सोमवार, 21 मार्च 2011

ये जो भी है आपके दिल को छुएगी जरूर

यहाँ लिखी हर एक पंक्ति को आँख बंद कर एक बार दोहराएंगे तो यकीन मानिए आपको ये सब अपना सा लगेगा.. बिलकुल आपका लिखा हुआ.. आपके दिल से निकला हुआ. ये मेरा दावा है.. साथ ही कमियों की तरफ ध्यान दिलाएंगे तो मुझे भी खुशी होगी..

अलग-अलग वो बरसा छाया जो साथ था 
अरे काफिला-ए-बादल आया तो साथ था 

यहाँ की छाँव ने कितना अकेला कर दिया मुझे  
वहाँ धूप थी तो क्या मेरा साया तो साथ था 

बड़ी घुटन होती है मुझे इस खुशबू-ए-शहर में 
कहाँ है गंध माटी की मैं लाया जो साथ था 

क्यों मुझको नहीं सुहाते तेरे तन्हा सुरीले गाने 
मिरा गाना बेसुरा था पर गाया तो साथ था 

कहीं दिखता नहीं यहाँ ज़मीर मेरा खो गया है 
शहर के द्वार तक वो मेरे आया तो साथ था 

एक नेता बन गया है दूजा बन गया है आदमी 
माँ ने दोनों बच्चों को जाया तो साथ था 

तू मर गया कभी का 'मशाल' अभी ज़िन्दा है 
यूँ तो दोनों ने ही ज़हर खाया तो साथ था 
दीपक मशाल 

34 टिप्‍पणियां:

  1. बड़ी घुटन होती है मुझे इस खुशबू-ए-शहर से
    कहाँ है गंध माटी की मैं लाया जो साथ था

    वतन की याद तो आती ही होगी , विशषकर होली जैसे अवसर पर ।

    क्यों मुझको नहीं सुहाते तेरे तन्हा सुरीले गाने
    मिरा गाना बेसुरा था पर गाया तो साथ था

    भीड़ में भी अकेलेपन का अहसास , इसी का नाम तरक्की है ।

    कमियों को छोडिये , दिल से निकली हुई ग़ज़ल है भाई । बधाई ।

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  2. बहुत बेहतरीन गज़ल निकाली है, वाह!!!

    मतले की कमी खली.....

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  3. @दराल सर, शुक्रिया सर.. मेहनत कुछ तो सफल लगी..
    @समीर लाल जी, कोशिश की है शिकायत दूर करने की सर.. :)

    --
    Dipak Mashal

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  4. अब बात में दम आई..एक नई तरह की.

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  5. बेहतरीन,
    जैसा कहा वैसे गाया,
    सच कहूँ,
    बड़ा मजा आया।

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  6. तारीफ के लिए हर शब्द छोटा है - बेमिशाल प्रस्तुति - आभार.

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  7. गज़ल का हर शेर बेशकीमती……………बडे गहरे भावो से सराबोर एक उत्तम गज़ल्।

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  8. खुद जहरीलों पर जहर का असर कहाँ हुआ होगा ...
    नकली खुशबू के दौर में माटी की खुशबू की याद ही सही ...
    शहरी जीवन की विसंगतियों के साथ तालमेल बैठता ठेठ देसी क्या क्या खो देता है , ग़ज़ल/कविता ने बयान कर दिया ...
    सुन्दर भावाभिव्यक्ति !

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  9. यहाँ की छाँव ने इतना अकेला कर दिया मुझे
    वहाँ धूप थी तो क्या मेरा साया तो साथ था
    bahut hi badhiyaa

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  10. ग़ज़ल में हक़ीक़त को चस्पा कर के अपने इसे हर दिल की ग़ज़ल कर डाली है। बेहतरीन!

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  11. बड़ी घुटन होती है मुझे इस खुशबू-ए-शहर से
    कहाँ है गंध माटी की मैं लाया जो साथ था

    सही कहा....

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  12. एक नेता बन गया है दूजा बन गया है आदमी
    माँ ने दोनों बच्चों को जाया तो साथ था

    तू मर गया कभी का 'मशाल' अभी ज़िन्दा है
    यूँ तो दोनों ने ही ज़हर खाया तो साथ था
    Kya kamaal ka likhte ho! Sabhi panktiyan ekse badhke ek hain!

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  13. चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 22 -03 - 2011
    को ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..

    http://charchamanch.uchcharan.com/

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  14. तू मर गया कभी का 'मशाल' अभी ज़िन्दा है
    यूँ तो दोनों ने ही ज़हर खाया तो साथ था

    वाह वाह जबाब नही भाई बहुत खुब

    जवाब देंहटाएं
  15. बेहद खूबसूरत ग़ज़ल.. वाकई दिल को छू गई...

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  16. कहीं दिखता नहीं यहाँ ज़मीर मेरा खो गया है
    शहर के द्वार तक वो मेरे आया तो साथ था

    bahut khoob...
    maine bhi likha hai kahin,
    zameer khota hai jab main shahar ko aata hun,
    mujhse mera dil hardam gaaon ka raasta puchhe.

    gaaon ka rasta hi zameer ko zinda rakhta hai...

    badhayee achhi rachna ke liye.

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  17. कहीं दिखता नहीं यहाँ ज़मीर मेरा खो गया है
    शहर के द्वार तक वो मेरे आया तो साथ था

    waah !

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  18. एक नेता बन गया है दूजा बन गया है आदमी
    माँ ने दोनों बच्चों को जाया तो साथ था

    शानदार

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  19. यहाँ की छाँव ने कितना अकेला कर दिया मुझे
    वहाँ धूप थी तो क्या मेरा साया तो साथ था

    क्या बात है....बढ़िया पंक्तियाँ...

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  20. सर जी, कमी कैसी, मुझे तो गज़ल बेहतरीन लगी...एकदम दिल से निकली हुई...

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  21. यहाँ की छाँव ने कितना अकेला कर दिया मुझे
    वहाँ धूप थी तो क्या मेरा साया तो साथ था

    बहुत उम्दा ग़ज़ल........इसका काफिया-रदीफ़ बहुत पसंद आया

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  22. कहीं दिखता नहीं यहाँ ज़मीर मेरा खो गया है
    शहर के द्वार तक वो मेरे आया तो साथ था
    बहुत सुन्दर, सच्ची बात.

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  23. कहीं दिखता नहीं यहाँ ज़मीर मेरा खो गया है
    शहर के द्वार तक वो मेरे आया तो साथ था
    बहुत सुन्दर, शानदार

    जवाब देंहटाएं
  24. सुन्दर , पढ़ कर अच्छा लगा दीपक जी |

    जवाब देंहटाएं

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