यहाँ लिखी हर एक पंक्ति को आँख बंद कर एक बार दोहराएंगे तो यकीन मानिए आपको ये सब अपना सा लगेगा.. बिलकुल आपका लिखा हुआ.. आपके दिल से निकला हुआ. ये मेरा दावा है.. साथ ही कमियों की तरफ ध्यान दिलाएंगे तो मुझे भी खुशी होगी..
अलग-अलग वो बरसा छाया जो साथ था
अरे काफिला-ए-बादल आया तो साथ था
वहाँ धूप थी तो क्या मेरा साया तो साथ था
तू मर गया कभी का 'मशाल' अभी ज़िन्दा है
बड़ी घुटन होती है मुझे इस खुशबू-ए-शहर में
कहाँ है गंध माटी की मैं लाया जो साथ था
क्यों मुझको नहीं सुहाते तेरे तन्हा सुरीले गाने
मिरा गाना बेसुरा था पर गाया तो साथ था
कहीं दिखता नहीं यहाँ ज़मीर मेरा खो गया है
शहर के द्वार तक वो मेरे आया तो साथ था
एक नेता बन गया है दूजा बन गया है आदमी
माँ ने दोनों बच्चों को जाया तो साथ था
तू मर गया कभी का 'मशाल' अभी ज़िन्दा है
यूँ तो दोनों ने ही ज़हर खाया तो साथ था
दीपक मशाल
बड़ी घुटन होती है मुझे इस खुशबू-ए-शहर से
जवाब देंहटाएंकहाँ है गंध माटी की मैं लाया जो साथ था
वतन की याद तो आती ही होगी , विशषकर होली जैसे अवसर पर ।
क्यों मुझको नहीं सुहाते तेरे तन्हा सुरीले गाने
मिरा गाना बेसुरा था पर गाया तो साथ था
भीड़ में भी अकेलेपन का अहसास , इसी का नाम तरक्की है ।
कमियों को छोडिये , दिल से निकली हुई ग़ज़ल है भाई । बधाई ।
बहुत बेहतरीन गज़ल निकाली है, वाह!!!
जवाब देंहटाएंमतले की कमी खली.....
@दराल सर, शुक्रिया सर.. मेहनत कुछ तो सफल लगी..
जवाब देंहटाएं@समीर लाल जी, कोशिश की है शिकायत दूर करने की सर.. :)
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Dipak Mashal
अब बात में दम आई..एक नई तरह की.
जवाब देंहटाएंबेहतरीन,
जवाब देंहटाएंजैसा कहा वैसे गाया,
सच कहूँ,
बड़ा मजा आया।
BAHUT BEHTREEN DIPAKJI,
जवाब देंहटाएंHAPPY- HOLI
bahoot khoob mashaal shahab..........aapki ghazal sach me bahut achchhi lagi.
जवाब देंहटाएंबहुत बेहतरीन गज़ल !!!
जवाब देंहटाएंतारीफ के लिए हर शब्द छोटा है - बेमिशाल प्रस्तुति - आभार.
जवाब देंहटाएंगज़ल का हर शेर बेशकीमती……………बडे गहरे भावो से सराबोर एक उत्तम गज़ल्।
जवाब देंहटाएंखुद जहरीलों पर जहर का असर कहाँ हुआ होगा ...
जवाब देंहटाएंनकली खुशबू के दौर में माटी की खुशबू की याद ही सही ...
शहरी जीवन की विसंगतियों के साथ तालमेल बैठता ठेठ देसी क्या क्या खो देता है , ग़ज़ल/कविता ने बयान कर दिया ...
सुन्दर भावाभिव्यक्ति !
यहाँ की छाँव ने इतना अकेला कर दिया मुझे
जवाब देंहटाएंवहाँ धूप थी तो क्या मेरा साया तो साथ था
bahut hi badhiyaa
ग़ज़ल में हक़ीक़त को चस्पा कर के अपने इसे हर दिल की ग़ज़ल कर डाली है। बेहतरीन!
जवाब देंहटाएंबड़ा जहरीला मामला है.
जवाब देंहटाएंबड़ी घुटन होती है मुझे इस खुशबू-ए-शहर से
जवाब देंहटाएंकहाँ है गंध माटी की मैं लाया जो साथ था
सही कहा....
बेहतरीन गज़ल
जवाब देंहटाएंएक नेता बन गया है दूजा बन गया है आदमी
जवाब देंहटाएंमाँ ने दोनों बच्चों को जाया तो साथ था
तू मर गया कभी का 'मशाल' अभी ज़िन्दा है
यूँ तो दोनों ने ही ज़हर खाया तो साथ था
Kya kamaal ka likhte ho! Sabhi panktiyan ekse badhke ek hain!
चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 22 -03 - 2011
जवाब देंहटाएंको ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..
http://charchamanch.uchcharan.com/
तू मर गया कभी का 'मशाल' अभी ज़िन्दा है
जवाब देंहटाएंयूँ तो दोनों ने ही ज़हर खाया तो साथ था
वाह वाह जबाब नही भाई बहुत खुब
apne thik hi likha tha..... bilkul apni si lagi ye rachna..
जवाब देंहटाएंउम्दा गजल ,एकदम दिल से
जवाब देंहटाएंबेहद खूबसूरत ग़ज़ल.. वाकई दिल को छू गई...
जवाब देंहटाएंकहीं दिखता नहीं यहाँ ज़मीर मेरा खो गया है
जवाब देंहटाएंशहर के द्वार तक वो मेरे आया तो साथ था
bahut khoob...
maine bhi likha hai kahin,
zameer khota hai jab main shahar ko aata hun,
mujhse mera dil hardam gaaon ka raasta puchhe.
gaaon ka rasta hi zameer ko zinda rakhta hai...
badhayee achhi rachna ke liye.
कहीं दिखता नहीं यहाँ ज़मीर मेरा खो गया है
जवाब देंहटाएंशहर के द्वार तक वो मेरे आया तो साथ था
waah !
एक नेता बन गया है दूजा बन गया है आदमी
जवाब देंहटाएंमाँ ने दोनों बच्चों को जाया तो साथ था
शानदार
यहाँ की छाँव ने कितना अकेला कर दिया मुझे
जवाब देंहटाएंवहाँ धूप थी तो क्या मेरा साया तो साथ था
क्या बात है....बढ़िया पंक्तियाँ...
सर जी, कमी कैसी, मुझे तो गज़ल बेहतरीन लगी...एकदम दिल से निकली हुई...
जवाब देंहटाएंआशीर्वाद....और बस आशीर्वाद
जवाब देंहटाएंयहाँ की छाँव ने कितना अकेला कर दिया मुझे
जवाब देंहटाएंवहाँ धूप थी तो क्या मेरा साया तो साथ था
बहुत उम्दा ग़ज़ल........इसका काफिया-रदीफ़ बहुत पसंद आया
होली के पर्व की अशेष मंगल कामनाएं।
जवाब देंहटाएंजानिए धर्म की क्रान्तिकारी व्याख्या।
HAR PANKTI LAZWAB....
जवाब देंहटाएंकहीं दिखता नहीं यहाँ ज़मीर मेरा खो गया है
जवाब देंहटाएंशहर के द्वार तक वो मेरे आया तो साथ था
बहुत सुन्दर, सच्ची बात.
कहीं दिखता नहीं यहाँ ज़मीर मेरा खो गया है
जवाब देंहटाएंशहर के द्वार तक वो मेरे आया तो साथ था
बहुत सुन्दर, शानदार
सुन्दर , पढ़ कर अच्छा लगा दीपक जी |
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