tag:blogger.com,1999:blog-2750801120298316369.post3522217036485035610..comments2023-10-18T19:28:47.947+05:30Comments on मसि-कागद: दीपक 'मशाल'http://www.blogger.com/profile/00942644736827727003noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-2750801120298316369.post-74277654806857099962012-09-20T15:21:13.804+05:302012-09-20T15:21:13.804+05:30yar mai to bor ho gyayar mai to bor ho gyaAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/02724470592996271302noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2750801120298316369.post-77229648543205775512012-05-02T15:38:33.232+05:302012-05-02T15:38:33.232+05:30romanchak prastuti. aapko hardik dhanyawad.romanchak prastuti. aapko hardik dhanyawad.Dr.Sushila Guptahttps://www.blogger.com/profile/04450307347493420306noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2750801120298316369.post-992506399559602792012-05-02T08:53:29.142+05:302012-05-02T08:53:29.142+05:30bahut hi marmik rachna deepak jibahut hi marmik rachna deepak jiसंजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2750801120298316369.post-31973813978921798972012-04-29T09:46:08.622+05:302012-04-29T09:46:08.622+05:30अत्यंत मार्मिक और संवेदनशील. बधाई.अत्यंत मार्मिक और संवेदनशील. बधाई.रचना दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/10298077073448653913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2750801120298316369.post-69331683646437278922012-04-28T21:06:40.238+05:302012-04-28T21:06:40.238+05:30Aah!Aah!kshamahttps://www.blogger.com/profile/14115656986166219821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2750801120298316369.post-11320307438368610622012-04-28T12:38:23.107+05:302012-04-28T12:38:23.107+05:30सबसे पहले तो वापसी की तुमने तो अच्छा लगा और कविता ...सबसे पहले तो वापसी की तुमने तो अच्छा लगा और कविता तो मैने पहले भी पढ रखी है और जिस तरह से तुमने उस दर्द को , उस भयावहता को उकेरा है उसकी तारीफ़ के लिये शब्द नही हैं मेरे पास बेशक सब जानते हैं मगर उसे इस संजीदगी से उकेरना सबके बस की बात नही होती।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2750801120298316369.post-19964785240479434542012-04-28T11:56:11.134+05:302012-04-28T11:56:11.134+05:30छुटकारा पाने का ये तरीका ही सबके लिए मुफीद है शाय...छुटकारा पाने का ये तरीका ही सबके लिए मुफीद है शायद, न रहेगा बांस और न बजेगी बांसुरी| <br />इतने समय के बाद लौटे हो, यही कहते हैं भाई कि लिखते रहो, दिखाते रहो|संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2750801120298316369.post-29107498469124496852012-04-27T21:21:33.147+05:302012-04-27T21:21:33.147+05:30पूरा पढ़ गया। एक तो कविता की लम्बाई दूसरे सुने सुन...पूरा पढ़ गया। एक तो कविता की लम्बाई दूसरे सुने सुनाय से भाव के कारण कविता ने मुझे तो अधिक प्रभावित नहीं किया। हां ब्लॉग में आपको पुनः देख कर खुशी हुई।देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2750801120298316369.post-44910972687814686912012-04-27T19:08:48.280+05:302012-04-27T19:08:48.280+05:30ये कड़वी हकीकत है और उसको बड़े ही ममस्पर्शी ढंग से...ये कड़वी हकीकत है और उसको बड़े ही ममस्पर्शी ढंग से अपने प्रस्तुत किया है. phir भी ये samaj उन बलात्कारियों को सजा देने की नहीं सोचता है , इस कलंक को लिए लोगों के प्रति कोई भी दंडात्मक भाव नहीं होता है बल्कि ऐसे शादीशुदा लोगों को घर वाले बचाते हें और पत्नियाँ भी बचाती हें.और इस हवस का शिकार समाज में अपने अस्तित्व को लेकर बराबर संघर्ष करती रहती है. सच ही है अगर वह अपने फाँसी मांग रही है और उसकी इस मांग के दोषी हम और हमारा समाज है.रेखा श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2750801120298316369.post-46936640023205046922012-04-27T17:34:12.852+05:302012-04-27T17:34:12.852+05:30बहुत दिन बाद, पर बहुत दमदार..बहुत दिन बाद, पर बहुत दमदार..प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2750801120298316369.post-44773976156706519972012-04-27T17:29:10.720+05:302012-04-27T17:29:10.720+05:30दीपक जी ,
आपकी इस रचना पर टिपण्णी करने के लिए मेरे...दीपक जी ,<br />आपकी इस रचना पर टिपण्णी करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं ! एक - एक लाइन आज की कड़वी हकीकत है ! एक बलात्कार का शिकार नारी की मनोदशा का सजीव बयां , सभी श्रेष्ठ रचनाओं में सर्वश्रेष्ठ !संजय कुमार चौरसियाhttps://www.blogger.com/profile/06844178233743353853noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2750801120298316369.post-61829822588691911192012-04-27T17:17:05.473+05:302012-04-27T17:17:05.473+05:30आ गए दीपक...
वाह...!!
बहुत ख़ुशी हुई तुम्हें देख क...आ गए दीपक...<br />वाह...!!<br />बहुत ख़ुशी हुई तुम्हें देख कर<br />कविता पर कमेन्ट बाद में...ज़रूर होगी ज़बरदस्त...<br />ख़ुश रहो...!स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.com