रविवार, 8 मई 2016

धरती कभी बनी ही नहीं थी हमारे लिए/ मशाल

आग खतरनाक होती है 
जब पेट की नहीं होती 
जब नहीं होती सीने में 
या जब इनके लिए नहीं जलाई जाती 

सभ्यता का दूसरा पहलू 
विकास का वीभत्स चेहरा उघाड़ देती है आग 

जलकर- झुलसकर मरती जीव-जातियों की दर्दनाक चीखें 
और उससे भी भयानक खामोशियों के बीच 
बहरे बने हुए लोगों की शक्लें 
सबसे कुरुप नज़र आती हैं 

जब जलाई नहीं जाती 
आग लगती नहीं जब.... 
जब लगाई जाती है 
यह इंसानियत पर से भरोसे को सबसे पहले भस्म करती है 
यह आदमी को नंगा कर देती है 

यह आग फिर प्रमाण देती है कि 
हम आए थे यहाँ पेड़-पौधों की जूठन गैस पीने 
धरती कभी बनी ही नहीं थी हमारे लिए.... 

2 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (10-05-2016) को "किसान देश का वास्तविक मालिक है" (चर्चा अंक-2338) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    मातृदिवस की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    जवाब देंहटाएं
  2. आग खतरनाक होती है
    जब पेट की नहीं होती
    जब नहीं होती सीने में
    या जब इनके लिए नहीं जलाई जाती

    umda reachna

    जवाब देंहटाएं

LinkWithin

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...