क़यामत पूरी नहीं आती 
फुटकर-फुटकर आती है 
ज़िंदगी के कुकून को 
इत्मिनान के साथ 
नाज़ुक कीड़े में 
तब्दील होते देखने में 
मज़ा आता है उसे
क़यामत
सिर्फ देखती है लगातार 
टुकुर-टुकुर 
बिना अतिरिक्त प्रयास के 
जानती है 
ये खुद ही खा जायेंगे खुद को 
इसलिए अलसा जाती है 
क्यों बेवजह हिलाए हाथ-पैर 
दीपक मशाल 
 
 
Sach kaha, Wish You Very Happy Birth-day
जवाब देंहटाएंहर दिन घटना,
जवाब देंहटाएंघट घट बटना,
चाह वृहद पर,
सहज सिमटना।
जन्मदिन की ढेरों शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंShukriya Praveen bhai
हटाएंShukriya Praveen bhai
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