आप सभी प्रबुद्धजनों का बहुत-बहुत शुक्रिया.. आपके मार्गदर्शन से ही इस नौसिखिये की लघुकथा पत्रिका के स्तर के योग्य हो पायी. पूरी पत्रिका पढ़ने के लिए निम्न लिंक पर क्लिक करें-
http://issuu.com/dipakmashal/docs/hindi-chetna
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अनहोनी
बड़ी अनहोनी हो गई. नेता जी को हमलावरों ने घायल कर दिया. सुना है वो सुबह सुबह मंदिर जा रहे थे लेकिन रास्ते में ही मोटरसाइकिल सवार दो अज्ञात हमलावरों ने अचानक उनपर ताबड़तोड़ गोलियां बरसा दीं. उनके बहते खून ने समर्थकों का खून खौला दिया.. देखते ही देखते उनके चाहने वालों का हुजूम जमा हो गया..
थोड़ी देर में ही नेता ओपरेशन थियेटर में थे और बाहर समर्थकों के सब्र का बाँध टूट रहा था.. किसी ने कहा- 'इस सब में पुलिस की मिलीभगत है..'
फिर क्या था.. २०० लोगों की भीड़ थाने की तरफ बढ़ चली. लाठी, बल्लम, हॉकी स्टिक , मिट्टी का तेल, पेट्रोल सब जाने कहाँ से प्रकट होते चले गए. रास्ते में जो भी वाहन मिलता उसमे आग लगा दी जाती. दुकानें बंद करा दी गयीं.. जो नहीं हुईं वो लूट ली गईं..
इस सब से बेखबर वो आज भी थाने के पास वाले चौराहेपर अपना रिक्शा लिए खड़ा था, जो उसके पास तो था पर उसका नहीं था. हाँ किराए पर रिक्शा लिया था उसने. आज साप्ताहिक बाज़ार का दिन था, उसे उम्मीद थी कि कम से कम आज तो रिक्शे के किराए के अलावा कुछ पैसे बचेंगे जिससे उसके तीनों बच्चे भर पेट खाना खा सकेंगे और कुछ और बच गए तो बुखार में तपती बीवी को दवा भी ला देगा.
दूर से आती भीड़ को उसने देखा तो लेकिन उसके मूड का अंदाजा ना लगा पाया.. या शायद सोचा होगा कि उस गरीब से उनकी क्या दुश्मनी?
पर जब तक वो कुछ समझ सकता रिक्शा पेट्रोल से भीग चुका था.. एक जलती तीली ने पल भर में बच्चों के निवाले और उसकी बीवी की दवा जला डाली..
अगले दिन नेता जी की हालत खतरे से बाहर थी.. हमलावर पकड़े गए. नेता जी ने समर्थकों का उनके प्रति अगाध प्रेम दर्शाने के लिए आभार प्रकट किया.
रिक्शावाले के घर का दरवाज़ा सूरज के आसमान चढ़ने तक नहीं खुला.. अनहोनी की आशंका से पड़ोसियों ने अभी-अभी पुलिस को फोन किया है.
दीपक 'मशाल'
चित्र साभार गूगल से
इस नवब्लॉग का स्वागत कीजिए जो एक नवीन प्रेरणा लेकर आया है- http://modernindianhero.blogspot.com/2011/02/popatrao-pawar.html
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जो लघुकथा लिखी है , वह इतने यथार्थ की चादर में लिपटी है कि उसको जिया है किसी ने और उसका अहसास भी किया है.
जवाब देंहटाएंइतनी सुंदर और भावपूर्ण कथा के लिए बधाई. साथ ही अंतर्राष्ट्रीय स्तर कि पत्रिका में आपका प्रकाशन लेखनी की धार को बताता है.
सबसे पहले तो इस लघुकथा के लिये हार्दिक बधाई …………अंतर्राष्ट्रीय स्तर की पत्रिका मे प्रकाशन होना ही इसकी कामयाबी दर्शाता है।
जवाब देंहटाएंसत्य को उदघाटित करती एक् बेहद मर्मस्पर्शी लघुकथा दिल को छू गयी।
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (10/2/2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.uchcharan.com
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
जवाब देंहटाएंप्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (10-2-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
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सबसे पहले तो इस लघुकथा के लिये हार्दिक बधाई …………अंतर्राष्ट्रीय स्तर की पत्रिका मे प्रकाशन होना ही इसकी कामयाबी दर्शाता है।
जवाब देंहटाएंdipakji bahut bahut badhai
इस सन्देश देती लघु कथा के लिए आपको बधाई ...पत्रिका में प्रकाशन के लिए भी मुबारक ......आप यूँ ही बुलंदियों को छुते रहें ....शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंसच में कमाल का लिखे हैं दीपक जी .............................इस लघुकथा को तो अंतर्राष्ट्रीय हिंदी पत्रिका में छापना ही था
जवाब देंहटाएंयथार्थ से परिचय कराती सुन्दर लघु कथा ।
जवाब देंहटाएंdeepak ji , jindagi ki sachchai bayan karti bahut hi achchhi laghukatha. apko shubhkamnaye aur badhai.
जवाब देंहटाएंअच्छी लघुकथा है ..बधाई .................
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण कथा, बधाई हो।
जवाब देंहटाएंBahut,bahut badhayi ho! Bade dinon baad aapko padhneka mauqa mila!
जवाब देंहटाएंगहरे भावों को समेटती है आपकी लघुकथा - और साथ ही आज के समाज का आइना भी दिखा रही है ।
जवाब देंहटाएंभीड़ /उसके मनोविज्ञान /और यथार्थ पर बेहतर कथा !
जवाब देंहटाएंनये ब्लॉग का स्वागत है !
sach me aisa hi hota hai...par ye to bhogna parega..aakhir netajee ka sawal hai..:(
जवाब देंहटाएंमन को हिला देने वाली रचना। हार्दिक बधाईयां।
जवाब देंहटाएं---------
पुत्र प्राप्ति के उपय।
क्या आप मॉं बनने वाली हैं ?
very good post.congratulation.
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया लघुकथा...और इसके प्रकाशन की ढेरों बधाई
जवाब देंहटाएंयथार्थ से परिचय कराती सुन्दर लघु कथा ।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया मर्मस्पर्शी लघुकथा...इसके अंतर्राष्ट्रीय शिखर हिन्दी पत्रिका हिन्दी-चेतना में प्रकाशन होने पर हार्दिक बधाई ... प्रवासी पत्रिका गर्भनाल में भी आपको पढना बहुत अच्छा लगा .. ...
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण एहसासों को दर्शाती रचना !
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