदों के परिवारों को ये दुख सहने का हौसला Aameen

    जवाब देंहटाएं
  13. Yahan ke logo ki khaasiyat hai sabse badi,
    Habib lagtey hain, lekin rakeeb hotey hain.

    Kya neta, kya business group or kya police. Kisko dosh dey.

    जवाब देंहटाएं
  14. tumhaara gussa har haal mein jayaz hai...aisi ghatiya sarkaar aur kar bhi kya sakti hai siwaay afsos janaane ke...bahut aahi post..
    khush raho..
    didi..

    जवाब देंहटाएं
  15. सरकार के प्रति आपका आक्रोश सही है पर सेना पर आरोप बेहद आपतिजनक व मूर्खतापूर्ण ।आप देशभक्त हैं आपको इस तरह के झूठ को फैलाना सोभा नहीं देता ये काम आतंकवादियों व उनके समर्थकों का है

    जवाब देंहटाएं
  16. Hindu Tigers ji sahi kaha aapne.. lekin ye kahan likha hai ki ek shoshit varg par shashak varg ke kahne par hathiyaar uthane walon ka samarthan karne wala hi deshbhakt hai? aakhir marne aur maarne wale dono hi bharat ke nagrik hi hain. fir Geeta me bhi to kaha gaya hai ki bina kisis karan kisi ko marna hatya aur apne pariwar ki raksha ke liye marna vadh hota hai. aap sirf sarkari akhbari khabron par bharosa kar rahe hain aur main apne un doston kee baton par jo in logon ke dard sun kar aaye hain.

    जवाब देंहटाएं
  17. लगता है कि नपुंसक लोग राज कर रहे हैं।

    जवाब देंहटाएं
  18. सही लेख लिखा है, इस गृहयुद्ध को छेड़ने के लिए चिदम्बरम को फांसी की मांग मैं भी करता हूँ.

    जवाब देंहटाएं

LinkWithin

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...