फोटो: दीपक मशाल |
१- हम आश्वस्त है
घास के तिनकों से टिके हुए दुःख
कुतुबमीनारी सुखों को बौना बना रहे
तुलना के तराज़ू पर रखकर
सपने फ़रार होकर आभासी संसार से
कम्प्यूटर स्क्रीन में जा समाए
और खाई गईं 'क़समें'
संतुष्ट हो रहीं कागज़ी क्रांतिकारिता से
जब भी याद आ जाती हैं वो
भूले-भटके
दुनिया बढ़-बदल रही है
हम आश्वस्त हैं
मौके-बेमौके
लोकतंत्र की इकाई की बोली लग रही है
हम खुश है कि कीमतों में उछाल आया है
चलो फिर चुनावी साल आया है।
फोटो: दीपक मशाल |
२- मानेगा नहीं आदमी
विदर्भ से बुन्देलखण्ड तक
पानी ख़त्म नहीं हुआ
सूखा नहीं
उड़ा नहीं
ग़ायब नहीं हुआ
मर गया है पानी
शज़र का
ज़मीं का
नज़र का
मारा आदमी ने.....
पर
आदमी मानेगा नहीं
आदमी का हत्यारा हो जाना...
जो सदियों पहले आरम्भ हो गया था
आदमी मानेगा नहीं
खुद के हाथों
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि- आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (30-09-2016) के चर्चा मंच "उत्तराखण्ड की महिमा" (चर्चा अंक-2481) पर भी होगी!
जवाब देंहटाएंहार्दिक शुभकामनाओं के साथ-
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत ही सुन्दर कविता ..... लिखते रहे।
जवाब देंहटाएंmoral stories in hindi | hindi moral stories | hindi short story
बहुत ही खूबसूरत।।।
जवाब देंहटाएंYe bhi check karien..
https://sandeepsarthi.blogspot.com/2018/10/blog-post_31.html
very nice post
जवाब देंहटाएंalso check moral stories in hindi for kids -
https://www.moral-stories.xyz/2019/07/moral-stories-in-hindi.html
Sundar kavitayen.
जवाब देंहटाएंSugar & Coco
very very nice article.
जवाब देंहटाएंNice post sir visit on my website
जवाब देंहटाएंजगण्या मरण्यातील अंतर
त्याच्या तिच्यातलं मध्यांतर
ध्येय वाटेलतला विसावा..
उमलून येणारा उसासा
पहाटवेळेच सुंदर रहस्य
कातरवेळी फुलणारं हास्य
अद्वैताच्या वाटेचा शोध
अनुभवानंतर होणारा बोध
पावसानंतरचा रंगीन इंद्रधनुष्य
कधी गुरु तर कधी निरागस शिष्य
कधी अनाहत् होणारा एक भास
कविता आस; जीवनाचा श्वास
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