आप सबके सुझावों से सीख लेते हुए कुछ और लघुकथाएं लिखने की कोशिश की है. लेकिन उन्हें यहाँ नहीं बल्कि सृजनगाथा पर पढ़ा जा सकता है. विश्वास है कि वहां ये तीन लघुकथाएं पढ़कर पुनः अपने स्नेह से सिंचित करेंगे.
'सृजनगाथा' या 'तीन लघुकथाएं' शब्दों पर क्लिक करके वहां पहुंचा जा सकता है अन्यथा नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें---
bahut dinon bad aapka blog dekha..........baanchungaa baad me kyonki abhi sone ja raha hoon lekin mera naman zaroor sweekaar kar len
जवाब देंहटाएंपढ़ ली, बहुत अच्छा लगा।
जवाब देंहटाएंteenon laghu kathayen bahut hi shandaar
जवाब देंहटाएंजाते हैं अब,....
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी लगीं कथाऎं मशाल भैया।
जवाब देंहटाएंअच्छी लगीं कथाऎं
जवाब देंहटाएंतीनो लघु कथायें बहुत अच्छी लगी खास कर समूह भोज। शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंएक से बढ़ कर एक...देखा जाए तो इनके प्रकाशन का क्रम भी इनकी गंभीर भाव-संरचना से साथ ही हुआ है..सबसे कम गंभीर सबसे पहले जैसे जैसे भाव का विकास वैसे-वैसे लघुकथा का विकास...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
आशीर्वाद
समूह भोज सबसे अच्छी लगी ।
जवाब देंहटाएंमार्मिक ।
तीनों उम्दा...
जवाब देंहटाएंतीनो लघु कथायें बहुत ही बढ़िया है
जवाब देंहटाएंवहा वहा क्या कहे आपके हर शब्द के बारे में जितनी आपकी तारीफ की जाये उतनी कम होगी
जवाब देंहटाएंआप मेरे ब्लॉग पे पधारे इस के लिए बहुत बहुत धन्यवाद अपने अपना कीमती वक़्त मेरे लिए निकला इस के लिए आपको बहुत बहुत धन्वाद देना चाहुगा में आपको
बस शिकायत है तो १ की आप अभी तक मेरे ब्लॉग में सम्लित नहीं हुए और नहीं आपका मुझे सहयोग प्राप्त हुआ है जिसका मैं हक दर था
अब मैं आशा करता हु की आगे मुझे आप शिकायत का मोका नहीं देगे
आपका मित्र दिनेश पारीक