देखते हैं कब तलक तुम हमको झेले जाओगे
ना करें कि हाँ करें हम, तुम तो पेले जाओगे
चीर उतरा द्रोपदी का आज कान्हा गुम रहा
दांव खोकर भी सभी तुम, खेल खेले जाओगे
ओए सुन लो फालतू इतना नहीं है माल ये
एक चुटकी की जगह क्या मुठ्ठी भर ले जाओगे.
हैं खड़े इक पांव पर, ये बस भरी है भीड़ से
जो पाँव भी अपना नहीं क्या उसको ठेले जाओगे
बाप की कजूंसियों का आज ये आलम हुआ
दे चवन्नी पूछता है, तुम भी मेले जाओगे
लाइफ जैकेट डाल कर, वो पूछने हमसे लगा
छेद वाली नाव को अब, किस तरफ ले जाओगे.
है ’मशाल’ हाथों में मेरे, पर जिद्द अंधेरों की रही
हम हैं जुगनु के ही साथी, तुम तो वेले जाओगे.
वेले= अकेले
ठोक पीट कर और आखिरी शेर जोड़ कर आदरणीय समीर जी ने रचना को पढ़ने लायक बना दिया..
दीपक 'मशाल'ठोक पीट कर और आखिरी शेर जोड़ कर आदरणीय समीर जी ने रचना को पढ़ने लायक बना दिया..
चित्र- दीपक 'मशाल'
बाप है कंजूस इतना भाग में इसके बदा
जवाब देंहटाएंदे चवन्नी पूछता क्या तुम भी मेले जाओगे
....यह भी खूब रही...वो चवन्नी लाख में भी नसीब नहीं अब तो..
इक पाँव पर हैं टिके हम, बस है डीटीसी भरी
जवाब देंहटाएंवो पाँव भी अपना नहीं है कितना ठेले जाओगे
-हा हा! मजेदार!
कुछ तो लोग कहेंगे, की लिखा क्यों लीक से हटकर,
जवाब देंहटाएंरखोगे हौसले, तो ये खेल भी बखूबी खेल जाओगे...
अपने को तो बढिया लगा, लिखते रहिये .......
लगे रहो!
जवाब देंहटाएंजितनी सुन्दर कविता, उतना सुन्दर चित्र।
जवाब देंहटाएंक्या करें, बेदर्द जमाना है,
हमको उनसे फिर भी निभाना है।
कुछ भी कहे कोई,
जवाब देंहटाएंहम तो तुमको
.... जायेंगे:)
लाइफ जैकेट डाल ली हमने तो अपने जिस्म पर
जवाब देंहटाएंछेद डाली नाव तुम्हारी देखें कैसे खे ले जाओगे.
DIPAKJI,
BAHUT SUNDAR
बाप है कंजूस इतना भाग में इसके बदा
जवाब देंहटाएंदे चवन्नी पूछता क्या तुम भी मेले जाओगे
क्या खूब ! बढ़िया है ।
आक्रोश को किसी भी शक्ल में बाहर आना ही चाहिये ! आखिर को हम ठगे जा चुके हैं की, अनुभूतियां सभी को कहां होती हैं ! कुछ मासूम टाइप बन्दे उनके खेलनें में भी देश गौरव ढूंढने लग जाते हैं ! शुक्र है कि आप उनमें से एक नहीं है !
जवाब देंहटाएं>>>:)
जवाब देंहटाएंkya shaandaar baat kahi hai boss apne!!
waise sabhi waille hi jayenge.........koi jane waqt ssaath nahi hota..:)
बाप की कजूंसियों का आज ये आलम हुआ
जवाब देंहटाएंदे चवन्नी पूछता है, तुम भी मेले जाओगे
चलो पूछ तो रहा है
सुन्दर रचना
1.5/10
जवाब देंहटाएंलिखने को तो लिख दिया है जैसे-तैसे पोस्ट ये
देखना है झेलने की ताब कैसे लाओगे
बहुत हलकी पोस्ट
सतही लेखन
हा हा गुलजार साहब से मिलने का असर है ये . उस्ताद जी क्या कर रहे है आप ?
जवाब देंहटाएंबाप की कजूंसियों का आज ये आलम हुआ
जवाब देंहटाएंदे चवन्नी पूछता है, तुम भी मेले जाओगे
वाह क्या बात है। लाजवाब। आशीर्वाद।
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंहै ’मशाल’ हाथों में मेरे, पर जिद्द अंधेरों की रही
जवाब देंहटाएंहम हैं जुगनु के ही साथी, तुम तो वेले जाओगे.
Bahut khoob!
बाप है कंजूस इतना भाग में इसके बदा
जवाब देंहटाएंदे चवन्नी पूछता क्या तुम भी मेले जाओगे
सुन्दर रचना,आज कुछ अलग ही बात है
देखते हैं कब तलक तुम हमको झेले जाओगे
जवाब देंहटाएंना करें कि हाँ करें हम, तुम तो पेले जाओगे
ओए सुन लो फालतू इतना नहीं है माल ये
एक चुटकी की जगह क्या मुठ्ठी भर ले जाओगे.
Bahut khoob!
:) लगता है आजकल नए प्रयोग करने में लगे हो :) बढ़िया है.
जवाब देंहटाएंलाइफ जैकेट डाल ली हमने तो अपने जिस्म पर
जवाब देंहटाएंछेद डाली नाव तुम्हारी देखें कैसे खे ले जाओगे.
बढ़िया रचना...आक्रोश को बढ़िया तरह से शब्दों में उंडेला है..
वाह दीपक जी,
जवाब देंहटाएंआज तो मशाल हर कोनें को उज्जवल कर गई।
देखते हैं कब तलक तुम हमको झेले जाओगे
ना करें कि हाँ करें हम, तुम तो पेले जाओगे
पोस्ट पुनर्मूल्यांकन
जवाब देंहटाएं3.5/10
मेल प्राप्त हुयी
आपका कहना सही लगा
आपकी व्याख्या और सन्दर्भ के पश्चात पोस्ट का पुनर्मूल्यांकन जरूरी हो गया था. लेकिन सवाल यह भी है कि आप किस-किससे व्याख्या करेंगे :)
@उस्ताद जी..
जवाब देंहटाएंचलिए आपने कैसे भी पास तो कर दिया ३३% के ऊपर है अब.. :)
वाह दीपक जी,
जवाब देंहटाएं........क्या खूब ! बढ़िया है ।
बेहतर रचना। अच्छे शब्द संयोजन के साथ सशक्त अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंआपका ये प्रयोग सराहनीय रहा, जैसा कि कई लोगों की टिप्पणियों से पता चलता है। हमें तो खूब पसंद आया।
जवाब देंहटाएंउस्ताद जी की अप्रूवल से ग्रेस के साथ पास घोषित. :)
जवाब देंहटाएंnayaa andaaz
जवाब देंहटाएंहै ’मशाल’ हाथों में मेरे, पर जिद्द अंधेरों की रही
जवाब देंहटाएंहम हैं जुगनु के ही साथी, तुम तो वेले जाओगे.
--
बहुत सुन्दर गजल है!
क्या बात है!
जवाब देंहटाएंहै ’मशाल’ हाथों में मेरे, पर जिद्द अंधेरों की रही
जवाब देंहटाएंहम हैं जुगनु के ही साथी, तुम तो वेले जाओगे.
बह्त खूब रचना
वाह अच्छी रचना
जवाब देंहटाएंआप ही किसी को साथ ले लो ना
Bahut khoob!!!
जवाब देंहटाएंवाह...बहुत अच्छी ग़ज़ल है।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ,मजेदार ।
जवाब देंहटाएंकुछ अलग सी बन पड़ी है रचना.... अच्छा लगा पढ़कर
जवाब देंहटाएंलगता है उस्ताद जी की भी मार्क शीट निकलवानी पड़ेगी...
जवाब देंहटाएंजय हिंद...
वाह दीपक उस्ताद जी को भी झिलवा ही दिया ...हा हा हा...एक मेल और करो..थोड़ी और व्याख्या.....
जवाब देंहटाएंचीर उतरा द्रोपदी का आज कान्हा गुम रहा
जवाब देंहटाएंदांव खोकर भी सभी तुम, खेल खेले जाओगे
दीपक जी ... ये शेर खास लगा ... आज के सच को बोलता हुवा ...