tag:blogger.com,1999:blog-2750801120298316369.post3890376818477819750..comments2023-10-18T19:28:47.947+05:30Comments on मसि-कागद: दुल्हन के जेवर आज भी गिनते हैं हर जगह------------->>>दीपक मशालदीपक 'मशाल'http://www.blogger.com/profile/00942644736827727003noreply@blogger.comBlogger33125tag:blogger.com,1999:blog-2750801120298316369.post-89492598233439166372010-09-12T00:19:15.645+05:302010-09-12T00:19:15.645+05:30दर्द को शब्दों में बयां करती बेहद अच्छी रचना दीपक ...दर्द को शब्दों में बयां करती बेहद अच्छी रचना दीपक जी...Madhu chaurasia, journalisthttps://www.blogger.com/profile/07800523390622467943noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2750801120298316369.post-30393591431836932792010-09-09T09:29:37.014+05:302010-09-09T09:29:37.014+05:30कुछ अधूरे से शब्द ...अधूरेपन को बयान करते हुए !कुछ अधूरे से शब्द ...अधूरेपन को बयान करते हुए !उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2750801120298316369.post-49971133935142114782010-09-09T07:27:06.179+05:302010-09-09T07:27:06.179+05:30भाई आखिर में तो मन को छू गये ।भाई आखिर में तो मन को छू गये ।अजय कुमारhttps://www.blogger.com/profile/15547441026727356931noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2750801120298316369.post-54557038768164078372010-09-08T22:36:59.973+05:302010-09-08T22:36:59.973+05:30अंतिम पंक्तियाँ सारा सच बयां कर गयीं ,...और कुछ कह...अंतिम पंक्तियाँ सारा सच बयां कर गयीं ,...और कुछ कहने को बचा ही नहीं ...Renu goelhttps://www.blogger.com/profile/13517735056774877294noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2750801120298316369.post-66666382370244320582010-09-08T18:57:35.149+05:302010-09-08T18:57:35.149+05:30BAHUT SATEEKBAHUT SATEEKसंजय कुमार चौरसियाhttps://www.blogger.com/profile/06844178233743353853noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2750801120298316369.post-47366981382541824692010-09-08T16:52:16.666+05:302010-09-08T16:52:16.666+05:30antim panktiyaan...kamaal ki hain..too gud!antim panktiyaan...kamaal ki hain..too gud!Parul kananihttps://www.blogger.com/profile/11695549705449812626noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2750801120298316369.post-13283887794860394992010-09-08T16:05:24.027+05:302010-09-08T16:05:24.027+05:30कुछ नहीं बदला!...सब कुछ वही है!...नारी भी वही है, ...कुछ नहीं बदला!...सब कुछ वही है!...नारी भी वही है, पुरुष भी वही है!...साज-शृंगार और पहनावे में बदलाव, तो उपरी तौर का बदलाव है.....मानसिकता तो वही सदियों पुरानी है!...बहुत सुंदर प्रस्तुति!Aruna Kapoorhttps://www.blogger.com/profile/02372110186827074269noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2750801120298316369.post-48714261083304451162010-09-08T15:39:29.066+05:302010-09-08T15:39:29.066+05:30दुल्हन के जेवर आज भी गिनते हैं हर जगह
दुल्हे के ते...दुल्हन के जेवर आज भी गिनते हैं हर जगह<br />दुल्हे के तेवर आज भी मिलते हैं हर जगह<br />कमते हैं जेवरात तो बढ़ते हैं तेवरात<br />बाबुल के सर आज भी झुकते हैं हर जगह ..<br /><br />दिल को छू गयी ये पंक्तियाँ ... सच कहा है ... अभी बहूत दूर है दिल्ली इस विषय पर कम से कम ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2750801120298316369.post-23567124880919176642010-09-08T13:30:55.980+05:302010-09-08T13:30:55.980+05:30तुम्हारे दिल की अब धड़कन, हमारे साथ क्यों ना है
कभ...तुम्हारे दिल की अब धड़कन, हमारे साथ क्यों ना है<br />कभी होती थी जो लब पे, वो अब बात क्यों ना है<br /><br />क्या बात है इस पंक्ति को तो सुर में ढाला जा सकता है....:)<br />बेहतरीन रचना..rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2750801120298316369.post-11736534974054180832010-09-08T11:55:07.574+05:302010-09-08T11:55:07.574+05:30दुल्हन के जेवर आज भी गिनते हैं हर जगह
दुल्हे के ते...दुल्हन के जेवर आज भी गिनते हैं हर जगह<br />दुल्हे के तेवर आज भी मिलते हैं हर जगह<br />कमते हैं जेवरात तो बढ़ते हैं तेवरात<br />बाबुल के सर आज भी झुकते हैं हर जगह<br />बिलकुल सही कहा पूरी कविता लाजवाब है। आशीर्वाद।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2750801120298316369.post-14945455316568979372010-09-08T11:46:33.492+05:302010-09-08T11:46:33.492+05:30नहीं बरसा है सावन फिर, हैं पत्ते सूखते सारे
गया भा...नहीं बरसा है सावन फिर, हैं पत्ते सूखते सारे<br />गया भादों भी आधा पर, यहाँ बरसात क्यों ना है<br /><br />दर्द को शब्द दे दिये।<br /><br />दुल्हन के जेवर आज भी गिनते हैं हर जगह<br />दुल्हे के तेवर आज भी मिलते हैं हर जगह<br />कमते हैं जेवरात तो बढ़ते हैं तेवरात<br />बाबुल के सर आज भी झुकते हैं हर जगह<br /><br />क्या कहूं इस पर ……………बदलाव अभी सिर्फ़ कुछ पन्नों मे ही सिमटा हुआ है बाकी सब जगह यही तो हाल है ………………वक्त को भी वक्त लगेगा बदलने मे।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2750801120298316369.post-2278643995966449332010-09-08T10:10:57.282+05:302010-09-08T10:10:57.282+05:30मजा आ गया जी !!मजा आ गया जी !!राम त्यागीhttps://www.blogger.com/profile/05351604129972671967noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2750801120298316369.post-81578430303883507212010-09-08T10:05:40.704+05:302010-09-08T10:05:40.704+05:30क्या कहने बहुत उम्दा ग़ज़ल हर शेर काबिले तारीफ है ...क्या कहने बहुत उम्दा ग़ज़ल हर शेर काबिले तारीफ है और बेटी के पिता की वेदना को बखूबी बयां किया आपने ...रानीविशालhttps://www.blogger.com/profile/15749142711338297531noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2750801120298316369.post-40871824769096390992010-09-08T09:08:30.608+05:302010-09-08T09:08:30.608+05:30बाबुल के सर आज भी झुकते हैं हर जगह|
अकेले यही मिसर...बाबुल के सर आज भी झुकते हैं हर जगह|<br />अकेले यही मिसरा पूरी ग़ज़ल कि दाद पाने कि कुव्वत रखता है| <br />बेहतरीन <br /><a href="http://www.rp-sara.blogspot.com" rel="nofollow">ब्रह्माण्ड</a>राणा प्रताप सिंह (Rana Pratap Singh)https://www.blogger.com/profile/17152336988382481047noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2750801120298316369.post-38559368382807748272010-09-08T07:46:55.717+05:302010-09-08T07:46:55.717+05:30tumhaari kavitayein hamesha hi saarthak vishayon p...tumhaari kavitayein hamesha hi saarthak vishayon par hoti hain..<br />bahut hi jaagruk insaan ho tum<br />accha lagta hai tumhein padhna..<br />khush raho..<br />didi..स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2750801120298316369.post-15551632552324818962010-09-08T07:46:37.191+05:302010-09-08T07:46:37.191+05:30दीपक जी, गजल का भाव सब बहुत अच्छा है...कहीं कहीं ब...दीपक जी, गजल का भाव सब बहुत अच्छा है...कहीं कहीं बहर से बाहर है शेर..लेकिन बात दिल को छूती है...अऊर अंत में शेर का पूँछ त हम जईसा बेटी के बाप ही समझ सकते हैं!!चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2750801120298316369.post-67667824254309991462010-09-08T04:46:20.055+05:302010-09-08T04:46:20.055+05:30कि क्यों फैला है सन्नाटा, बिरादर तेरी बस्ती में
सं...कि क्यों फैला है सन्नाटा, बिरादर तेरी बस्ती में<br />संगीत है ना गीत है, अरे वो साज़ क्यों ना है<br /><br />-अच्छा शेर निकाला है. बहुत बढ़िया.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2750801120298316369.post-22357576696863766522010-09-08T02:57:09.439+05:302010-09-08T02:57:09.439+05:30मजाल भाई, मुआफी चाहता हूँ.. और वादा करता हूँ अगली ...मजाल भाई, मुआफी चाहता हूँ.. और वादा करता हूँ अगली बार ऐसी गलती नहीं होगी कि आपको निराश होना पड़े..दीपक 'मशाल'https://www.blogger.com/profile/00942644736827727003noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2750801120298316369.post-90900297274770336732010-09-08T01:05:01.683+05:302010-09-08T01:05:01.683+05:30बहुत बढ़िया ...अंतिम पंक्तिय बहुत संवेदनशील ..बहुत बढ़िया ...अंतिम पंक्तिय बहुत संवेदनशील ..संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2750801120298316369.post-68402038322841601282010-09-08T00:34:13.435+05:302010-09-08T00:34:13.435+05:30आखिरी पंक्तियां बहुत अच्छी लगीं।
Thanks for b'...आखिरी पंक्तियां बहुत अच्छी लगीं। <br />Thanks for b'day wishessonalhttps://www.blogger.com/profile/03825288197884855464noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2750801120298316369.post-30491074593232122262010-09-08T00:16:23.834+05:302010-09-08T00:16:23.834+05:30बहुत अच्छे दीपक, लेकिन हम इसे पढ रहे हैं तो ’क्यों...बहुत अच्छे दीपक, लेकिन हम इसे पढ रहे हैं तो ’क्यों ना’ की जगह ’नहीं’ कर दिया है, इजाजत है न? हा हा हा।<br />बाबुल के सर वाली आखिरी पंक्तियां बहुत अच्छी लगीं।संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2750801120298316369.post-5629349543163825432010-09-07T23:48:22.932+05:302010-09-07T23:48:22.932+05:30वाह जी बहुत सुंदर लिखा, धन्यवादवाह जी बहुत सुंदर लिखा, धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2750801120298316369.post-16024316627387408802010-09-07T23:31:46.599+05:302010-09-07T23:31:46.599+05:30कमते हैं जेवरात तो बढ़ते हैं तेवरात
बाबुल के सर आज...कमते हैं जेवरात तो बढ़ते हैं तेवरात<br />बाबुल के सर आज भी झुकते हैं हर जगह<br /><br />ध्रुव सत्य है भाईब्लॉ.ललित शर्माhttps://www.blogger.com/profile/09784276654633707541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2750801120298316369.post-53637314764514704622010-09-07T23:30:59.020+05:302010-09-07T23:30:59.020+05:30ख़ूब कहा
बहुत ख़ूब कहा जी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
...ख़ूब कहा<br />बहुत ख़ूब कहा जी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,<br /><br />हर पंक्ति में खूबसूरती है और हर शब्द में महक..........<br /><br />वाह !<br />वाह !<br />वाह !Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/09116344520105703759noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2750801120298316369.post-43043857917925915922010-09-07T23:24:40.178+05:302010-09-07T23:24:40.178+05:30ऐसे तो हर बात ही लाजवाब है पर इसका क्या कहना
&quo...ऐसे तो हर बात ही लाजवाब है पर इसका क्या कहना <br />"नहीं बरसा है सावन फिर, हैं पत्ते सूखते सारे<br />गया भादों भी आधा पर, यहाँ बरसात क्यों ना है"<br />पर क्या करें मन पत्तों सा सूखता है और ऑंखें किसी सावन भादों को नहीं बस बरसना ही जानती हैंरचना दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/10298077073448653913noreply@blogger.com