शुक्रवार, 4 अप्रैल 2014

अतीत की किरचें

जनसत्ता में पृष्ठ १०, सम्पादकीय के 'दुनिया मेरे आगे' स्तम्भ में 

4 टिप्‍पणियां:

  1. Bahut dino baad aapke blogpe aayi hun...kharab tabiyat ke laran zyada der baith nahi paati...hameshki tarah sundar lekhan hai aapka...

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  2. लाजवाब। जितनी बार आपको पढता हूँ उतनी बार अलग अनुभूति होती है।

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  3. इतिहास संभवतः उन्हें केवल एक लेखक के ही रूप में मूल्यांकित करे।

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